देशव्यापी आह्वान पर किसान आंदोलन के समर्थन में,बलीचा बाईपास पर 3 घंटे चक्काजाम
परम्परागत ढोल,नृत्य के साथ आदिवासियों ने भागीदारी कर दिया समर्थन
किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानून वापस लेने,न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानुनी गारंटी देने,गिरफ्तार निर्दोष किसानों व ट्रैक्टरों को छोड़ने,लापता किसानों को खोजने,किसान आंदोलन का दमन बंद करने,किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग को लेकर,सयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशव्यापी चक्काजाम के समर्थन में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति,उदयपुर द्वारा दोपहर 12 से 3 बजे तक बलीचा बायपास, जयपुर- अहमदाबाद हाईवे पर चक्काजाम किया गया।चक्काजाम की अध्यक्षता विजेंद्र चौधरी,विरेंद्र वैष्णव,लीला शर्मा,महेश शर्मा ने की।
चक्काजाम में केसरियाजी, सराडा,खैरवाड़ा,सलुम्बर से आदिवासी किसान,मजदुर परम्परागत ढोल,थाली के साथ गाते- नाचते आए तो वहीं शहर से अनेक राजनैतिक,किसान,मजदुर,दलित संगठनों ने समर्थन दिया।चक्काजाम स्थल पर आदिवासियों ने वालरा नृत्य किया,मोहन एंड समुह ने "अंबानी- अडानी ना रुपया माते डाके है,मोदी तारों मंडिको जोवो है"गीत गाकर उपस्थित लोगों में जोश भर दिया।चक्काजाम पूर्णत सफल रहा,3 बजे खोला गया।चक्काजाम के दौरान तिरंगे झंडे के साथ किसान,मजदूर,सामाजिक संगठनों के झंडे व ढोल के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम से आदिवासी संस्कृति भी चक्काजाम में देखने को मिली।
चक्काजाम के लिए दोपहर 11.45 बजे कार्यकर्त्ताओ बलीचा बायपास पर जुटने शुरु हो गये, 12 बजे ही दोनों तरफ सड़क रोककर जयपुर- अहमदाबाद राष्टीय राजमार्ग जाम कर दिया।
चक्काजाम स्थल पर सभा कर,वक्ताओं ने सरकार को चेताया।सभा का संचालन डीवाईएफआई राज्य कमेटी सदस्य पवन बैनीवाल ने किया।सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व करौली विधायक लखन सिंह मीणा ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की नाक बड़ी होती है,न कि सरकार की।किसी भी सरकार को कोई कानुन को लेकर जिद नहीं करनी चाहिए।यदि सरकार जिस वर्ग के लिए कानून बना रही है और वह वर्ग नहीं चाहता तो किसी भी सरकार को जिद नहीं करनी चाहिए।मोदी सरकार लोकतंत्र में न्यूनतम प्रतिरोध की आवाज को भी खत्म कर देना चाहती है।आज किसान आंदोलन पर पुलिस के साथ भाजपा कार्यकताओं,गुण्डों से हमले,इंटरनेट,पानी,बिजली,शौचालय जैसी जरुरी सुविधाये काटना अघोषित आपातकाल है।अखिल भारतीय किसान महासभा राज्य उपाध्यक्ष ड्रॉ चंद्रदेव ओला ने कहा कि एक तरफ 26 जनवरी की हिंसा के नाम पर 115 निर्दोष किसानों की गिरफ़्तारी,हजारों ट्रैक्टरों को जब्त कर लिया है।20-30 किसान अभी भी गायब है जबकि घटना का मुख्य आरोपी दीपसिद्वु,लक्खा सरदाना अभी खुले आम घुम रहे है।किसान आंदोलन को जानी मानी अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों के समर्थन को साजिश कहना,सरकार की मुखर्ता है।हम मांग करते है कि गिरफ़्तार निर्दोष किसानों को रिहा किया जावे।
