डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखंड अंतर्गत पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा के मुकेश पाटीदार जो मुलत डैयाणा के निवासी हैं पिछले 2माह से सड़क दुर्घटना में अपना एक पांव बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर बैठे हैं । डॉक्टर उन्हें तिन महीने तक घर पर बेड रेस्ट की सलाह दे चुके हैं । पाटीदार ने इससे पहले अस्पताल के कोरोना वार्ड कॉरंटाईन सेंटर पर अपनी सेवाएं भी दी है। अब बैसाखी के सहारे चलने वाले मेल नर्स मुकेश पाटीदार के अलावा अस्पताल प्रशासन को कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने के लिए कोई स्टाफ नजर नहीं आ रहा है । जबकि मुकेश पाटीदार बताते हैं कि उन्हें डॉक्टर ने तिन महीने तक अपने पांव पर वजन नहीं लेने की सलाह दी है । इसके बावजूद पाटीदार को ड्यूटी के लिए अस्पताल प्रशासन दबाव बना रहा है । मानवता के नाते कहा तक उचित है ? इससे पहले भी एसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं जिसमें महज दो महीने बाद सेवा निवृत्त होने वाले कर्मचारियों को कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने के लिए बाध्य किया गया है ।
अब देखना यह है कि मुकेश पाटीदार को कोविड वार्ड में ड्यूटी करने के लिए बाध्य करने वाला अस्पताल प्रशासन बैसाखी को पीपीई किट पहनाएगा या मुकेश पाटीदार खुद पिपिई किट पहनकर कर अपने पैरों पर खड़ा हो कर कोविड मरीज कि सेवा करेंगे ।
मानवता को झकझोर कर रख देने वाला यह मामला जब मुकेश पाटीदार कोविड वार्ड में ड्यूटी करने आएंगे तब ही सामने आएगा । फिलहाल अस्पताल प्रशासन ने अपना तुगलकी फरमान जारी कर दिया है । और मुकेश पाटीदार को 31 मई से कोविज वार्ड में ड्यूटी करने के आदेश थमा दिए गए हैं ।
हालांकि मेल नर्स मुकेश पाटीदार का कहना है कि वे कोविड वार्ड में ड्यूटी करने के लिए तैयार है लेकिन खुद अपने पेरो पर खड़े रहने में असक्षम पाटीदार मरिजो की देखभाल कैसे करेंगे ? यह अस्पताल प्रशासन के लिए एक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। कई बार पाटीदार बैसाखी पर लड़खड़ाते हुए अपने आप को बचाते हैं एसे में कोविड वार्ड में ड्यूटी करने आएंगे तब वे बैसाखी और पीपीई किट में किस तरह से अपने आप को सुरक्षित रखने में कामयाब होंगे । और अगर एसे में खुद संक्रमित हो गए तो फिर वही कहावत चरितार्थ हो जाती है कि आसमान से टपके तो खजुर में लटके ।
इस विषय में मानवता के नाते एक बार फिर से अस्पताल प्रशासन को सोचने की जरूरत है । अन्यथा शारीरिक रूप से असक्षम पाटीदार के साथ कोविड वार्ड में ड्यूटी के दौरान अगर कोई अनहोनी घटना घटित होती है तो मानवता अस्पताल प्रशासन को कतई माफ नहीं करेगी।
इनका कहना है- अगर कोई कर्मचारी या कार्मिक जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ है और इलाज के बाद डॉक्टर ने आरोग्य प्रमाण पत्र जारी किया है तो इसका मतलब यह है कि वह कार्मिक काम करने के लिए फिट है । और मुकेश पाटीदार को आरोग्य प्रमाण पत्र 27 मई को जारी किए हैं । और इसके बाद उन्होंने कार्य भार संभाला है । अगर वे स्वस्थ नहीं है तो फिर उन्हें आरोग्य प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता। । डॉक्टर ने उन्हें कार्य करने के लिए सक्षम माना है । अगर वे कार्य करने योग्य नहीं थे तो कार्य भार क्यों संभाला? कार्य करने योग्य होने की स्थिति में हमें इस वक्त कर्मचारी की जरूरत है ।
कार्यवाहक नर्सिंग अधीक्षक इंदिरा झाला
पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा जिला डूंगरपुर राजस्थान