दास्ता ऐ वागड़ कि धरा की कलाकार रोशनी बरोट कि
हौसला बुलंद हो तो तुफानो से क्या घबराना इसी बात कों चरितार्थ करने का जिताजागता उदाहरण है रोशनी बरोट यह दास्तां है संघर्षों में आगे बढ़ी मॉडल व समाजसेवी रोशनी बारोट की जिन्होंने अपनी जिन्दगी के हर अंधियारे में अपने हौसलों के दम पर ना सिर्फ खुद को रोशन कर दिया बल्कि वागड़ कि धरा के कलाकारों कि उम्मीदों को भी रोशन कर दिया। इनके लिए बस यह पक्तियां ही कही जाए तो भी कम है -
हौसले की तरकश में कोशिश का तीर जिंदा रख,
हार जाए चाहे जिंदगी में कुछ भी,
लेकिन जीतने की उम्मीद जिंदा रख।
डॉ. डी.बी.ठाकुर ने बताया कि करीब 24 साल पहले कि बात है रोशनी के पिताजी लालशंकरजी बारोट का एक रोड एक्सीडेंट में असामयिक निधन हो गया। पाडवा के पास कुछ दूरी पर भासौर गांव में पिताजी अपने किसी परिचित की बीमारी में उससे मिलने निकले थे कि रास्ते में हादसा हो गया। सिर पर गहरी चोट लगी। तब डूंगरपुर में चिकित्सा व्यवस्था इतनी बेहतर नहीं थी। अहमदाबाद लेकर गए जहां डॉक्टर ने पिताजी को मृत घोषित कर दिया। उस समय रोशनी की उम्र महज ढाई साल रही होगी। इधर, पिताजी की देह को जब गांव लेकर पहुंचे तो मां बेसुध हो गईं। कुएं में कूद कर जान देने दौड़ पड़ीं। मां के पीछे-पीछे रोशनी भी मां-मां करते हुए भाग रही थी। तभी एक ठोकर लगी और रोशनी ऐसी गिरी की हाथ टूट गया और बेहोंश हो गई। हालांकि गांव के लोगों ने रोशनी की मां को संभाला और ढांढस बंधाया मगर वक्त की उस ठोकर ने रोशनी को खुद को अंदर से इतना मजबूत बना दिया कि ठान लिया कि जीवन में अब मान और सम्मान के साथ ऊंचाइयों को छूना है। पिताजी की मौत के उस हादसे को लेकर बाल मन में अमिट हो गईं यादें आज भी जब कभी परिजनों के साथ बातचीत में ताजा होती हैं तो मन सिहर उठता है।
पिताजी की मौत के बाद रीति-रिवाजों के अनुसार रोशनी की मां छह महीने घर में ही शोक संतप्त रहीं इस दौरान रोशनी मौसी के साथ डूगरपुर जिले के ही गडा जसराजपुर चली गई। रोशनी मां से दूर रहना तो नहीं चाहती थी मगर गडा में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरूआत की और दूसरे मोर्च पर खेतों का काम भी संभाल लिया। पाडवा गांव से कभी कोई गडा आता तो रोशनी उनसे 2-3 रूपये लेकर मां से मिलने पाडवा चली जाती। तब ये भी पता नहीं था कि कौनसी बस पाडवा जाएगी। पहले सागवाड़ा और फिर पाडवा पहुंचती। वे बताती हैं कि कभी-कभी रास्ते में खो जाती थीं।
हालांकि गांव के लोग रोशनी को पहचान कर घर पहुंचा देते। सातवीं कक्षा में रोशनी पाडवा गांव चली गईं जहां दादा-दादी का खूब प्यार मिला। रोशनी की शरारतें बढ़ गई और पढ़ाई को लेकर लापरवाह हो गईं। लाड-प्यार में रोशनी ऐसी रमी की आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद वापस 10वीं की पढ़ाई की। वर्ष 2008 में रोशनी ने डूगपुर से कम्प्यूटर कोर्स किया। इसके साथ ही पार्ट टाईम जॉब शुरू कर दी। ट्रैवल्स कम्पनी में 1500 सौ रूपये तनख्वाह मिलती थी, जिसमें टिकट बुकिंग, पासपोर्ट बनाना, जॉब वर्क जैसे काम मिले। इसके बाद नोकिया केअर में जॉब की। साइकिल से आती-जाती और तब नानी के यहां ही रहती थी।
साइकिल से डूगरपुर से सुरपुर जाती, फिर सागवाड़ा में कम्प्यूटर जॉब वर्क करती। रोजाना 100 से 150 रुपए मिलते थे। इसी बीच रोशनी ने 12वीं का फार्म भरा और 2011-12 मे 12वीं की परीक्षा दी। जॉब वर्क करते-करते रोशनी ने पैसा इकट्ठा किया और आसपुर व पाडवा के बीच पुजपुर सर्कल पर कंप्यूटर जॉब वर्क की शॉप लगाई। शॉप बड़ी थी उसी में गल्र्स पार्लर शुरू कर दिया। दोनों बहनों ने इस काम को संभाला। पाडवा से आने-जाने के लिए स्कूटी खरीद ली तो काम करने में थोड़ी आसानी हो गई। पार्लर के साथ ही इमिटेशन ज्वेलरी रखना शुरू कर दिया तो धीरे-धीरे इस क्षेत्र में शॉप भी अच्छी चलने लग गई।
