कलेक्टर से लगा कर तहसीलदार तक नहीं पकड़ पाये फर्जी आदेश को राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का एक आदेश डूंगरपुर जिला कलेक्टर के नाम 16 जून 2022 को आता है जिसमे सागवाड़ा में स्थित कडाणा बांध में आवप्त की गई भूमि मूल खतेदारो को लौटाने के निर्देश दिये जाते है । उक्त पत्र 22 जुलाई को उपखण्ड अधिकारी सागवाड़ा को कलेक्टर द्वारा भेजा जाता है। एसडीएम सागवाड़ा से उक्त पत्र 27 जुलाई को सागवाड़ा तहसीलदार के पास पहुंचता है इसके बाद सागवाड़ा तहसीलदार की ओर से 9 अगस्त को उक्त भूमि का नामांतरण खोल कर 10 अगस्त को इसकी विक्रय रजिस्ट्री कर दी जाती है 16 अगस्त को कलेक्टर को पता चलता है की राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का आदेश फर्जी है। जिसके बाद कलेक्टर के आदेश पर तहसीलदार सागवाड़ा की ओर से कूटरचित दस्तावेज से नामांतरण व रजिस्ट्री करवाने का मामला दर्ज किया जाता है।
आखिर बिना जांच क्यो खोल दिया नामांतरण ? सागवाड़ा में कडाणा की बेशकीमती भूमि के नामांतरण को लेकर निकले आदेश की जानकारी कडाणा विभाग को मिलने पर 8 अगस्त को उन्होंने कलेक्टर व एसडीएम सागवाड़ा को एक पत्र लिखा था जिसमे उप शासन सचिव की ओर से दिये गये निर्देश पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया था । उक्त पत्र में यह भूमि कडाणा विभाग की है उसकी तथ्यात्मक टिप्पणी की गई थी इसके बाद भी 9 अगस्त को ही गोवाडी पटवारी राकेश मकवाना और गिरदावर मुकेश भोई ने करोड़ो की सरकारी भूमि का नामांतरण निजी व्यक्ति के नाम खोल दिया और 10 अगस्त को तहसीलदार द्वारा बेचान रजिस्ट्री कर दी गई ।
नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में जल्दबाजी उक्त भूमि के नामांतरण खोलने व रजिस्ट्री करने में जल्दबाजी की गई। राज्य सरकार कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौपने की घोषणा की गई है । उक्त भूमि की समस्त जानकारी तहसीलदार को होने के बाद भी इस भूमि की रजिस्ट्री कर देने से पूरा मामला संदिग्ध नज़र आ रहा है। राज्य सरकार कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौपने की घोषणा के बाद तहसीलदार मयूर शर्मा के निर्देशन में एक एक इंच भूमि का सर्वे करवाया गया था इसके बाद भी उक्त भूमि के नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में जल्दबाजी की गई ।
कूटरचित दस्तावेज से नामान्तरकरण एवं विकय विलेख पंजीबद्ध का मामला उक्त भूमि के नामांतरण खोलने व रजिस्ट्री करने में जल्दबाजी की गई। राज्य सरकार कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौपने की घोषणा की गई है । उक्त भूमि की समस्त जानकारी तहसीलदार को होने के बाद भी इस भूमि की रजिस्ट्री कर देने से पूरा मामला संदिग्ध नज़र आ रहा है। राज्य सरकार कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौपने की घोषणा के बाद तहसीलदार मयूर शर्मा के निर्देशन में एक एक इंच भूमि का सर्वे करवाया गया था इसके बाद भी उक्त भूमि के नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में जल्दबाजी की गई ।
कूटरचित दस्तावेज से नामान्तरकरण एवं विकय विलेख पंजीबद्ध का मामला कूटरचित दस्तावेज के माध्यम से खरीदी जा रही इस भूमि का बाज़ार मूल्य करीब 30 करोड़ रुपये बताई जा रहा है। यह भूमि सागवाड़ा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 927A पर डूंगरपुर सागवाड़ा मार्ग पर मुख्य डाकघर के है पास स्थित है ।
वर्जन 1 : राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का एक आदेश डूंगरपुर जिला कलेक्टर से प्राप्त हुआ था जिसके बाद तहसीलदार द्वारा उक्त भूमि का नामांतरण खोल रजिस्ट्री की गई । पत्र फर्जी होने की जानकारी होने पर नामांतरण निरस्त कर दिया गया है और रजिस्ट्री कोर्ट से ही निरस्त हो सकेगी। इस मामले में एफआईआर की गई है। - रामचंद्र खटीक, उपखंड अधिकारी, सागवाड़ा |
वर्जन 2 : उक्त भूमि का नामांतरण खोला जा रहा है यह संज्ञान में आने के बाद 8 अगस्त को कलेक्टर और उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर पुनर्विचार करने का निवेदन किया था । 10 अगस्त को तहसीलदार सागवाड़ा को एक ओर पत्र लिखा था। हाईकोर्ट का फैसला है कि कडाणा की भूमि का नामांतरण किसी ओर के नाम से नहीं खोला जा सकता है । - ताराचंद गहलोत, एक्सईएन, 1 कडाणा विभाग सागवाड़ा ।
इस पूरे मामले को लेकर फिलहाल तीनों अधिकारियों से हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर यह पूरा मामला क्या है क्योंकि जिले में जिलाधीश महोदय के निगरानी में राजस्व विभाग रहता है आखिर इतना बड़ा हेरा फेरी का अगर कांड हुआ तो जिलाधीश की नजरों में बचकर यह कांड कैसे हुआ कहीं ना कहीं कुछ तो बात छिपी हुई है जो उजागर नहीं हो रही है। इस पूरे मामले को लेकर शीघ्र ही पड़ताल की जाएगी और यह जानने की कोशिश की जाएगी कि आखिर इतना बड़ा मामला कैसे हुआ ।