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हनुमानगढ़ जिले के गोलूवाला तहसील में 16 साल से चला आ रहा श्री गुरुद्वारा मेहताबगढ़ प्रबंधक कमेटी का विवाद गुरुवार को खूनी संघर्ष में बदल गया। गुरुद्वारे के भीतर बड़ी संख्या में भीड़ घुसी। इसके बाद एक गुट ने न केवल मारपीट की बल्कि सोते हुए मासूम बच्चों और जानवरों को भी नहीं बख्शा। हिंसक झड़प में 8 घायल हो गए। इसके बाद क्षेत्र में इंटरनेट बंद कर स्कूलों में छुट्टी कर दी गई। वहीं सुरक्षा के लिए 16 थानों से पुलिस फोर्स की तैनाती की गई। आखिर एक धार्मिक संस्थान के भीतर खूनी संघर्ष की नौबत कैसे आई? इसकी जमीनी हकीकत जानने भास्कर टीम मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से बातचीत की। पढ़िए ये रिपोर्ट… सबसे पहले जानिए क्या है पूरा विवाद? हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर गोलूवाला कस्बा है। यहां के गुरुद्वारा मेहताबगढ़ साहिब को 1962 में गांव के सरपंच चौधरी सहीराम जैलदार ने करीब डेढ़ एकड़ जमीन देकर बनवाया था। 2009 में पंजाब के बरनाला के सेणा गांव के बाबा अमृतपाल ने यहां गांव वालों और संगत की ओर से दस्तारबंदी के बाद प्रबंधक कमेटी और पाठी का जिम्मा संभाला था। गांव के गमदूर सिंह ने बताया कि अक्टूबर 2016 में बाबा अमृतपाल पंजाब के मुक्तसर में एक गुरुद्वारे के मामले में गए थे, जहां उनका मर्डर हो गया। इसके बाद उनकी पत्नी बीबी हरमीत कौर को उनकी जगह श्री गुरुद्वारा मेहताबगढ़ प्रबंधक कमेटी का जिम्मा सौंप दिया गया था। विवाद का जन्म यहीं से हुआ। गमदूर सिंह का कहना है कि गांव की जमीन पर बने इस गुरुद्वारे का प्रबंधन गांव वालों के हाथों में होना चाहिए। जबकि बाबा अमृतपाल के बाद जिम्मेदारी संभाल रहीं बीबी हरमीत कौर का कहना है कि पूरी संगत और वैधानिक प्रक्रिया से उन्हें चुना गया है। गुरुद्वारा श्री मेहताबगढ़ प्रबंधक कमेटी पर नियंत्रण बनाए रखने का यह विवाद 2 अक्टूबर की देर रात खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसमें 8 लोग गंभीर घायल हैं। भास्कर ने दोनों गुटों से अलग-अलग बात कर उनके पक्ष जाने। विरोध कर रहे लोगों के आरोपों का जवाब प्रबंध कमेटी की प्रधान बीबी हरमीत कौर से लिया… पहला आरोप : बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए इकट्ठे किए 50 हजार डकारे गांव के गमदूर सिंह ने कहा कि इस साल पंजाब में बाढ़ से किसानों का बहुत नुकसान हुआ था। वहां प्रभावितों तक मदद पहुंचाने के लिए गोलूवाला की सिख संगत ने चार ट्रॉली राशन और करीब 50 हजार रुपए इकट्ठे किए थे। सिख संगत यह राशि गुरुद्वारे की ओर से देना चाहती थी। लेकिन कमेटी की प्रबंधक बीबी हरमीत कौर ने मना कर दिया और इकट्ठे किए सामान पर भी कब्जा कर लिया। गुरुद्वारे की रसीद भी नहीं दी। इसका जवाब देते हुए बीबी काैर ने कहा- सेवादार गुरुद्वारे की रसीद बुक अपने साथ ले जाने पर अड़े हुए थे। मैंने उनसे कहा कि अगर आपको रसीद बुक चाहिए तो कमेटी के मेंबर को साथ ले जाना होगा। वही रसीद काटकर देगा। कौर ने बताया कि गुरुद्वारे से जुड़े हर काम को हम पवित्र रखते हैं। लेकिन कई सेवादारों के मुंह में तंबाकू-जर्दा था। हमने ऐसी स्थिति में रसीद देने से मना किया तो उस मुद्दे को तूल दे दिया। बाकी सेवादार जो एक ट्रॉली राशन और कुछ दूसरा सामान इकट्ठा करके लाए थे, उसे अगले ही दिन पंजाब के फाजिल्का और फिरोजपुर में बंटवा दिया गया था। दूसरा आरोप : बाबा अमृतपाल संग भागकर शादी की, हमने विरोध भी किया विरोधी खेमे की ओर से बोल रहे गमदूर सिंह ने आरोप लगाया कि बीबी हरमीत कौर का गांव श्रीगंगानगर के संगतपुरा में है। गोलूवाला में उनका ननिहाल है। यहां वह गुरुद्वारे के साथ बने कन्या स्कूल में ही पढ़ती थी। उन्होंने बाबा अमृतपाल के साथ भागकर शादी की थी। इस संबंध में थाना मटीली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। साथ ही यह आरोप भी लगाया कि साल 2012 में बाबा अमृतपाल के एक साथी ने एक बच्चे के साथ छेड़छाड़ भी की थी, जिसके बाद मामला काफी गर्मा गया था। वहीं 2016 में पंजाब में मर्डर होने के बाद उनका अंतिम संस्कार भी गुरुद्वारे में ही किया गया। इसे लेकर भी गांव वालों ने विरोध जताया था। इन सभी आरोपों का जवाब देते हुए बीबी हरमीत कौर ने कहा कि प्रबंधक कमेटी में शामिल होने के लिए यह लोग निराधार आरोप लगा रहे हैं। मेरी और बाबा अमृतपाल की रीति-रिवाजों के साथ शादी हुई थी। शादी की एल्बम और वीडियोग्राफी भी हुई थी। वहीं लड़के के साथ हुई छेड़छाड़ का मामला भी सीधा बाबा अमृतपाल से जुड़ा नहीं है। लेकिन उन्हें बदनाम करने के लिए जबरन घसीटा जा रहा है। रही बात गुरुद्वारे में अंतिम संस्कार की तो सिख समुदाय में संगत से चुने हुए संतों की अंतिम क्रिया गुरुद्वारे में ही की जाती है। तीसरा आरोप : गुरुद्वारा कमेटी में दूसरे गांव के लोग, जबरन उत्तराधिकारी बनाया गमदूर सिंह ने आरोप लगाया कि बीबी हरमीत कौर ने श्री गुरुद्वारा मेहताबगढ़ प्रबंधक कमेटी में बाहरी लोगों को शामिल किया हुआ है, जबकि गोलूवाला के लोगों को कमेटी में शामिल करने की बात पर विरोध में उतर आती हैं। इस काम में उनके साथी भी बाहर के गांवों के ही हैं। इनमें तजेन्द्र पाल टिम्मा, परविंदर सिद्धू और अन्य लोग शामिल हैं, जिन्होंने बाबा अमृतपाल की मौत के 10 दिनों में बीबी हरमीत कौर को जबरन ही कमेटी का प्रबंधक बनाया। कमेटी में गोलूवाला से करीब 15 से 25 किमी दूर बसे खरलिया, अमरसिंह वाला, 10 एमओडी जैसे गांवों के लोग शामिल हैं। इसके अलावा कमेटी में कौर ने अपने ननिहाल पक्ष के मामा-मौसी और रिश्तेदारों को भी शामिल किया हुआ है। हम चाहते हैं कि गुरुद्वारा कमेटी में गांव वालों का भी प्रतिनिधित्व हो। इसकी एक वजह ये भी है कि 2009 से 2025 तक कौर और उनके सहयोगियों ने कोई हिसाब नहीं दिया है। इस पर बीबी हरमीत कौर कहती हैं- श्री गुरुद्वारा मेहताबगढ़ प्रबंधक कमेटी में कुल 11 मेंबर हैं। इनमें से 7 मेंबर गोलूवाला से हैं जिनके साथ मेरा कोई ब्लड रिलेशन नहीं है। सभी संगत प्यारे हैं और गुरुद्वारा कमेटी के नियमों पर खरे उतरते हैं। जबकि दो खरलिया और एक मेंबर अमरसिंह वाला गांव से है। इसका भी एक अहम कारण है। संगत और स्थानीय गुरुद्वारों का प्रबंधन आपसी सहयोग से चलता है। यह गुरुद्वारा बाबा सुक्खा सिंह जी का चरण स्पर्श स्थान है। इसलिए पूरे गोलूवाला और आस-पास के गांवों की भी इसमें अपार श्रद्धा है। विदेशों से भी सेवादार इससे जुड़े हुए हैं। रही बात हिसाब देने की तो गुरुद्वारे का हर खर्च मेंटेन किया जाता है। 