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    चीन अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर शुरू करेगा:100% टैरिफ नहीं लगाएगा अमेरिका, दोनों देशों के बीच ट्रेड डील का फ्रेमवर्क तय

    6 days ago

    अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील का फ्रेमवर्क तय हो गया है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बताया कि दोनों देशों में चीनी आयात पर 100% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने से बचने के लिए एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर सहमति बनी ली है। उन्होंने बताया कि चीन पर लागू होने वाला 100% एक्स्ट्रा टैरिफ, अब नहीं लगेगा। वहीं, चीन फिर से अमेरिकी सोयाबीन की खरीद शुरू करेगा। ट्रम्प ने 1 नवंबर से चीन पर एक्स्ट्रा 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। यह फैसला ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले लिया गया है। दोनों के बीच इस हफ्ते गुरुवार को साउथ कोरिया में मुलाकात होगी। इस दौरान दोनों नेता इस फ्रेमवर्क पर चर्चा करेंगे। इस फ्रेमवर्क पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते मिलने पर चर्चा करेंगे। ट्रम्प फिलहाल एशियाई देशों को दौरे पर हैं। उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत मलेशिया से की। यहां उन्होंने आसियान समिट के बीच थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुए शांति समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में हिस्सा लिया। अब वे जापान के लिए रवाना हो गए हैं। चीन का 5 रेयर अर्थ मटेरियल्स के निर्यात पर प्रतिबंध चीन के पास दुनिया के 17 दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल्स) हैं, जिन्हें वह दुनिया को निर्यात करता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक सामान, EVs और डिफेंस सेक्टर में होता है। चीन ने पहले से 7 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल कर रखा था, लेकिन 9 अक्टूबर को इसमें 5 और (होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और यटरबियम) जोड़ दिए गए। यानी कि चीन का 17 में से 12 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल हो गया है। इनके इस्तेमाल से पहले चीन से एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना जरूरी होगा। इस कदम से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सुरक्षा और उद्योग पर असर पड़ सकता है, क्योंकि चीन दुनिया की 70% दुर्लभ खनिज आपूर्ति और 90% प्रोसेसिंग कंट्रोल करता है। चीन ने शीर्ष व्यापार वार्ताकार को हटाया चीन ने अपने शीर्ष व्यापार वार्ताकार ली चेंगगैंग को पद से हटा दिया है। वे हाल ही में अमेरिका के साथ चार दौर की वार्ताओं में शामिल थे। सरकार ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि उन्हें विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन के स्थायी प्रतिनिधि पद से हटाया गया है। उनकी जगह ली योंगजीए को नियुक्त किया गया है। यह बदलाव ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने ली चेंगगैंग के व्यवहार की आलोचना की थी। बेसेंट ने कहा कि ली बिना बुलाए वॉशिंगटन आए और धमकी दी कि अगर अमेरिका ने बंदरगाह शुल्क लगाया, तो चीन ‘वैश्विक अव्यवस्था’ फैलाएगा। इसके बाद, अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच नई बातचीत की तैयारी शुरू हो गई है। दोनों देश मलेशिया में अगली बैठक कर सकते हैं ताकि ट्रम्प और जिनपिंग के शिखर सम्मेलन से पहले कुछ सहमति बन सके। एक्सपर्ट बोले- अमेरिका ने पहले हमला किया, अब मासूम बन रहा ट्रम्प की आक्रामक विदेश नीति को लेकर बीजिंग की रेनमिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिन कनरोंग ने कहा- अमेरिका ने पहले चीन पर हमला किया और अब खुद को निर्दोष दिखाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, शंघाई की फुडान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वू शिनबो ने कहा- ये कदम अमेरिका की गलत मंशा को उजागर करता है। ट्रम्प की टीम को अपने फैसलों के नतीजों का अंदाजा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने चिप्स और तकनीक पर रोक लगाई, अब चीन इसका जवाब दे रहा है। शी और ट्रम्प की प्रस्तावित मुलाकात पर वू ने कहा कि ट्रम्प को रिश्ते सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। चीन अमेरिका का दबाव बर्दाश्त नहीं करेगा। रेनमिन यूनिवर्सिटी के एक अन्य प्रोफेसर वांग यिवेई ने कहा- चीन ट्रम्प की रणनीति को अच्छी तरह समझता है। इस बार अमेरिका ज्यादा परेशान है। हमारा संदेश साफ है कि अमेरिका को चीन के साथ कोऑपरेट करना चाहिए।
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