डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा नगर पालिका अपने स्थाई भवन के अभाव में भटकती हो गई है। सागवाड़ा शहर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय सागवाड़ा के पास में पुराने नगर पालिका भवन के गिरने के बाद सागवाड़ा नगर पालिका का स्थाई ठिकाना नहीं दिखाई दे रहा है। तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया के नगर पालिका अध्यक्ष चुने जाने के बाद यह निर्णय लिया गया कि नगर पालिका भवन अत्यंत पुराना हो चुका है और इसे गिराकर इस जगह पर माल बनाया जाए। प्रस्ताव लेकर नगर पालिका भवन को आनन फानन में गिरा भी दिया गया। और इसके बाद विवाद शुरू हुआ नगर पालिका भवन गिराने को लेकर। मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया और स्टे की कार्रवाई हो गई। नगर पालिका सागवाड़ा को अस्थाई रूप से सुरभि परिसर में शिफ्ट भी कर दिया गया और इसका विधिवत रूप से उद्घाटन भी कर दिया गया जिसमें कई गणमान्य जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
नगर पालिका कार्यालय सुरभि में लगभग 1 वर्ष तक चलाया भी गया और इसके बाद फिर नया मोड़ आया। पुराने नगर पालिका भवन को गिराए जाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी जिसके बदले में इस भवन पर न्यायालय ने रोक लगा दी थी। इसके बाद विवाद इतना बड़ा की एक जनहित याचिका ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और बताया कि जिस तरह से नगर पालिका में कार्य किया जा रहा है पूरी तरह से असंवैधानिक है और नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने मिलकर पट्टा वितरण में गड़बड़िया की है। सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए गए और इसके बाद तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र खोडनिया और उपाध्यक्ष राजू भाई शेख को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने आशीष गांधी को नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया।
अब कांग्रेस पार्टी की तरफ से नगर पालिका सागवाड़ा के तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष को गलत तरिके से निलंबित करने को लेकर याचिका दायर की गई वहीं नगर पालिका भवन गिराए जाने को लेकर भी तर्क दिए गए अदालत ने फिर से फैसला सुनाते हुए नगर पालिका भवन को गिराया जाना उचित समझा और खोडनिया के निलंबन को लेकर यह कहा गया कि किसी जनप्रतिनिधि को इस तरह से निलंबित करना उचित नहीं है सरकार अपने विवेक से एक बार पुनः विचार करें लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
इसके बाद सुरभि परिसर में संचालित अस्थाई नगर पालिका भवन को खाली करने के लिए खोडनिया परिवार ने नगर पालिका पर दबाव बनाया। इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में सागवाड़ा की आम जनता मुक दर्शक बनकर पूरा तमाशा देखते रही और विकास कार्य ठप रहा।
अब नगर पालिका भवन को सुरभि परिसर से स्थानांतरित कर 14 अगस्त 2025 को राज बाजार एचडीएफसी बैंक के पास सागवाड़ा में स्थानांतरित किया जाना है और इसका विधिवत रूप से शुभारंभ किया जाएगा। पुराने नगर पालिका भवन गिरने के बाद सागवाड़ा की नगर पालिका सुरभि परिसर में गई और वहां से अब राज बाजार एचडीएफसी बैंक के पास आ गई। कहने का तात्पर्य सागवाड़ा में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ लेकिन नगर पालिका सागवाड़ा अपना स्थाई मुकाम ढूंढने के लिए इधर-उधर भटकती हुई नजर आ रही है ऐसे में सागवाड़ा की जनता विकास को ढूंढ रही है आखिर इसका जिम्मेदार कौन?
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