अजमेर ज़िले सहीत राजस्थान के कई जिलो में लोगों के लीवर ख़तरे में
अधिक मात्रा में काढ़ा कर रहा है लीवर का कबाड़ा
अज़ीब लगेगा आज का ब्लॉग मगर पढ़ लें,काम आएगा ,नहीं पढ़ने वाला रोयेगा,पछतायेगा
जितेन्द्र सिंह चौहान
विगत आठ माह में अजमेर जिले सहीत राजस्थान के अधिकांश जिलो में सबसे ज्यादा लीवरों के खराब होने की संख्या बढ़ी है। लीवर की खराबी के मामले तेज़ी से सामने आ रहे हैं।
केकड़ी ,बिजयनगर, ब्यावर, पीसांगन, मसूदा ,भिनाय ,पुष्कर किशनगढ़ ,रूपनगढ़ अराईं सहीत राजस्थान के अधिकांश जिलो मे अचानक लीवर संबंधी शिक़ायतों से चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया है । पूरे जिले में एक साथ हज़ारों की संख्या में रोगी खाना हजम ना होने, खून न बनने ,अल्सर ,पेट में जलन आदि मर्ज़ लेकर सामने आ रहे हैं। लोगों के लीवर कमज़ोर होने से "लीवर सिरोसिस" जैसी बीमारियां गंभीर रूप धारण करने लगी हैं।
मुझे जब कुछ फिजिशियन चिकित्सकों ने यह बताया तो मैंने अनेक विशेषज्ञ लीवर विशेषज्ञों से सलाह ली । कारण जानने चाहे ।आप ताज़्ज़ुब करेंगे कि जिले में लीवर से जुड़े रोगों को लेकर लोगों की शिकायतों की एक खास वज़ह कोरोना से बचने के लिए काम में आने वाला काढ़ा है । अधिक मात्रा में लगातार काढ़ा लिए जाने से लोगों के लीवर प्रभावित होने लगे हैं।
आप भी कहेंगे कि जितेन्द्र जी यह भी क्या ब्लॉग का विषय है।
मैं आपका शुभचिंतक हूँ।हर उस विषय पर क़लम उठा लूंगा जो आपकी जिंदगी के लिए ख़तरनाक़ है।
कोरोना काल में नियमित काढ़ा लेने की सलाह आयुर्वेदिक पद्धति की मांग है। मेरी भी.. लेकिन यहां आपको बता दूं कि काढ़े की मात्रा यदि बिना अंतराल के ज्यादा हो जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।
दरअसल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़े का प्रयोग किया जाता है । यह सबसे बेहतरीन औषधि है, मगर विगत सात आठ माह से लोग इकलौते काढ़े के दम पर कोरोना से लड़ाई लड़ने की तकनीक अपनाए हुए हैं।
काढ़े में क्यों कि अत्यंत गर्म तासीर की औषधियां डाली जाती हैं अतः लगातार गर्म औषधियों का सेवन खतरनाक हो जाता है। जिसको आप अमृत मान कर लगातार ले रहे हैं वह काढ़ा शरीर में गर्मी बढ़ाकर विभिन्न अंगों पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है।
अनेक चिकित्सकों और अनुभवी वैद्यों से बात करने के बाद यह ब्लॉग लिख रहा हूं। इसे आप ध्यान से पढ़ें और काढ़े का सेवन सोच समझकर आवश्यकता अनुसार ही करें। यह शत प्रतिशत सही है कि काढ़े में प्रयुक्त औषधियां कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कामयाब रही हैं। काढ़े को इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है मगर इसका उपयोग डॉक्टरों की सलाह पर ही किया जाना चाहिए ।
हम सोशल मीडिया की सलाह पर अंधाधुंध काढ़े का सेवन किए जा रहे हैं। देखा जा रहा है कि इम्युनिटी बढाने के लिए लोग काढ़ा, विटामिन सप्लीमेंट के साथ, रसोई में मौजूद औषधीय गुण वाले मसालों का प्रयोग भी कर रहे हैं। काढ़े में काली मिर्च, लौंग ,दालचीनी, एलोवेरा, तुलसी सहित लगभग सभी गर्म औषधियों का प्रयोग होता है। सौंठ भी इसमें प्रयुक्त होती है। कई लोग तो सुबह शाम काढ़े का सेवन कर रहे हैं। ऐसे लोगों के पेट में जलन होने लगी है। जो लोग इसे मामूली मानकर ध्यान नहीं दे रहे यह तय है कि वे अंत में लीवर से हाथ धो बैठेंगे।
कहते हैं शराबी लोगों का लीवर अधिकतर खराब हो जाता है मगर पिछले आठ महीनों में शराबियों के साथ काढा सेवन करने वाले भी अपने लीवर का सत्यानाश कर रहे हैं ।
अजमेर जिले में इन दिनों उदर रोग पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। गैस्ट्रोलॉजिस्ट के पास पहुंचकर लोग पेट दर्द ,ऐठन, दस्त, कब्ज की शिक़ायत कर रहे हैं । जांच रिपोर्ट में आहार नली के संक्रमण की बात सामने आ रही है। लीवर के साथ अल्सर के मामले भी बढ़ रहे हैं।
यहां आपको बता दूं कि दालचीनी में है हेपेटटॉक्सिन ज्यादा होता है। इसलिए इसकी अधिक मात्रा खतरनाक है। यदि आप काढ़े का प्रयोग मनमाने तरीके से कर रहे हैं तो तुरंत बंद कर दें। याद रखें काढ़ा यूँ तो पूर्णतया सुरक्षित होता है, लाभदायक भी, मगर इसका प्रयोग शारीरिक और मानसिक स्थिति जानने के बाद ही किया जाना चाहिए। बेहिसाब काढ़ा आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। काढ़े की मात्रा पुरुष स्त्रियों और बच्चों के लिए अलग-अलग होती है, जिसका हम ध्यान नहीं रखते।
मित्रों!! इम्यूनिटी रातों-रात नहीं बढ़ती .इसे धीरे-धीरे विकसित करें! जल्दबाजी महंगी पड़ सकती है।
मुझे उम्मीद है आप मेरी सलाह पर ध्यान देंगे।ब्लॉग को अपने मित्रों तक पहुंचाएं ताकि वे भी काढ़े से लीवर बर्बाद न कर लें। और जब तक who कोरोना कि वेक्सिन बनने कि पुख्ता खबर न दे तब तक अपने आप को बचाए और अनगर्ल दवाईयो के बारे मे लोगो को न बताए ।
कोरोना से बचने का एक मात्र उपाय है "अपने आप को बचाओ"
दो गज कि दुरी हाथ धोना है जरुरी
मास्क है आपकि ढाल जो बचाएगा कोरोना संक्रमण से ।
धन्यवाद