सरकार ने सर्दी के मौसम को देखते हुए प्रदेश के चिकित्सा विभाग को सतर्क किया है कि शीत में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ सकती है, इसे देखते हुए जरूरी तैयारी व एहतियातन व्यवस्थाएं करनी होंगी। यही नहीं अब तक गर्मियों में तो मरीजों को कई नियमित सामग्री की जरूरत नहीं थी, लेकिन इस बार सर्दियों में अतिरिक्त सामग्री की भी जरूरत होगी। इसे लेकर चिकित्सा विभाग भी सतर्क है, व सर्दी बढऩे से पहले ही जरूरी इंतजाम पूरे करने की तैयारी में जुट गया है।
सर्दी, खांसी और जुकाम के मरीज घर पर नहीं रुके
चिकित्सा विभाग ने अलर्ट जारी कर हर आमोखास से अपील की है कि सामान्य फ्लू होने पर भी वे नजदीकी चिकित्सालय में तत्काल दिखाकर चिकित्सक की राय लें, यदि चिकित्सक संदिग्ध पाता है तो तत्काल कोविड टेस्ट की सलाह देगा। इसी आधार पर जांच भी हो सकेगी।
- सामान्य शीत का असर होने पर भी घर पर स्वयं उपचार नहीं करना है। हर व्यक्ति को पूरी गंभीरता बरतते हुए तत्काल चिकित्सक के पास जाना है।
- विभाग ने स्पष्ट किया है कि सर्दी की तैयारियों को लेकर अतिरिक्त कबंल की जरूरत पडऩे पर इसे तुरंत मंगवाया जा सकेगा
ये तैयारी है एमबी की
- आईएलआई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस) ओपीडी फिलहाल स्कीन विभाग में जारी हैं। हर व्यक्ति को जिसे स्वयं सर्दी, जुकाम होता है, वह अन्य कयास नहीं लगाकर ओपीडी में जांच करवाएंगे तो स्थिति स्वत: सामने आ जाएगी।
- सर्दी में संक्रमण करने वाला वायरस अधिक समय तक वातावरण में घुला रहता है, ऐसे में कोविड-19 के संक्रमण की संख्या भी बढऩे की संभावना है।
- जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त कंबंल व अत्यधिक सर्दी होने पर हीटर की सुविधा भी शुरू की जा सकती है।
अन्य वायरस की तरह फैला तो पड़ेगा भारी- आशंका तो यही है कि कोरोना वायरस ने यदि अपने परिवार के अन्य वायरस की तरह व्यवहार किया तो सर्दियों में इसका संक्रमण बढ़ जाएगा। इंसानों में होने वाले हर संक्रामक रोग का एक ख़ास मौसम होता है, जैसे सर्दियों में फ्लू और कॉमन-कोल्ड होता है। उसी तरह गर्मियों में पोलिया और वसंत के मौसम में मीज़ल्स और चिकनपॉक्स फैलता है, चूंकि सारे संक्रामक रोग मौसम के हिसाब से बढ़ते हैं, इसलिए ये माना जा रहा है कि कोरोना भी सर्दी में बढ़ेगा।
- कोरोना वायरस के संबंध में अभी तक जो प्रमाण मिले हैं, वो बताते हैं कि ह्यूमिडिटी जब बहुत अधिक होती है, कोरोना वायरस के लिए फैलना मुश्किल होता है। वायरस तापमान और हवा में मौजूद नमी के हिसाब से फैलता है, ये पक्के तौर पर एक समस्या है, वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से जाएगा या नहीं, ह्यूमिडिटी इसमें अहम रोल अदा करती है। सर्दियों में तापमान गिरने से जब ह्यूमिडिटी में कमी आएगी, तब ये वायरस हवा में अधिक से अधिक समय तक मौजूद रह सकता है। ये वायरस बंद जगहों में भी तेज़ी से फैलता है, सर्दियों में लोग बंद जगहों में अधिक रहते हैं। इन दो तथ्यों को जब हम इंसानों के व्यवहार के साथ मिलाकर देखते हैं तो यही लगता है कि सर्दियों में कोरोना वायरस तेज़ी से फैलेगा। शुरुआती दिनों में ही मरीज़ को कोई ऐसी दवा लेनी चाहिए जिससे कोरोना वायरस शरीर के भीतर अपनी मौजूदगी बढ़ा ना सके और संक्रमण को बढऩे से रोका जा सकेण। दूसरा ये कि मरीज़ का इम्यून सिस्टम कमज़ोर ना हो पाए, इसके लिए रेमडेसिवीर और डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल किया जा रहा है ट्रायल्स में इन दोनों ही दवाओं के उत्साहवर्धक नतीजे मिले हैंण् डेक्सामेथासोन की उपलब्धता को लेकर फिलहाल कोई दिक्कत नहीं हैए लेकिन रेमडेसिवीर का तीन महीने का पूरा स्टॉक अमरीका ने खऱीद लिया है वो कहती हैं हमेशा से यही होता आया हैण् महामारी के समय कोई दवा कारगर साबित होती है तो सब उस दवा के पीछे भागते हैं और फिर वो दवा मिलना बंद हो जाती है मुझे कई डॉक्टरों ने बताया है कि मरीज रेमडेसिवीर के लिए तरस रहे हैं ब्लड प्लाज़्माइमेज स्रोतएच्। डम्क्प्।