वैश्विक महामारी कोरोना की पहली लहर ने लोगों में इतनी दशहत नहीं फैलाई जितनी दुसरी लहर ने । पहली लहर में कॉरोना जांच के बाद पॉजिटिव पाए गए लोगों में लक्षण तक नहीं दिखाई दिए थे । और अगर पहली लहर की चपेट में कोई आया तो वह उम्रदराज व्यक्ति थे। जिसमें कुछ बुजुर्ग काल के ग्रास भी बने । पहली लहर में ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं हुई। लोगों में कोरोना के प्रति इतना डर नहीं था और भगवान की मेहरबानी से पहली लहर ठीक तरह से सरकार की पकड़ में रही और पहली लहर शांत हुई । इस दौरान सरकार ने लॉकडाउन लगाकर पहली लहर को काफी हद तक रोकने का प्रयास किया और उसमें सफल भी रही ।
वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर में जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कोरोना ने अपना रूद रूप दिखाया और कई जवान युवा मोत की भेंट चढ़ गए । कहीं मां बाप ने अपने जवान बेटों को खो दिया तो कहीं बच्चों ने अपने जवान पिता को खो दिया। कहीं बहने अपने भाई को देख तक नहीं सकी तो कहीं पत्नियां अपने पति को बिना देखे ही इस दुनिया से विदाई देती नजर आई। इस दौरान ऐसे ऐसे दृश्य देखे कि कहीं लाशों को उठाने वाले लोग नजर नहीं आए । सरकार ने लोक डाउन भी लगाया तो ऐसा की लॉक डाउन होने के बावजूद भी लॉकडाउन सिर्फ एक नाम मात्र का रहा। जबकि इस दूसरी लहर में सख्त लोग डाउन की जरूरत थी । इसके बावजूद लॉकडाउन में पारदर्शिता नजर नहीं आई और इसी की वजह से कोरोना की दूसरी लहर ने अपना रौद्र रूप दिखाया । परमपिता परमेश्वर की दया से अचानक कोरोना पर किस तरह से लगाम लगी यह तो वही जानता है । लेकिन इस वक्त दूसरी लहर थम सी गई है और जन जीवन सामान्य हो गया है। इस दौरान कई लोग कहीं युवा भयभीत भी हुए ऑक्सीजन की भयंकर कमी नजर आई। लोग इस वक्त कोरोना को भूल से गए हैं और फिर से वही सामान्य जनजीवन चलने लग गया है । कई लोगों ने मास्क को लगाना भी भुला दिया है ऐसे में यह घोर लापरवाही तीसरी लहर पर कितनी भारी पड़ सकती है? यह तो समय ही बता सकता है।
अब हम बात करते हैं संभावित तीसरी लहर की -
जैसा की अटकलें लगाई जा रही हैं कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर बहुत ही बुरा असर छोड़ेगी लेकिन यह तो समय ही बता पाएगा कि कोरोना की तीसरी लहर कितना असर दिखाएगी? इस वक्त जिस तरह की लापरवाही दिखाई जा रही है वह कहीं ना कहीं अगर तीसरी लहर अपना असर दिखाएगी तो बहुत ही भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। वैसे देखा जाए तो इस वक्त गांव के छोटे बच्चे कोरोना की वास्तविकता से परिचित हो गए हैं और स्वयं अपने बचाव की जानकारी रखते हुए बचाव के उपायों को कर रहे हैं
लेकिन शहर में बच्चों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है जो बहुत ही घातक साबित हो सकता है। बच्चों के मां-बाप को अपने बच्चों को कोर्णाक मंदिर जानकारी जरूर देनी चाहिए और उन्हें घर से बाहर अति आवश्यक कार्य हो तभी बाहर भेजना चाहिए लेकिन ऐसा दिखाई नहीं दे रहा।
अब हम बात करते हैं प्रशासन की सतर्कता की तो जैसा कि जिला प्रशासन कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सचेत दिखाई दे रहा है लेकिन अस्पतालों में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर किसी भी तरह की सतर्कता देखी नहीं जा रही है कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद अस्पतालों में वही स्थितियां नजर आ रही है जैसा बाजारों में स्थिति या नजर आ रही हैं।
जन सामान्य की बात करें तो बाजारों में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि होली दीपावली राखी जितने भी बड़े त्यौहार हैं सभी एक साथ आ गए हो। और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शादियों का समय भी अभी ही चल रहा है जितना हो सके जी भर के खरीदारी करने के लिए लोग टूट पड़े हैं और यही लापरवाही तीसरी लहर पर भारी पड़ सकती है।
बात करें बचाव की तो जहां तक हो सके भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में जाने से बचना चाहिए और अति आवश्यक कार्य होने पर ही बाजार में आना चाहिए और सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जो कोरोना के बचाव के उपाय हैं उन्हें निरंतर जारी रखना चाहिए और टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए।