10 जुलाई 23 से होने वाले शहरी ओलंपिक की तैयारियों को लेकर पालिका सभागार में हुई बैठक
- पार्षद, संस्था प्रधान और शारीरिक शिक्षकों को हुई बैठक में शहरी ओलंपिक को लेकर हुई चर्चा
सागवाडा। मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार आयोजित प्रथम शहरी ओलंपिक खेलकूद प्रतियोगिता की तैयारियों को लेकर बैठक हुई। मुख्य अतिथि दिनेश खोडनिया रहे। अध्यक्षता नरेन्द्र खोडनिया ने की। सीबीईईओ नरेन्द्र भट्ट, इओ लाल शंकर बलाई, एसीबीईईओ प्रदीप सिंह चौहान व रोहित जोशी व मुख्य निर्णायक चन्द्रकांत जोशी की मौजूदगी में आयोजित हुई बैठक में शहरी ओलंपिक को सफल बनाने को लेकर दिशा निर्देश दिये गये। 10 जुलाई से प्रारंभ हो रहे राजीव गांधी ओलंपिक की तैयारियों को लेकर शारीरिक शिक्षकों को उनके दायित्व के बारे में जानकारी दी गई। पालिका अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया ने बताया कि 10 जुलाई से शुरू होने वाले इस ओलंपिक में शहरी क्षेत्र के 6 हज़ार और ग्रामीण क्षेत्र के 8500 खिलाड़ी भाग लेंगे। बैठक में कार्य विभाजन के साथ ही मैदान का चयन और खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर चर्चा की गई है। सात दिवसीय इस आयोजन में सामग्री की संपूर्ण ज़िम्मेदारी नगरपालिका और पंचायत समिति की होगी। साथ ही खेल संबंधी सम्पूर्ण व्यवस्था और मैदानों के चयन की ज़िम्मेदारी शिक्षा विभाग को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस विभाग से भी सहयोग लिया जाएगा। इस प्रतियोगिता में फूटबाल, टेनिस बॉल क्रिकेट, वॉलीबॉल, कबड्डी, शूटिंग बाल खेलों को शामिल किया गया है।
बैठक में नगर क्षेत्र के सभी प्रधानाचार्य, प्रारंभिक शिक्षा विभाग के खेल प्रकोष्ठ प्रभारी जितेन्द्र सिंह राठौड़, वीरेंद्र सिंह राव, हरीश पाटीदार, सुरेन्द्र भट्ट, मगन यादव, सुधीर पाटीदार, जितेंद्र जोशी सहित लादू गवारिया दिनेश गुप्ता आकाश शाह शहरी ओलंपिक प्रभारी रोशन व्यास मौजूद रहे। संचालन कुलदीप सिंह बनकोड़ा ने किया व आभार हरीश पाटीदार माना।
इस दौरान समस्त शारीरिक शिक्षा संघ के सदस्यों ने कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश खोडनिया से मुलाक़ात कर अपनी माँगो से अवगत कराया। दिनेश खोडनिया को सौंपे ज्ञापन में बताया गया कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के 105 के नामांकन पर ही शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने की बाध्यता को समाप्त किया जाए। जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन 105 से कम है वहाँ शारीरिक शिक्षक का पद नहीं दिया जाता है। ऐसे में उन विद्यालयों में शारीरिक गतिविधियां नहीं हो पाती है अतः इस बाध्यता को समाप्त किया जाना आवश्यक है।