डूंगरपुर राजस्थान के डूंगरपुर जिले में कोरोना के ताजा आंकड़ों से पत्रकारों को अवगत नहीं करवया जाता इसके पीछे मुख्य कारण क्या है यह तो चिकित्सा विभाग ही बता सकता है । लेकिन फिलहाल कोरोना के ताजा आंकड़े सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर व्हाट्सएप ग्रुप और अन्य प्लेटफार्म पर लोग वायरल करते हुए नजर आते हैं लेकिन यही आंकड़े सही तरीके से पत्रकारों के पास नहीं पहुंचते हैं । ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि आखिर पत्रकारों को कोरोना रिपोर्ट के आंकड़े क्यों नहीं उपलब्ध करवाए जाते? इनमें से कुछ मुख्य कारण जो पत्रकारों ने विश्लेषण कर बताएं ।।।
पहला कारण चिकित्सा विभाग नहीं चाहता है कि कोरोना के ताजा आंकड़े पत्रकारों को पहुंचाया जाए इससे गुप्त ही रखा जाए लेकिन अन्य सोशल साइट पर वायरल होते यह आंकड़े चिकित्सा विभाग की गोपनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
दूसरा कारण या तो कोरोना एक महज मलेरिया डेंगू की तरह हो गया है जिसकी वजह से अब इसकी अहमियत चिकित्सा विभाग नहीं समझता कि इसके आंकड़े पत्रकारों तक पहुंचाया जाए और इस समय कोरोना की स्थिति क्या है यह लोगों को बताया जाए।
तीसरा कारण चिकित्सा विभाग के पास फिलहाल इतना समय नहीं है कि वह पत्रकारों को कोरोना की रिपोर्ट भेजें और फिलहाल स्थिति यह है कि लगभग 50% लोग कोरोना से ग्रसित हो चुके हैं हर घर में लगभग लोग सर्दी जुखाम और बुखार से पीड़ित है । लेकिन चिकित्सा विभाग यह नहीं समझता कि इस विषय में कोई उचित कदम उठाए जाएं।
चौथा कारण जो बहुत महत्वपूर्ण है राजस्थान सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए करोड़ों रुपए का बजट तय कर रखा है और उसी के मुताबिक करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं प्रति व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव के पीछे कितना बजट निर्धारित है यह भी सभी जानते हैं और इस वक्त कोरोना अपनी चरम सीमा पार कर चुका है यह सभी जानते हैं । अब ऐसे में कोरोना की रिपोर्ट पत्रकारों को उपलब्ध करवाना यानी सीधे-सीधे बजट पर उंगली उठाना क्योंकि फिलहाल कोरोना पॉजिटिव मरीज अपने घरों में ही ठीक हो रहे हैं और ऐसे में बजट का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है इस पर सवालिया निशान लग रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर में चिकित्सा विभाग के कई अधिकारियों ने जमकर बजट पर हाथ साफ किया लेकिन किसी ने इस तरफ नजर उठाकर नहीं देखा।
फिलहाल कोरोना अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है और ऐसे में वैरीअंट कब अपना रुख बदलकर घातक रूप ले इसका कोई ठिकाना नहीं । लेकिन चिकित्सा विभाग और संबंधित अधिकारी अपने हाल में मस्त हैं। पत्रकार इसी सोच में बैठे हैं कि कब उन्हें कोरोना की ताजा खबर और ताजा आंकड़े दिए जाएंगे लेकिन पत्रकारों को भी यह ज्ञात हो गया है कि जब कोरोना अपना घातक रूप लेगा तभी चिकित्सा विभाग पत्रकारों की सुध लेगा। क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकार ही कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लोगों को जागरूक और सचेत रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है और आगे भी निभाता रहेगा लेकिन चिकित्सा विभाग और संबंधित विभाग गैर जिम्मेदाराना तरीके से अपना काम कर रहा है।