मात्र 8 रुपए मे भोजन उपलब्ध करावाने वाली इंदिरा रसोई योजना मे धिरे धिरे राजनिती प्रारंभ हो रही है । 2 जनवरी 2021 को पंडीत दीनदयाल उपाध्याय राजकिय चिकित्सालय सागवाडा के सरकारी उपभोक्ता भंडार के सामने मरिजो के परिजनों के रात्री विश्राम के लिए बनाए गए बरामदे मे इंदिरा रसोई योजना को प्रारम्भ किया गया है। पहले दिन इस योजना मे कोई गरीब भुखा न सोए के संकल्प को साकार करने कि दिशा मे इंदिरा रसोई योजना का शुभारंभ किया गया था लेकिन दो दिन के बाद ही कोई भुखा न सोए के संकल्प को साकार करने कि दिशा मे इंदिरा रसोई योजना चलने लगी । अचानक गरिब शब्द को हटा दिया गया । बडे बडे साईन बोर्ड भी हटा दिए गए । लेकिन अचानक नगरपालिका चुनाव सामने आते ही राजस्थान कि कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही उस बेनर से हटा देना या उसको ढक देना सोचने के लिए मजबुर करता है कि आखिर एसा क्या फायदा या नुकसान हो रहा है कि इस बेनर से मुख्यमंत्री का फोटो दबाया जा रहा है । खाने मे भी राजनिती!
बता दे कि अभी आचार संहिता लागु है और अगर एसे मे यह किया गया है तो प्रसुती गृह से सरकारी उपभोक्ता भंडार के रास्ते पर इस बेनर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोटो पर पर्दा क्यु नही डाला गया ।
ज्ञात रहे इससे पहले अन्न कि देवी अन्नपुर्णा के नाम से भाजपा सरकार ने इस योजना का नाम अन्नपुर्णा रसोई रखा था और इस योजना मे 5 रुपए मे भोजन उपलब्ध करवाया जाता था । लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस योजना का नाम अन्नपुर्णा रसोई से बदल कर इंदिरा रसोई योजना रख दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोटो पर पर्दा डालना समज नही आ रहा है । वही इस योजना के चलते सागवाडा सरकारी अस्पताल मे मात्र 30 से 40 लोग प्रतिदिन औसत लाभ लेते है जबकि यहा पहले से ही वाडेल द्वारा संचालित भामाशाहो द्वारा मरिजो को निशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।
Sagwara पतंगोत्सव 2021 कि झलक👇
पोष्टीक भोजन कि बात करे तो 8 रुपए मे 4 रोटी दाल चावल और आचार देने वाली इंदिरा रसोई योजना मे कुछ भी पोष्टीक तत्व नजर नही ा आरहा है दाल के अंदर किसी दाल का अंश नजर नही आता है और रोटी घंटो पहले बनी होती है । कई भोजन ग्रहण करने वालो ने शिकायत कि है कि कई बार उन्हे चावल उपलब्ध नही होते है । आचार कि बात करे तो हमने स्वयं देखा बहुत ही पुराना और घटीया क्वालीटी का आचार दिया जाता है । कई बार रोटी भी कम उपलब्ध होती है ।
अब इस योजना से कितने लोगो को फायदा हुआ और कितनो को नुकसान?
देखा जाए तो इस बरामदे मे कम से कम 25 से 30 मरिजो के साथ आए परिजन रात्री विश्राम करते थे अब 10 लोग भी यहा नही सो पाते है । जबकि प्रतिदिन सुबह शाम इस योजना से 30-40 लोग भोजन कर रहे है ।
इधर सागवाडा राजकिय चिकित्सालय दिन प्रतिदिन सकडा होता जा रहा है वही अब इस योजना से और भी सकडा हो गाया है ।
अब ये कोनसी राजनिती है समज नही आ रहा लो़