एक तरफ सरकार की गाइडलाइंस और दूसरी तरफ सरकार के दिशा निर्देश- अमल कोन करे?
जहां एक तरफ सरकार की गाइडलाइंस यह कहती है कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के लिए उनके मां-बाप की रजामंदी से मास्क सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए पढ़ने के लिए भेजा जा सकता है, वहीं सरकारी दिशा निर्देश स्कूल के प्रधानाध्यापकों को दिए जाते हैं कि स्कूल में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं जहां पर स्कूलों में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के दौरान बच्चों की भीड़ जुटी और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी और मास्क सैनिटाइजर का कहीं नामोनिशान नहीं दिखाई दिया यहां तक की इन कार्यक्रमों के दौरान स्वयं संस्था प्रधान और संचालकों ने भी सरकार की गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाई ऐसे में अगर किसी भी प्रकार की अनहोनी होती है या कोई बच्चा बीमार होता है कोरोना पॉजिटिव होता है तो इसका जिम्मेदार कौन?
अभी हाल ही में उदयपुर में एक स्कूल के 28 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और धड़ल्ले से स्कूल में बच्चे पढ़ाई के लिए जा रहे हैं तो किस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना और कोरोना से बचाव किया जाएगा। सरकार की दोहरी गाइडलाइंस के चलते असमंजस की स्थिति है कि क्या वास्तव में कोरोना महामारी जैसा कोई प्रकोप है या एक महज लोगों को बहकाया जा रहा है ? लोगों को भ्रमित किया जा रहा है?
राजस्थान के उदयपुर में कोरोना ब्लास्ट की जानकारी मिली है। यहां शुक्रवार सुबह अंबामाता स्थित प्रज्ञा चक्षु माध्यमिक अंध विद्यालय में बच्चे एक साथ कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग में हड़कम्प मच गया है। एक ही स्कूल के बच्चों के बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर स्कूल को सेनेटाइज कराया गया है। साथ ही बाकी बच्चों की जांच कराए जाने की व्यवस्था की गई है। विद्यालय के आसपास के इलाके को कंटेंटमेंट जोन घोषित कर दिया है। उदयपुर जिला कलेक्टर चेतनराम देवड़ा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रशासन एवं चिकित्सा दल के साथ स्कूल पहुंचे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश खराड़ी ने कहा कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में संक्रमित आना चिंता की बात है। अंध विद्यालय में बीते दिनों जो भी लोग आए थे। अब सभी का पता लगाकर उनकी जांच कराई जाएगी। ताकि शहर में बढ़ते संक्रमण को काबू किया जा सके।
दरअसल, इस स्कूल के स्टाफ तथा अन्य बच्चों की कोरोना जांच के लिए व्यवस्था संबंधी निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ।दिनेश खराड़ी ने बताया कि दो दिन पहले इस स्कूल की एक शिक्षिका के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद स्कूल प्राचार्य ने स्टाफ तथा बच्चों की कोरोना जांच कराने के लिए पत्र लिखा था।
जब किसी क्षेत्र में अचानक कोरोना पॉजिटिव की मरीज की संख्या बढ़ जाती है तो उस क्षेत्र को रेड कंटेंटमेंट जोन घोषित कर पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है । सिर्फ आपातकालीन सेवाएं जारी रहती हैं।
हाल ही में डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा शहर की मोहरा बाड़ी क्षेत्र में अचानक कोरोना पॉजिटिव मरीज की संख्या बढ़ने से इस क्षेत्र को रेड कंटेंटमेंट जोन घोषित कर पूरी तरह से लॉकडउन कर दिया गया है। आपातकालीन सेवाओं के अलावा किसी भी तरह से इस क्षेत्र में आवाजाही बंद कर दी गई है। जबकि हकीकत कुछ और ही है इस क्षेत्र में बाहरी लोगों का आना-जाना जारी है । अभी हाल ही की ताजा खबर मिलने तक बोहरा वाड़ी क्षेत्र सागवाड़ा मे नए कोरोना पॉजिटिव मरीज बराबरी सागवाड़ा में आने के बाद यह संख्या पहुंच गई है 120 के पार ।
कंटेंटमेंट जॉन के अंदर निवास कर रहे लोग बाजारों में घूम रहे हैं फिर किस तरह का लॉकडाउन? जिला पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया और प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए शक्ति से नियमों की पालना करने का निर्देश भी दिया गया लेकिन सब कुछ महज एक कार्यवाही में सिमटकर दिखाई दिया।
एक तरफ जहां पर कोविड-19 वैक्सीनेशन का कार्य किया जा रहा है जहां पर तीसरे चरण में सिर्फ सीनियर सिटीजन वृद्ध नागरिकों को जिनकी आयु 59 वर्ष से अधिक है उन्हें टीकाकरण किया जा रहा है । वहीं पर विशेष देखने जैसी बात सामने आई कि रेड कंटेनमेंट जोन के लोग भी टीकाकरण करने के लिए पहुंच गए जबकि इसमें से एक की आयु 25 से 30 वर्ष दिखाई दे रही है। अब यहां पर ऐसे वृद्ध भी पहुंचे हैं जो अनभिज्ञ हैं कि उनके पास बैठे लोग रेड कंटेंटमेंट जॉन से आए हुए हैं तो किस तरह से सुरक्षित हैं टीकाकरण का यह कार्य?