कौन संक्रमित है किसको पता
सेंपलिंग के दौरान रोज कि व्यथा
सागवाड़ा / पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा में हर रोज करीब सौ से उपर लगभग कोरोना सेंपल लिए जाते हैं । और दुसरे दिन कि रिपोर्ट में 15 से 25 पोजेटीव मरीज आते हैं । मतलब यह कि सेंपलिंग की भीड़ में हर तिसरा या पांचवां व्यक्ति कोरोनावायरस से पिडित है । बावजूद सामाजिक दुरियां कि धज्जियां उड़ाई जाती है । एसे में कितना सुरक्षित है सेंपलिंग करवाना? संबंधित विभाग के लिए प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है । साथ ही एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि कितने सुरक्षित हैं सेंपलिंग करने वाले कार्मिक और उनका परिवार?
अब बात करते हैं सेंपलिंग के बाद कि । जब सभी लोगों का सेंपलिंग हो जाता है तो सेंपलिंग के दौरान उपयोग में लाई गई (वेस्टेज) वस्तुओं का निस्तारण कौन करेगा?
सेंपलिंग करने की जगह पुरी तरह से खुली हुई है जहां पर उपर की तरफ प्रसुती ग्रह है । प्रसुता के साथ आए अंजान परिजन यहां पर बैठ कर खाना खाते हैं । एसे में कितनी बड़ी लापरवाही झलकती है । यहां तक कि सेंपलिंग के दौरान उपयोग में लिए गए पिपिई किट भी वही पर उतार कर फेंक दिया जाता है । और वह भी खुले में एसे में कितना सुरक्षित है सेंपलिंग?
छोटी से छोटी लापरवाही बहुत ही बड़ा नुक़सान कर सकती हैं लेकिन आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।