भारत में संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए अधिक खतरनाक माना जा रहा है। इस खबर ने आम अभिभावकों के बीच डर पैदा कर दिया है जिससे वे बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तमाम तरह के नुस्खे अपना रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली में रखकर ही उनकी इम्युनिटी मजबूत की जा सकती है, इसके लिए अलग से दवाएं लेने की आवश्कता नहीं है। उनका कहना है कि तीसरी लहर के डर से बच्चों को बहुत ज्यादा दवाएं देना खतरनाक साबित हो सकता है।
निश्चित दिनचर्या होना जरूरी
बालरोग विशेषज्ञों का कहना है कि lockdown में बच्चों की लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल गया है। वे देर तक सोते हैं और फिर खाने-पीने का सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। ऐसे में जरूरी है कि उनके सोने, उठने, पढ़ने से लेकर भोजन करने और खेलने का समय नियत रहना जरूरी है। तब वे छुट्टी वाले मोड से बाहर आएंगे। इससे शारीरिक प्रक्रियाओं का चक्र नहीं बिगड़ेगा।
दवाएं नहीं पौष्टिक भोजन बढ़ाएगा इम्युनिटी
जेके लोन अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ सीनियर प्रोफेसर डॉ. आरके गुप्ता बताते हैं कि बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कोई अलग से दवाएं नहीं आतीं। इसके लिए शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी है। बच्चों को जंक फूड या बाहर का पैक्ड भोजन नहीं दें और अधिक से अधिक फल खिलाएं। घर का बना ताजा भोजन ही सबसे पौष्टिक आहार है।
पूरी नींद के लिए स्क्रीन टाइम कम कर दें
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने हाल में पाया कि जो बच्चे ज्यादा देर तक मोबाइल या टीवी देखने में समय बिताते हैं, उनकी नींद उतनी ज्यादा असंतुलित होती है। इसका सीधा असर बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। बच्चों को आठ से दस घंटों तक नींद लेना जरूरी है, इसलिए उन्हें समय पर सुलाने और जगाने की आदत डालें।
बहुत अधिक काढ़ा बीमार कर देगा
बच्चों की प्रतिरक्षा क्षमता वयस्कों के मुकाबले अधिक होती है, यही कारण है कि उन पर कोरोना संक्रमण का खतरा बुजुर्ग-वयस्कों के मुकाबले न्यूनतम होता है। उन्हें बहुत गर्म औषधियों व अन्य घरेलू नुस्खों से दूर रखें। काढ़ा पीने से कोरोना संक्रमण में बचाव के अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने नहीं आए हैं। यह भी याद रखें कि काढ़े की ज्यादा मात्रा कई बच्चों में पेट दर्द और कब्ज की समस्या पैदा करती है।
दूध-दही देगा लाभ
12 साल से छोटे बच्चों को एक गिलास दूध, एक बड़ी कटोरी दही और पनीर का एक टुकड़ा रोज देने से उनके शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा पहुंचती है। अगर सर्दी के डर से दही देने से डर रहे हैं तो उसमें थोड़ा सा जीरा पाउडर मिलाकर खिलाना लाभदायक होगा।
घर के वयस्क ज्यादा सावधान रहें
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, जिन घरों में छोटे बच्चे हैं, वहां के वयस्क सदस्य कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें। छोटे बच्चे तो घर तक ही सीमित रहते हैं जबकि उनके माता-पिता या अन्य परिजन बाहर आते-जाते हैं, ऐसे में इन बच्चों के लिए उनके अपने ही कोविड कैरियर बन सकते हैं। घर में घुसने के बाद तुरंत बच्चों को गोद में न लें। बाहर पहनकर गए कपड़ों को बदल लें और बच्चों से मिलने से पहले खुद को अच्छे से सैनिटाइज करें।
ईएसआई अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि माता-पिता बच्चों के मन में आने वाले प्रश्नों और उनके मन की उत्सुकताओं को ध्यान से सुनें। बच्चे अगर समझदार होने लगे हैं तो उन्हें हाथ धोने, मास्क लगाने और दूरी बनाकर रहने का महत्व साधारण भाषा में समझाएं। बच्चों के सामने हमेशा समाचार न पढ़ते रहें, उनके मन की हर शंका को दूर करने की कोशिश करें ताकि उनके मन में कोई घर न बैठ जाए।
खेलना बेहद जरूरी
लॉकडाउन और संक्रमण के कारण बच्चे बाहर नहीं जा सकते पर उन्हें घर में ही इस तरह के खेल खिलाएं, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक कसरत हो। एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि पिछले एक साल में बच्चों का वजन 6 किलो तक बढ़ गया है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि आपका बच्चा मोटापाग्रस्त न हो जाए, क्योंकि मोटापा होने पर संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है बच्चो के लिए
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