सागवाड़ा नगर में जिग्नेश यादव गौरक्षा दल के सदस्यो को सुचित किया कि सागवाड़ा पशु चिकित्सालय में गौ माता बेसुध अवस्था में पड़ी हुई है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गौ के शरीर के आंख सहित 9 नौ हिस्सो में कीड़े पड़ चुके थे और गौमाता बेसुध अवस्था मे पाई गई ।
गौ रक्षक टीम को यह सुचना प्राप्त हुई तो त्वरित कार्यवाही करते हुए गौरक्षक दल व बजरंग दल के सदस्य मोके पर पहुचे और गौमाता का प्राथमिक उपचार किया गौमाता के खाने और पानी कि व्यवस्था की ।
कडाके कि ठंड मे ठिठुरती गौमाता के लिए जिग्नेश यादव के द्वारा कंबल लाया गया ,अजय बूझ द्वारा गौमाता को बांधने का पट्टा लाया गया जिसमे विशाल भावसार का भी सहयोग रहा ।
गौ रक्षक सुनील भोई,रवि भोई व हितेश भोई द्वारा रस्सी ,कीड़े मारने के लिए दवाई,खाने की व्यवस्था की गई।
वहीं लाइट की व्यवस्था के लिए सागवाड़ा नगर के पूर्व बिट प्रभारी यशपाल सिंह चूंडावत ने बल्ब लगा कर रोशनी कि ।
नगर के नायाब तहसीलदार मयूर शर्मा , व रूद्र वाहिनी संग के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश भोई उपस्थित रहे व पूरी जानकारी ली । पशु चिकित्सालय में गौ रक्षक ने जो कमिया है उनको जल्द से जल्द दुरस्त कराने की मांग रखी जिसमे मुख्य रूप से चिकित्सालय में टीन शेड,खस्ताहाल हो रहे भवन जिनमें गौमाता का ऑपरेशन हो सके एेसी छत पर चाइना मैजिक, पलास्टर व कटीली झाड़ियों को साफ करवाने की माग रखी जिसमे तहसीलदार मयूर शर्मा ने सहमती जताई ।
चिकित्सालय टीम से महेश भाई ने रात मे अपना किमती समय देकर गौरक्षा व गौ सेवा मे अमुल्य योगदान दिया ।
पशु चिकित्सालय सागवाड़ा के डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि वह इस गाय को बचाने में असमर्थ हैं और जब तक जिंदा रह सकती है उसकी सेवा और इलाज कर सकते हैं उन्होने अपनी असमर्थता जताई लेकिन जब गौ रक्षक दल के सदस्यों का हौसला देखा और उनकी मेहनत देखी तो एक बार ऐसा प्रतीत हुआ कि यह गौ माता बच जाएगी और इसी के साथ गौ रक्षक दल ने अपनी मेहनत के साथ इस गौमाता को बचाने का भरसक प्रयास किया। लेकिन आज गुरुवार को दोपहर डेढ बजे श्वास रुकने के बाद गौमाता कि इहलिला समाप्त हो गई।
एक तरफ जहां पर गौ संरक्षण के लिए तरह-तरह की योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही है और लाखों करोड़ों रुपए के बजट आवंटित किए जा रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ सागवाडा उपखंड जैसे क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था के लिए पशु चिकित्सालय में नाम मात्र की सुविधाएं हैं । गौ माता के लिए पशु चिकित्सालय में बहुत ही छोटा टीन शेड बना हुआ है जहां पर फर्श भी नहीं है । चिकित्सा संस्थान में पशुओं के ऑपरेशन की सुविधा नहीं है वही पशुओं की देखरेख के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा इस चिकित्सा संस्थान में नजर नहीं आती है । देखा जाए तो सागवाड़ा क्षेत्र में बेसहारा और बीमार पशुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन को इस विषय में उचित कदम उठाकर पशु चिकित्सालय में उपखंड क्षेत्र को देखते हुए वे सारी सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए जो जरूरी है इस क्षेत्र में गौशाला का भी अभाव है ।