पुरे देश में कोरोना को लेकर स्थिति गंभीर बनी हुई है, हर तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर, आक्सोमिटर, ऑक्सीजन रेगुलेटर, वेंटिलेटर, बेड कि चर्चा सुनाई दे रही है । लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में जहां कोविड वार्ड है सफाई व्यवस्था तक नहीं दिखाई दे रही है । कोरोना को लेकर बार बार हाथ धोना सफाई रखना का ज्ञान देने वाला प्रशासन अस्पताल की सुध नहीं ले रहा है । इस गंदगी के बीच कोरोना पॉजिटिव मरीज जिंदगी की जंग लड रहे हैं तो वहीं उनके परिजन भी इस वार्ड में बेहिचक घुम रहे हैं ।
अस्पताल में सफाई व्यवस्था का जायजा लिया गया तो पाया गया कि गंदगी की वजह से काफी बदबू आ रही है ।
अस्पताल में सफाई कर्मचारी कि कमी के चलते नाबालिग कम उम्र के बच्चे जिनको इस कोरोना महामारी में घर रहना चाहिए अस्पताल में काम पर लगाया गया है । आखिर इन सबका जिम्मेदार कौन है?
हर अस्पताल में कोविड वार्ड भरे पड़े हुए हैं । मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है वहीं मरीज को सुलाने के लिए बेड नहीं है जबकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा में 15 बेड का वार्ड जहां ऑक्सीजन सप्लाई की लाईन बिछाई हुई है धुल फांक रहा है ।
पहले इस वार्ड को कोविड सेंटर बनाया गया था और ऑक्सीजन सप्लाई के लिए कनेक्शन भी दिया गया था और यह वार्ड पुरे अस्पताल परिसर से सुरक्षित जगह पर था लेकिन अचानक इस वार्ड को बदल दिया गया । और कोरोना वार्ड को ऑर्थोपेडिक वार्ड और मेडिकल वार्ड में सिफ्ट कर दिया गया । और कोरोना वार्ड को ऑर्थोपेडिक वार्ड और मेडिकल वार्ड बना दिया गया । जिसकी वजह से कोरमा मरिजो के अलावा अब दुसरे मरीज़ सरकारी अस्पताल में आने से भी घबरा गए हैं ।
बड़े बड़े दावे करने वाले अस्पताल के पास वेंटिलेटर तो है पर उसको ऑपरेटिंग करने वाला कोई नहीं ।
आम जनता से यही निवेदन है कि कोरोना से घबराए नहीं । होंसला रखे । बस कुछ दिनों तक अपने आप को घर में लॉकडाउन कर लीजिए।
(नोट - अस्पताल में व्यवस्था बिगाड़ने का मुख्य कारण व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित नहीं कर पाना है संसाधनों की कोई कमी नहीं है)