डूंगरपुर जिले की एक ऐसी ग्राम पंचायत जो रात को करवाती है निर्माण कार्य। दिन में करती है आराम।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डूंगरपुर जिले के गलियाकोट तहसील अंतर्गत चीतरी ग्राम पंचायत में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर एक दुकानदार अपनी दुकान को खोल कर बैठता है और उस दुकान के 3 फिट के सामने दीवार खड़ी हुई देखता है। माना कि बहुत जमीन ग्राम पंचायत के अंतर्गत आबादी क्षेत्र में आती है लेकिन उस जमीन का मालिक ग्राम पंचायत चीतरी है। अब देखा जाए तो वह जमीन चीतरी गांव की संपत्ति है उस पर किसी का अधिकार नहीं। अगर ग्राम पंचायत चाहे तो उस जमीन को बेच सकती है या चाहे तो किसी को अलॉट कर सकती है लेकिन नैतिकता के आधार पर देखा जाए तो उस जमीन पर पहला हक किसका?
लेकिन ग्राम पंचायत न जाने किस स्वार्थ से उस जमीन को चारदीवारी में बंद कर एक दुकान को ढकना चाह रही है। मामला कुतबी ऑटोमोबाइल चितरी का है । गलियाकोट निवासी कुतुबुद्दीन पिता फखरुद्दीन जिसकी दुकान के आगे 15 फीट की जमीन ग्राम पंचायत की आबादी की है और उसके आगे एक सड़क निकल रही है पूर्व की दिशा में एक और कारखाना है पश्चिम की दिशा में गलियाकोट सागवाड़ा सड़क निकलती है जो इस दुकान से काफी ऊंचाई पर स्थित है। दक्षिण में इस दुकान की पीछे और भी दुकानें बनी हुई है और उत्तर में इस दुकान का मुख्य द्वार है जहां से इस दुकान में ग्राहकों का आना जाना लगा रहता है। बरसों से दुकान में उत्तर की दिशा में मुख्य सड़क से निकलने वाली सड़क पर ग्राहक आते जाते रहते हैं फिर एकाएक ग्राम पंचायत चितरी इस जमीन पर दीवार खड़ी कर देती है।
कुतुबुद्दीन बोहरा ने इस मामले को लेकर सागवाड़ा अदालत में एक याचिका भी दायर कर रखी है और उपखंड अधिकारी गलियाकोट को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर पूरे मामले से अवगत करवाया है और उपखंड अधिकारी ने ग्राम पंचायत चीतरी को निर्देश दिए हैं कि पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत निहित नियमों और शक्तियों को उपयोग में लेते हुए उक्त मामले को निपटाया जाए। लेकिन ग्राम पंचायत चितरी ने इस मामले की कार्रवाई किस तरह से कि देखिए।
इस पूरे मामले को लेकर ग्राम पंचायत के सचिव जयेश पाटीदार कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं।
शुक्रवार 2021,18 जून को जब सागवाड़ा लाइव न्यूज के रिपोर्टर मौके पर पहुंचे तो ग्राम पंचायत का निर्माणाधीन कार्य बंद पड़ा पाया गया। लेकिन रात को 9:00 बजे खबर मिली कि ग्राम पंचायत द्वारा रातों-रात निर्माण कार्य को पुनः प्रारंभ किया गया है अब सवाल यह उठता है कि आखिर में ऐसा कौन सा महत्वपूर्ण निर्माण कार्य ग्राम पंचायत करवा रही है जिसको आधी रात को करवाना जरूरी है?
अगर यह जमीन ग्राम पंचायत की है और आबादी क्षेत्र की है तो इसे ग्राम पंचायत की ही कहा जाएगा लेकिन क्या किसी घर या दुकान के आगे दीवार खड़ी कर देना और उस दुकान या घर का रास्ता रोक देना ग्राम पंचायत के लिए उचित होगा? क्या सागवाड़ा न्यायालय के फैसले का इंतजार करना ग्राम पंचायत चित्र के लिए जरूरी नहीं है? क्या दुकानदार को ग्राम पंचायत की क्रम में बुलाकर इस मामले पर विचार विमर्श करना उचित नहीं है? या फिर तानाशाह ग्राम पंचायत अपनी मनमानी करती रहेगी?
क्या एक अल्पसंख्यक समुदाय को इस तरह से दबाव में लाना उचित है? पूछता है वागड़