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    कलेक्टर-सीईओ को 50 हजार के जमानत-मुचलके समेत जवाब के आदेश:हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बालोतरा पंचायत समिति प्रधान का पदभार ग्रहण नहीं कराया

    1 month ago

    बालोतरा जिले के जसोल को नगरपालिका में क्रमोन्नत करने के बाद बाद पंचायत समिति बालोतरा में प्रधान की कुर्सी को लेकर विवाद को हो गया। कांग्रेस के पूर्व प्रधान को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने राहत दी है। कोर्ट के जारी स्थगन पर सुनवाई करते हुए डबल बैंच ने आदेश की पालना के अभाव में बाड़मेर सीईओ व बालोतरा कलेक्टर को आगामी पेशी पर 50 हजार रुपए के जमानत मुचलके के साथ हाजिर होकर जवाब तलब करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने बुधवार को आदेश जारी करने के बाद कांग्रेस खेमे में प्रधान की कुर्सी को लेकर वापस उम्मीद जगी है। दरअसल, पंचायती राज चुनाव के बाद बालोतरा पंचायत समिति प्रधान पद पर कांग्रेस से प्रधान पद पर भगवतसिंह जसोल ने पदभार ग्रहण किया था। करीब साढ़े 4 साल तक प्रधान पद का जिम्मा संभालने के बाद बजट सत्र के बाद जसोल को नगरपालिका में क्रमोन्नत किया था। इसके चलते पंचायत समिति सदस्य चुने गए भगवतसिंह जसोल की प्रधान पद से हटाकर उप प्रधान गोविंद सिंह खारवाल को भाजपा से प्रधान बनाया गया। 6 अगस्त को जारी हुआ था स्थगन आदेश इस पर पूर्व प्रधान भगवतसिंह जसोल हाईकोर्ट की शरण लेने पर 6 अगस्त को स्थगन आदेश जारी किया गया। इसे लेकर दुबारा पदभार ग्रहण करने के लिए पहुंचे। पूर्व प्रधान को अधिकारियों ने आदेश का हवाला नहीं होने की बात कहते हुए कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया। बालोतरा पूर्व प्रधान भगवतसिंह जसोल ने कहा- पंचायती राज चुनाव में जनता से निर्वाचित किए गए जनप्रतिनिधि का संवैधानिक तौर पर पांच साल का कार्यकाल होता है। इसके बावजूद मनमाने तरीके से आदेशों का हवाला देकर प्रधान पद पर किसी अन्य सदस्य को नियुक्त करना न्यायोचित नहीं है। इस पर हाईकोर्ट की शरण लेने पर स्थगन आदेश जारी किया। इसकी पालना नहीं की तो हमें दुबारा कोर्ट में जाना पड़ा। बिना किसी कारण से पद से मुक्त करना न्यायसंगत नहीं है। निर्वाचन क्षेत्र नगरपालिका में शामिल होने का हवाला देकर पद से हटाया पंचायतीराज चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर पंचायत समिति सदस्य भगवतसिंह जसोल को बालोतरा पंचायत समिति का प्रधान चुना गया था। करीब साढ़े चार साल तक के पद पर बतौर प्रधान रहे। भगवतसिह का निर्वाचन क्षेत्र जसोल है। इस दरम्यान इसी साल जसोल ग्राम पंचायत को नगरपालिका में क्रमोन्नत किया गया। ऐसे में नगर पालिका बनने पर पंचायत समिति सदस्य का पद स्वत: ही समाप्त माना जाएगा। इसका हवाला देकर भाजपा ने उप प्रधान गोविंदराम खारवाल को पार्टी में शामिल कर प्रधान का पदभार ग्रहण करवाया। 11 अगस्त को कोर्ट ने दिया था स्थगन आदेश 28 जून को गोविंदराम खारवाल ने पंचायत समिति ने पंचायत में प्रधान का कार्यभार ग्रहण किया। इसे कांग्रेस पार्टी ने अनुचित बतात हुए हाईकोर्ट की शरण ली। जहां से हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को याचिककर्ता भगवतसिह जसोल को सुनवाई के बाद प्रधान पद को लेकर स्थगन आदेश जारी कर दिया। इसे लेकर 11 अगस्त पूर्व प्रधान भगवतसिह जसोल पंचायत समिति में दुबारा पदभार ग्रहण करने के लिए पहुंचे, लेकिन अधिकारियों ने आदेश नहीं मिलने का हवाला देकर कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया। इससे नाराज कांग्रेस कार्यकर्ता पूर्व विधायक मदन प्रजापत, पूर्व जिला प्रमुख प्रियंका मेघवाल, पूर्व प्रधान ओमाराम भील के नेतृत्व में धरना भी दिया था। लेकिन आदेश का हवाला देकर कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया गया। इस पर डबल बैंच में पहुंचे मामले में सुनवाई के बाद आदेश की अवमानना को देखते हुए 12 नवंबर को पेशी पर जवाब के साथ पेश होने के आदेश जारी किए गए।
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