फेंको मत हमें दो:--- अनचाहे शिशु को पालना गृह मे रखना कितना सुरक्षित है। यह तो इन तस्वीरों से स्पष्ट हो ही रहा है। जहां कभी कुत्ते तो कभी मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को देखा गया है अब तो यहां निराश्रित पशुओ ने भी डेरा डाल दिया है। बोलते हैं तो बुरा लगता है। पर अनचाहा शिशु गलती से भी अगर कोई यहां रख कर चला गया तो उसका क्या हाल होगा आप समझ सकते हैं।
तस्वीरें पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा की है जी हां वही पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा जहां इस अस्पताल को लोकार्पण करने के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ये कहा था कि यह अस्पताल नहीं एक होटल लग रहा है। इतना बड़ियां और साफ सुथरा अस्पताल जहां कोई मरीज आता है तो अस्पताल को देखकर अपना दुख दर्द भुल जाता है। लेकिन उसी अस्पताल में वर्तमान परिस्थितियां कुछ अलग है। बोलते हैं तो साहब को बुरा लगता है। पर बोलने से रहा भी नहीं जाता। क्यों कि ये सब नजरो के सामने होता है और आम जनता के लिए बोलना ही पड़ता है।
एआरटी सेंटर में पशु विचरण करते हुए
ए आर टी सेंटर जी हां जहा पर दिन भर मरीज खुन पेशाब की जांच करवाने जाते हैं। टीबी के मरीज दवाई लेने जाते हैं। महिलाएं एवं पुरुष सोनोग्राफी करवाने जाते हैं। गार्ड के अभाव में निराश्रित पशुओ के तांडव का सामना करते हुए जाते हैं। अस्पताल का नहीं हमारा भी नहीं सागवाडा की जनता का ही नहीं पर जननायक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तो लिहाज़ करो साहब। पास में ही उनका बैनर लगा हुआ है। और ये द्रष्य शोभायमान हो रहे हैं। बोलते हैं तो बहुत बुरा लगता है । पर फिर भी बोलना पड़ता है साहब क्यों कि इस अस्पताल में कई बार वार्ड में कुत्तों को देखा है कई दफा निराश्रित पशुओ को ओपिडी में विचरण करते हुए देखा गया है। आएमआएस में पैसा भी बहुत पडा है पर उपयोग नहीं करना है। एक गार्ड दिन में और एक रात में लगाने की जरूरत है साहब पर पैसा खर्च नहीं करना है।
बोलते हैं तो बस बुरा लग जाता है साहब पर बोलना तो पड़ता ही है।