सीटू जिलाध्यक्ष व पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने किसान आंदोलन की मिडीया रिपोर्टिंग रोकने के लिए,स्वतंत्र पत्रकारों की गिरफ़्तारी व झुठे मुकदमे दर्ज करने को निंदनीय बताया।सरकार को क्या सिर्फ गुणगान करने वाले पत्रकार ही चाहिए।किसानों की रसद आपूर्ति रोकने के लिए कंक्रीट दीवार,तार बंदी,कीलबंदी जैसै औछे हथकंडे देश को फासीवाद की ओर ले जा रहा है।जनता को संघर्षों में उतरना होगा।
मेवाड़ किसान संघर्ष समिति संयोजक विष्णु पटेल ने कहा कि उदयपुर में आदिवासियों व किसानों की जमीनों पर पहले से ही कंपनी का कब्जा है।फसल का सही भाव न मिलने के चलते,लोग मजदुरी करने दुसरे राज्यों में जाने को मजबुर है।उदयपुर और मेवाड़ का किसान पुरी तरह से किसान आंदोलन के साथ है।अगर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का दमन करने का प्रयास किया गया तो उदयपुर से जबाव देगे।
जनवादी मजदुर यूनियन सचिव जयंतीलाल मीणा ने कहा कि सरकार ने वर्षों पहले आदिवासियों को सपना दिखाकर जंगल,पहाड़ छीन लिया था।आज आदिवासी की बुरी हालत है।ये कानून किसान को मजदूर बनाकर,पुंजीपतियों के लिए सस्ते श्रमिक उपलब्ध करवाने का खेल है।
मजदूर किसान हक संगठन खेरवाड़ा सह सचिव महेंद्र डामोर ने कहा कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी चाहिए न कि संविदा खेती।कोई पुंजीपति परोपकार के लिए नही बल्कि लाभ कमाने के लिए आएगा।सरकार पर विश्वास करने की बजाय मजबूती से कानुनों की वापसी तक लड़ाई जारी रखनी होगी।
भारतीय किसान यूनियन उदयपुर के मलकीत सिंह ने कहा कि मोदी सरकार सांप्रदायिक,जाति,क्षेत्र के आधार पर विभाजनकारी राजनीति खेलकर सता में आई है।किसान आंदोलन ने सरकार के विभाजनकारी खेल को विफल कर,जनता की एकजुटता कायम की है।
अखिल भारतीय महिला फैडरेशन की सरंक्षक लीला शर्मा ने कहा कि ये तीनों कानून गरीब,मध्यमवर्ग तथा आम नागरिको के राशन को अंबानी अडानी की तिजोरी में बन्द कर देंगे।आज किसान देश की खाध व अन्य जरुरतों के आधार पर पैदा कर,देश का पेट भरता है।आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन,कालाबाजारों को लुट की खुली छुट है।
प्रदर्शन को शहर कांग्रेस अध्यक्ष कृष्ण गोपाल शर्मा,एआईसीसी सदस्य विवेक कटारा,गिर्वा प्रधान सज्जन कटारा,पूर्व विधायक त्रिलोक पूर्बिया,नगर निगम पार्षद राजेंद्र बसीटा,गौरव प्रताप सिंह,अरुण टांक,पूर्व पार्षद चंदा सुहालका,गणपति देवी सालवी,मोडसिंह सिसौदिया पूर्व अध्यक्ष कृषि फल एवं सब्जी मंडी,उदयपुर जनतांत्रिक विचआर मंच से प्रो आर एन व्यास,एडवोकेट अरूण व्यास, शिवानी चौधरी एडवोकेट प्रदेश मंत्री राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी,पूर्ण सिंह जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय किसान महासभा, लालआ मेघवाल जिलाध्यक्ष भीम आर्मी,घनश्याम सिंह तावड़ अखिल भारतीय आदिवासी महासभा,डीएस पालीवाल सरंक्षक जनवादी मजदूर यूनियन,याकूब मोहम्मद नेशनल हॉकर फेडरेशन,सुभाष श्रीमाली भाकपा जिला सचिव,बाबुलाल गावरी बामसेफ,मुन्नवर खां भवन निर्माण मजदूर यूनियन(सीटू) ने भी संबोधित किया।
इस दौरान राव गुमानसिंह,जावेद खां,मोहम्मद निजाम,रिंकु परिहार,भैरु लाल बाटी,कमाल खां,विजय वर्धन,मोहसिन खां,कौशल नागदा,कमल चौधरी,पार्षद रवि तिवाड़ी,गिरिश भारती,हिदामत,श्यआम गुर्जर पार्षद पति,ड्रॉ संजीव राजपुरोहित,पन्नलाल मेंघवाल,रामाश्य,रामचंद्र शर्मा सहित हजारों किसान,मजदुर,आदिवासी, महिलाएँ,नौजवान,आम नागरिको ने भाग लिया।
उदयपुर से नितेश पटेल की रिपोर्ट