एयर होस्टेज बनने की चाह में सपनों ने भरी उड़ान
12वीं पास करने के बाद रोशनी ने एक दिन अखबार में एविएशन कम्पनी का पेम्पलेट देखा। मन में एयर होस्टेज बनने की चाहत पैदा हुई। पेम्पलेट को देखकर उदयपुर पहुंची व फ्रेंकफिन में कोर्स की बात की। बात जम गई तो कोर्स करना शुरू किया। एक साल के कोर्स की फीस 2.50 लाख थी, उसका भी इंतजाम जैसे-तैसे किया। कोर्स करने के बाद दिल्ली में एयर इंडिया सेड्स कम्पनी में ग्राउंड स्टाफ के लिए इंटरव्यू दिया। सलेक्शन हो गया और जॉब भी लग गई। परिवार से दूर 20 साल की रोशनी जनजातीय क्षेत्र से पहली बार दिल्ली जैसे शहर पहुंची। खैर बुलंद हौंसलों के साथ रोशनी ने दिल्ली में भी अपने रहने का ठिकाना तलाश लिया और किराये के मकान में रहने लगी। धीरे-धीरे दिल्ली को भी समझा, वहां के लोगों को भी समझा और मुश्किल हालात में भी कभी डे तो कभी नाइट शिफ्ट में नौकरी करती। एक जनजातीय क्षेत्र से निकलकर दिल्ली में जॉब करना कोई आसान काम नहीं था। जैसे ही रोशनी ने घर पर दिल्ली जाने की बात कही तो सभी ने मना कर दिया। लेकिन रोशनी भी कहां मानने वाली थी। उसने परिवार को विश्वास मे लेकर अपनी बात मनवा ही ली। क्योंकि यह तो शुरूआत थी और उसका सपना तो आसमान की ऊंचाइयों को छूने का था।
दिल्ली में जॉब लगने के कुछ महीने बाद उसने एक सहेली को किसी जरूरत के समय अपनी सेविंग से बचाए 10 हजार और कुछ परिचितों से 10 हजार जुटा कर उधार दिये लेकिन सहेली ने धोखा दे दिया। अनजान शहर में इस वाकये ने रोशनी को काफी मुश्किलों मे लाकर खड़ा कर दिया। घर का किराया, खाना, आना-जाना और सबसे बड़ी बात जिन लोगों से 10 हजार लिए उनको चुकाना भी भारी पड़ रहा था। पर वक्त के साथ-साथ रोशनी ने इस बाधा को भी पार किया। 6 महीने जॉब करने के बाद रोशनी ने उदयपुर एयरपोर्ट में जॉब करने का मन बनाया। उदयपुर में स्पाइस जेट में इंटरव्यू दिया। इन हालात में रोशनी ने सुप्रीम एयरलाइंस मे इंटरव्यू दिया। आखिरकार बात बन गई और रोशनी को सम्मानजनक जॉब भी मिल गई। जॉब के लिए सुबह 7 बजे घर से निकलती और शाम 6 बजे घर पहुंचती। कभी कभी तो रात की 9 या 10 भी बज जाती। उदयपुर एयरपोर्ट पर जॉब लगने के बाद रोशनी ने केशव नगर में कमरा किराये पर लिया।
उसी दौरान पाडवा गांव में बहन की शादी को लेकर बात चल रही थी लेकिन बहन शादी के लिए तैयार नहीं थी। कारण कि समाज के लोग चाहते थे कि एक ही परिवार में रोशनी और मोनिका दोनों की शादी करवाई जाए। जिसके लिए रोशनी बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। फिर शुरू हुई बहन के लिए अच्छे लड़के की तलाश। यह तलाश पूरी भी हुई लेकिन लड़का अन्य समाज से था। समाज के लोगों ने इसका पूर्ण बहिष्कार किया कि अन्य समाज कि बारात को हम हमारे गांव में नहीं आने देंगे। इसके बाद रोशनी ने मोनिका को उदयपुर बुला लिया। रोशनी के इस फैसले मे सिर्फ उसके चाचा और चाची ही साथ थे। उनके हौंसले के साथ रोशनी इस कठिन लड़ाई में आगे बढ़ ही रही थी कि एक बुरी खबर ने रोशनी के हौंसलों को एक बारगी पस्त कर दिया। 2014 में रोशनी के चाचा की मृत्यु हो गई जो उदयपुर में ही रहते थे। अब रोशनी के सामने पूरा समाज था और उसको अन्य परिवार में अपनी बहन की शादी करवानी थी। खैर रोशनी ने हिम्मत जुटाई और समाज के मोतबिरों को बुलाकर बातचीत की मगर वे नहीं माने। बाद में आखिर कार समाज के खिलाफ जाकर बड़ी बहन की शादी जैन परिवार में करवाई।