कोरोना वायरस के इलाज के लिए जो तीसरा तरीका आज़माया जा रहा है वो है ब्लड प्लाज़्मा थैरेपीण्ब्लड प्लाज़्मा थैरेपी के बारे में कैथरीन वू का मानना हैए ष्संक्रामक रोगों के इलाज के लिए ये तरीका 100 साल से ज्यादा समय से अपनाया जा रहा है ये काम तो करता हैए लेकिन दिक्कत ये है कि एक व्यक्ति का प्लाज़्मा दूसरे व्यक्ति पर असर करेगाए इसकी कोई गारंटी नहीं है ब्लड प्लाज़्मा थैरेपीए गैम्बलिंग की तरह हैण्ष्कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में ऐसे लाखों लोग हैं जो संक्रमित होने के बाद सही समय पर मिले इलाज की वजह से ठीक हो गए लेकिन क्या सर्दी के मौसम में कोरोना वायरस इन लोगों को दोबारा निशाना नहीं बनाएगाघ्इस सवाल पर कैथरीन वू का मानना है अभी तक ऐसे चिंताजनक मामले सामने नहीं आए हैंए जिनमें कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति कोए दोबारा कोरोना हो गया होण् दोबारा संक्रमित होना बहुत बड़ी समस्या बन सकता हैण् फिलहाल इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एक बार कोरोना संक्रमण होने के बाद दोबारा संक्रमण नहीं होगा । इम्यूनिटी की ढाल कोरोना वायरस से आखरि़ कब तक बचाएगीए ये सवाल बहुत महत्वपूर्ण है । इससे ना सिर्फ कोरोना को कंट्रोल करने में मदद मिलेगीए बल्कि असरदार वैक्सीन बनाने का राज़ भी इसी सवाल में छिपा हुआ हैण्फिलहाल वैक्सीन को लेकर जो अनिश्चितता बनी हुई हैए उसकी वजह से सर्दियों में कोरोना के मामले बढऩे की आशंकाए चिंता की लकीरों को और गहरा कर देती हैण्ड सेनेट्राईजर रणनीति कोरोना से बचाव करेगी । बात बहुत स्पष्ट है कि जब अगला फ्लू सीजऩ आएगाए हमें कोरोना इंफेक्शन की सेकेंड वे का सामना करना पड़ेगा सवाल ये है कि सेकेंड वेसे हम कैसे निपटेंगे बीमारी को फैलने से कैसे रोकेंगे और संक्रमित हुए मरीज़ों का ठीक से इलाज कैसे करेंगे सवाल हैं जूडिथ वाल के जो बार्सिलोना यूनिवर्सिटी में श्हेल्थ एंड लेबर इकॉनोमिक्सश् की प्रोफेसर हैंण्प्रोफेसर जूडिथ का मानना है कि साल 2020 के पहले आठ महीनों में जो अनुभव हुए हैंए उनसे सबक सीखना ज़रूरी हैण्सर्दियों में कोरोना का ख़तरा बढऩे की आशंकाओं पर वो कहती हैंए सिस्टम में तालमेल बढ़ाना होगाण् प्राइमरी हैल्थ सेंटर्स और बड़े अस्पतालों में तालमेल की ज़रूरत हैण् लोकल लेवल पर ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट करने होंगे और केवल गंभीर मरीज़ों को ही बड़े अस्पताल में भर्ती कराना होगाए सेकेंड वेव की नौबत आने पर सिस्टम तभी कारगर तरीके से काम कर पाएगा ।
हर स्तर पर हम तैयार हैं। मरीजों को सामान्य से सामान्य जुकाम होने पर तत्काल हॉस्पिटल में डॉक्टर को दिखाना है। किसी को भी किसी भी हालात को हल्के में नही लेना है।
डॉ आरएल सुमन, अधीक्षक एमबी हॉस्पिटल उदयपुर
हमने विभाग में सभी प्रभारी अधिकारियों के माध्यम से सभी को सचेत कर दिया है। सभी प्रकार की जरूरी दवाएं व अन्य व्यवस्थाएं कर दी गई है। सर्दी में लोगों से भी अपील की जा रही है कि कोई भी स्वयं उपचार करने का प्रयास नहीं करें।
डॉ दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ उदयपुर