डूंगरपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता व पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा है कि कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष दिनेश खोड़निया की चुनौती वे स्वीकार करते है। खोड़निया तारीख तय करें और डीसीसी की बैठक बुलाएं ताकि कांग्रेस-भाजपा गठबंधन को लेकर दुध का दुध और पानी का पानी हो जाएं। भगोरा ने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में बीटीपी को पैदा करने वाले खोड़निया मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे है। डीसीसी की जाजम पर जिले के तमाम कांग्रेसजनों को बुलाया जाएं और हर आरोप पर बात हो।
भगोरा ने बयान में बताया कि बीटीपी को पैदा करने का श्रेय ही दिनेश खोड़निया को जाता है, मैं १९९५ से कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में हूं। वाट्सएप पर कांग्रेस चलाने वाले खोड़निया को नहीं पता कि धरातल पर कांग्रेस उनकी नीतियों से ही कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि बीते २५ साल से कांग्रेस की राजनीति में काम करते हुए कराएं गए विकास के कार्य पार्टी के प्रतिष्ठा निष्ठा का प्रमाण है। कांग्रेस को जेब की संस्था बनाने की मुहिम तो सागवाड़ा से चल रही है,ओर पार्टी के पदाधिकारीओ को सागवाड़ा बैठक कर बुलाया जाता है जबकि पार्टी के काम तो कांग्रेस कार्यालय में बैठकर होने चाहिए।जब इसका विरोध किया तो आरोप प्रत्यारोप की राजनीति शुरू कर दी।
भगोरा ने कहा कि खोड़निया ने मुझ पर आदिवासी नेताओं को लड़ाने का आरोप लगाया है जबकि सच्चाई यह है कि मैंने जिले के विकास के लिए काम किया जो आमजन जानता है। खोड़निया ने जिलाध्यक्ष का नेतृत्व संभालने के पहले भी ओर बाद में भी हमेशा मुझे रोकने का प्रयास किया। उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार के दो साल के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को बुलाया गया और मुझ पर आरोप लगाएं गए। अब कांग्रेसजनों में ही इस बात की चर्चा है कि सरकार का दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर कार्यक्रम में बुलाया था तो आरोप प्रत्यारोप की राजनीति क्यों चलाई गई। भगोरा ने कहा कि सोमवार को अपने लोगों को बुलाकर कांग्रेस के आम कार्यकर्ता को पार्टी से दूर करने का षडयंत्र खोड़निया द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं ना सम्मान का भूखा हूं और ना ही सीनियर नेता मनवाना चाहता हूं, मैं आज भी कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता हूं ओर कांग्रेस के खिलाफ कार्य करने वाले को कटघरे में खड़ा करने में चुप नही रहूंगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-भाजपा का गठबंधन से इनकार करने वाले दिनेश खोड़निया और विधायक गणेश घोघरा बताएं कि भाजपा की टिकट पर चुनाव लडक़र जिला परिषद सदस्य बनने वाली सूर्या अहारी ने निर्दलीय नामांकन क्यों भरा और जब जिला प्रमुख निर्वाचित हुई तो सबसे पहले भाजपा कार्यालय क्यों गई और भाजपा ने जश्न क्यो मनाया ओर जयपुर में भाजपा नेताओं से क्यों मिली जहा स्वागत किसका किया गया। कांग्रेस के सदस्य सागवाड़ा सुरभि होटल से किसको दिए गए और भाजपा के वाहन में वोट डालने क्यों पहुंचे।
भगोरा ने बयान में बताया कि वर्ष १९९६ में दिनेश खोड़निया कांग्रेस में कहीं नजर नहीं आते थे, लेकिन जब मुझे सांसद का टिकट मिला तो असरार अहमद के साथ उदयपुर जाकर टिकट कटवाने का प्रयास किया। वर्ष १९९८ में आसपुर विधानसभा का चुनाव लड़ा तो खोडनिया और असरार ने पूर्व जिला प्रमुख महेंद्र परमार के पुत्र जयनारायण को निर्दलीय खड़ा कर चुनाव लड़वाया। मैने आसपुर विधायक रहते मुख्यमंत्री के हाथ भीखा भाई केनाल का शुभारंभ करवाया जो सागवाड़ा होते हुए आज कुंआ तक पहुंच गई है। कांग्रेस पार्टी जिले की कमल कांग्रेस से बात के लिए तैयार है, बैठक बुलाई जाएं और आमने सामने बात की जाएं।
भगोरा ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हर माह बात होती है, ओर स्वंय गहलोत प्रदेश के नेताओं से महीने में रामासामी करते जो जगजाहिर है लेकिन खोड़निया ने गत आठ माह से मेरी मुख्यमंत्री से किसी प्रकार की बात नहीं होने का भ्रम फैलाकर मेरी छवि बिगाडऩे का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कार्य करने वाले किसी नेता की एंट्री बांसवाडा तो ठीक है लेकिन ओर भी कहीं पर बंद नहीं हो सकती। खोड़निया ने बांसवाड़ा में एंट्री बंद करने का झूठा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में सागवाड़ा में खोड़निया ने बीटीपी से समझौता किया, यदि उस वक्त समझौता नहीं किया होता तो आज बीटीपी क्षेत्रीय राजनीति में नहीं होती।
भगोरा ने कहा कि विधायक गणेश घोघरा कांग्रेस में जिले का नया नेतृत्व है और वे जहां तक आगे जाएंगे मैं उनके साथ खड़ा हूं, लेकिन गणेश घोघरा को चाहिए कि वे खोड़निया के झांसे में नहीं आएं। भगोरा ने कहा कि मैं टेलीफोन एक्सचेंज में था तब से मेरे व्यक्तिगत संबंध कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से है, मुझ पर अंगुली पकडक़र राजनीति शुरू करवाने का आरोप भी गलत है। उन्होंने कहा कि मैंने कमल कांग्रेस का विरोध किया है और मैं इस विरोध पर अटल हूं।
भगोरा ने कहा कि कांग्रेस में खोड़निया जैसे अवसरवादी लोगों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। उनकी जगह कमल कांग्रेस में ही ठीक है। खोड़निया ने जब से राजनीति में प्रवेश किया, गुटबाजी के अलावा कोई काम नहीं किया। संभागभर में आदिवासी नेताओं को लड़वाया और अपनी राजनीति चमकाई। कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी में प्रभाव रखने वाले चार महाजन, ब्राह्मण, एससी और एसटी व ओबीसी के पदाधिकारियों को हटा दिया जिसकी क्या आवश्यकता थी। खोड़निया की दोहरी नीति से आदिवासी युवाओं ने कांग्रेस से किनारा किया। उन्होंने कहा कि वर्ष १९७३ में छात्र राजनीति से कांग्रेस में प्रवेश किया और १९७९ में भीखा भाई के साथ काम कर अहम भूमिका निभाई जब खोड़निया कहीं नजर नहीं आते थे। उन्होंने कहा कि जब मुझे सांसद की टिकट मिली खोड़निया ने विदेश दौरा किया, वे कभी मेरे साथ खड़े नही रहे। भगोरा ने कहा कि खोड़निया को जिलाध्यक्ष बनाने में मेरी क्या भूमिका है तमाम कांग्रेसजन और जिले कि जनता जानती है।ओर खोड़निया की भूमिका कांग्रेस पार्टी के लिए व आदिवासी नेताओ के साथ-साथ अन्य समाजों के नेताओं में किस प्रकार की है वो जनता सब जानती है किसी को समझाने की जरूरत नही है।वागड़ की जनता पढ़ीलिखी है अब कोई खोड़निया की चाल में फंसने वाला नही है।