मॉडलिंग क्षेत्र मे भी पाई शोहरत
उदयपुर में रहने के दौरान रोशनी की मित्रता यहां की एक फैशन डिजाइनर से हुई। जिसने रोशनी को अपने बुटिक की ओपनिंग के दौरान मॉडल के रूप में फोटो शूट करवाया और अपने बूटिक पर रोशनी के फोटो भी लगवाये, रोशनी बताती हैं कि उस दौरान उसका वजन काफी ज्यादा था। फोटो शूट के बाद रोशनी को लगा कि अगर वो खुद पर थोड़ा ध्यान दे तो मॉडलिंग में आगे बढ़ सकती है। इसके बाद रोशनी ने फिटनेस, डाईट और बॉडी पर खासा ध्यान देते हुए 3 सालों मे खुद को ऐसा बदला कि लोग अचंभित रह गए। उदयपुर मे मॉडलिंग से सम्बन्धित शो में भी रोशनी ने हिस्सा लिया। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में वो आगे बढ़ती गई। वर्ष 2019 मे दुबई में हुए माइलस्टोन मिस्टर एंड मिस इन्टरनेशनल पेजैंट मे रोशनी ने ना सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि हजारों लोगों के वोट और अपने हुनर से पेजेन्ट में रनर अप के खिताब के साथ ही सुपर मॉडल का खिताब भी प्राप्त किया।
समाज सेवा भी करती हैं तत्परता के साथ
एक मॉडल होने के साथ ही रोशनी समाज सेवा का भाव भी मन में रखती है। रोशनी ने खुद अभाव और संघर्ष मे जीवन को जिया है। इसलिए दुखियों के दुख को वो भली भांति समझती है। तभी तो किसी भी जरूतरमंद को दिक्कत में देखकर उसकी मदद को हमेशा तत्पर रहती हैं।
जरुरतमंदो एवं समाज सेवा के लिए नीम फाउंडेशन कि स्थापना कि
समाज सेवा का काम रोशनी कई सालों से कर रही हैं, लेकिन इसे एक सही दिशा और सही तरीके से करने के लिए उन्होंने नीम फाउंडेशन की स्थापना की जिसकी वो फाउंडर हैं। इस फाउन्डेशन के बैनर तले रोशनी अनाथ, गरीब, जरूरतमंदों के लिए सदैव कुछ ना कुछ करती रहती हैं। सर्दी में ठिठुरते लोगों को कम्बल देने के लिए भी कई बार रोशनी रात को शहर में निकलती हैं और जहां कोई जरूरतमंद नजर आता है उसे कम्बल का संबल देती हैं। गर्मी में किसी को नंगे पांव देखकर रोशनी उन्हें चप्पल बांटती हैं। फाउंडेशन के सदस्यों सहित रोशनी अपना और परिवार के लोगों का जन्मदिन भी गरीब लोगों के साथ मनाती हैं।
कई ख़िताबो से भी नवाजा गया रोशनी को
लगातार समाज सेवा कार्य करते रहने के दौरान रोशनी को जयपुर में वूमन लीडरशीप अवार्ड, मैं हूं समाजसेवी अवार्ड जैसे कई सम्मानों से नवाजा गया है।साथ ही वागड़ कि रूपारी का भी ख़िताब हासिल किया मूलत: डूंगरपुर ज़िल्ले के पाडवा गांव की रोशनी को डूगरपुर के बेणेश्वर मेले में वागड नी रूपारी का खिताब भी दिया गया।
विधान सभा चुनाव में चुनाव जगरूकता के लिए ब्रांड एम्बेसेडर बनाया गया
2019 के विधानसभा चुनावों में भी डूंगरपुर जिला प्रशासन की और से चुनावी जागरूकता को लेकर रोशनी को ब्रांड एम्बेसेडर बनाया गया।
उदयपुर से कि बॉलीवुड में एंट्री
उदयपुर से रोशनी बरोट ने बॉलीवुड में एंट्री जल्दी ही एक्टर रोशनी बरोट बॉलीवुड सॉन्ग में नजर आने वाले है । सॉन्ग दरोगा जी का प्यार में एक्टर रोशनी बारोट एवं संतोष बिश्नोई की अहम भूमिका है। सोंग की शूटिंग उदयपुर एयरपोर्ट के समीप स्काई लिने हेलीकाप्टर र्विसेज पर की गई है। यह सोंग शिव शक्ति म्यूजिक एंड फिल्म यूट्यूब चैनल पर रिलीज होगा।
यह है एक सामान्य परिवार में पली बड़ी वागड़ कि एक सामान्य कलाकार रोशनी बरोट कि जीवन ऐ दास्तां
रिपोर्ट निरा देवी कलाल कोकापुर