सबसे पहले हम बात करते हैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजस्थान में 19 नए जिले बनाने की घोषणा की। जिसमें सलूंबर को नया जिला घोषित किया गया। जहां तक आबादी की बात करें तो सलूंबर कस्बे की आबादी लगभग 16000 के करीब है जो 2011 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार है। नया जिला घोषित करने के बाद इसमें अब आसपुर, मुंगेड, साबला को जोड़ने की बात सुनी जा रही है। अब इसमें सवाल यह उठता है कि साबला डूंगरपुर जिले की सबसे बड़ी धरोहर बेणेश्वर धाम के नाम से पहचाना जाता था। और वागड़ वासियों की आस्था का और आन बान शान का प्रतीक भी था। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बेणेश्वर धाम वागड़ वासियों के लिए धर्म नगरी कहा जाता है। नए जिले की घोषणा के बाद अब डूंगरपुर जिले का बेणेश्वर धाम सलूंबर जिले में चला जाएगा। ऐसे में वागड़ का बेणेश्वर धाम अब मेवाड़ में चला जाएगा। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सलूंबर मेवाड़ की बोलचाल और रहन-सहन तौर-तरीके सभी वागड़ से भिन्न है ऐसे में यह कहां तक तालमेल बैठाएगा? सोशल मीडिया पर इस बात का जमकर जिक्र कर रहे हैं लोग।
अब बात करते हैं सागवाड़ा शहर की जिसकी आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार सरकारी आंकड़ों में 30,000 के लगभग बताई जा रही है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सागवाड़ा की राजनीति हर समय पूरे राजस्थान में गरमाई हुई रहती है। बात करें कनेक्टिविटी की तो सागवाड़ा उदयपुर बांसवाड़ा और डूंगरपुर सभी तरह से कनेक्ट है। ऐसे में एक आशा जताई जा रही थी कि सागवाड़ा को जिला घोषित किया जाएगा लेकिन जब जिलों की घोषणा हुई तो सागवाड़ा का कहीं नामोनिशान नहीं आया जिससे सागवाड़ा के क्षेत्र के लोगों में भारी निराशा देखी जा रही है। वही बात करें डेवलपमेंट की तो सागवाड़ा को अगर जिला घोषित किया जाता तो जिस तरह से सागवाड़ा विकास की ओर अग्रसर है जिला घोषित होने के बाद सागवाड़ा के विकास में चार चांद लग जाते।
अब बात करें एक लाख के लगभग आबादी वाले 2011 की जनगणना के अनुसार बांसवाड़ा की तो उसे संभाग घोषित कर दिया गया जिससे वागड़ वासियों में खुशी की लहर जरूर है क्योंकि संभाग स्तरीय कार्य के लिए अब उदयपुर तक वागड़ वासियों को नहीं जाना पड़ेगा । संभाग घोषित होने के बाद अब एक आशा जाग रही है कि वागड़ का विकास चहुमुखी होगा। लेकिन बात करें डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की तो इसमें लोकसभा के सांसद के संसदीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा मेवाड़ में चला गया वहीं कुछ हिस्सा वागड़ में रह गया ऐसे में उदयपुर संभाग और बांसवाड़ा संभाग के बीच डूंगरपुर बांसवाड़ा के सांसद 2 संभागों के मालिक बन गए। बात करें तहसील स्तर की तो ओबरी को तहसील घोषित कर दिया गया। आपको बता दें कि बनकोड़ा और ओबरी पाडवा इन तीनों को उप तहसील घोषित किया गया था जो कुछ ही समय पूर्व राजस्थान सरकार ने घोषणा की थी। अब ओबरी को उप तहसील से तहसील बना देने के बाद बनकोड़ा क्षेत्र के लोगों में भारी निराशा है। क्योंकि अब उनकी पुरानी तहसील आसपुर तो सलूंबर जिले में चली गई। ऐसे में लगे हाथो बनकोड़ा को भी तहसील घोषित कर दिया होता तो बनकोड़ा के बाशिंदे भी खुशी का जश्न मनाते । सरोदा को उप तहसील घोषित कर दिया गया । अब हम बात करते हैं इन सभी कार्यालयों में अधिकारियों और कार्मिकों की तो पहले से ही स्टाफ की कमी की वजह से आए दिन परेशानियां होती हैं अब नई तहसीलें नए जिले घोषणा होने के बाद पुरानी तहसील है और पुराने जिलों में स्टाफ बढ़ेगा या नए जिलों में या नई तहसीलों में स्टाफ की कमी पूर्ति की जाएगी।चुनाव के महज चंद महीनों से पहले इस तरह की घोषणाएं सोशल मीडिया पर जमकर तंज कसते हुई नजर आ रही है। मदरसा में 6000 टीचरों की भर्ती का भी ऐलान किया है ऐसे में सरकारी विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध नहीं है। तो नई भर्ती कर सरकार क्या साबित करना चाहती है सोशल मीडिया पर इसका भी जमकर जिक्र हो रहा है। खैर जो भी हो लेकिन चुनाव से ठीक कुछ महीनों पूर्व इस तरह की घोषणाएं कहीं न कहीं गहलोत सरकार के 19 जिलों से नए विधायकों का समर्थन जुटाने में पुरजोर कोशिश साबित हो रही है।