10 साल का बच्चा कर रहा था खून की उल्टियां बीबी हरमीत कौर ने बताया कि 2 अक्टूबर की देर रात भीड़ में से 50-60 लोगों ने दीवारें फांदकर गुरुद्वारे और लंगर खाने में सो रहे लोगों पर हमला कर दिया था। भीड़ ने किसी को भी नहीं छोड़ा। गुरुघर में भी तोड़फोड़ की गई। बुजुर्गों से लेकर गुरुद्वारा में संचालित स्कूल के 10-12 साल के बच्चों तक को पीटा गया। इसमें 8 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इनमें बच्चे गुरप्रीतसिंह और बुजुर्ग काबुल सिंह की हालत ज्यादा सीरियस है। उन्होंने आरोप लगाया कि हमला करने वाले निहंग सिखों का वेश धारण करके अंदर पहुंचे थे। कृपाण, तलवारों, फरसे और डंडों से घोड़ों को भी मारा। गुरुद्वारा में हमला होने की आशंका को देखते हुए पहले ही पीएम, सीएम, कलेक्टर, एसपी साहब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सभी को ईमेल व सोशल मीडिया से इत्तला कर दी गई थी। सितंबर में हमले का आरोप
19 सितंबर को भी गुरुद्वारे का प्रबंधन बदलने की कोशिश की गई थी। तब 100 से ज्यादा गांव वाले गुरुद्वारे में मत्था टेकने, पाठ करने के लिए गेट खुलवाने पर अड़े हुए थे। गेट नहीं खुले तो बाहर बैठ गए। गमदूर सिंह का कहना है कि तब बीबी हरमीत कौर ने गुरुद्वारे के अंदर से तलवारें लहराकर डराने की कोशिश की थी। इसके बाद पुलिस ने यहां धारा 163 लागू कर दी थी। 10 आरएसी के जवानों को वहां तैनात किया हुआ था। एक RAC जवान ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि भीड़ अचानक आ गई थी। हम कुछ समझ पाते, उससे पहले ही उन्होंने हमला बोल दिया। 10 जवानों के लिए हथियारों से लैस भीड़ को काबू करना आसान नहीं था। हमारे कुछ साथियों को भी चोटें आई हैं। फोर्स बुलाने के लिए मोबाइल से कॉल कर रहे एक जवान का मोबाइल भी छीन लिया गया था। 22 लोग गिरफ्तार, रिव्यू के बाद दी जाएगी कर्फ्यू में ढील
हनुमानगढ़ जिला एसपी हरिशंकर शर्मा ने बताया- पूरे मामले में कुल 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के खिलाफ मारपीट की गंभीर धाराएं दर्ज हैं। RAC जवान का मोबाइल छीनने के मामले में भी दो FIR दर्ज की गई हैं। इलाके में अभी भी BNS की धारा 163 (पूर्व में धारा 144) लागू है, जिसका रिव्यू कर ढील देने पर विचार किया जाएगा। फिलहाल इंटरनेट बंद है। नियम कानून के तहत गुरुद्वारे में पाठ नियमित रूप से करवाया जा रहा है। गुरुद्वारे की गरिमा और प्रबंधन को भी बरकरार रखा जाएगा। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। जिला कलेक्टर के निर्देशन में पूरे इलाके में व्यवस्था नियंत्रण में है। 285 साल पुराने इतिहास का गवाह है मेहताबगढ़ गुरुद्वारा सुक्खा सिंह और मेहताब सिंह का नाम सिख इतिहास में साहसिक कार्यों के लिए जाना जाता है। सन 1740 में अमृतसर के कोतवाल मस्सा रंगड़ ने सिखों के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल, श्री हरिमंदिर साहिब के पवित्र परिसर का इस्तेमाल नर्तकियों और शराब के साथ मनोरंजन के लिए किया था। इस घटना से आहत दोनों वीरों सुक्खा सिंह और मेहताब सिंह ने स्वर्ण मंदिर को अपवित्र करने वाले मस्सा रंगड़ का सिर काट दिया था। मस्सा रंगड़ का सिर और शरीर काटकर बुड्ढा जोहड़ गुरुद्वारा, श्रीगंगानगर लाया गया था। यहां आते समय सुक्खा सिंह और मेहताब सिंह गोलूवाला में जिस जगह रुके थे, वहीं आज श्री गुरुद्वारा मेहताबगढ़ बना हुआ है।