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    किसान बोले-खाने को दाना नहीं, कर्ज कैसे चुकाएंगे:बारिश से खेतों में फसल डूबी, सब बर्बाद; बेटी की शादी के लिए कहां से आएंगे पैसे

    1 month ago

    दिन-रात मेहनत करके फसल तैयार की थी। उम्मीद थी कि अच्छे भाव मिलेंगे तो कर्जे भी उतर जाएंगे और अगली फसल की तैयारी करेंगे। अब तो घर में खाने को दाने भी नहीं हैं। बारिश ने बर्बाद कर दिया। अब तो फांसी (फंदा) लगा लें, यही रास्ता नजर आ रहा है। सरकार मदद करे, ठीक से सर्वे हो तो किसानों की चिंता दूर हो यह दर्द है कोटा के खेड़ा रसूलपुर गांव के किसान ओमप्रकाश सैनी का, जिनकी धान (चावल) की फसल पिछले तीन दिनों में हुई बारिश में पूरी तरह से खराब हो गई। ओमप्रकाश अकेले नहीं हैं, बल्कि बेमौसम बारिश की मार झेल रहे सैकड़ों किसानों की यही कहानी है। उन्होंने खेतों में खून-पसीना एक करके फसल उगाई, और जब कटाई का समय आया या कुछ ने फसल काटकर खेतों में ढेर भी लगा दिए। लगातार हुई मूसलाधार बारिश के चलते खेत पानी से लबालब भर गए। खेतों में कटी हुई फसलें डूब गईं, मिट्टी में सन गईं। जो फसलें खड़ी थीं, वे आड़ी पड़ गईं। भास्कर की टीम ने बारिश के बाद दीगोद और सुल्तानपुर इलाके के गांवों का दौरा किया, जहां दूर-दूर तक खेतों में पानी भरा हुआ था और फसलें बर्बाद पड़ी थीं। इस बेमौसम बारिश ने कोटा संभाग में लगभग 1.60 लाख हेक्टेयर में धान की फसल को बर्बाद कर दिया है। पहले संभाग में 10 लाख 31 हजार 400 मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान था, लेकिन अब यह घटकर 6 से 7 लाख मीट्रिक टन तक रहने की आशंका है। अकेले कोटा जिले में 70 हजार हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई है, जबकि पूरे संभाग में 2 लाख 14 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। अब पढ़िए पूरी ग्रांउड रिपोर्ट... 80 बीघा जमीन और 20 लाख का कर्ज खेड़ा रसूलपुर गांव में किसान ओमप्रकाश सैनी ने कहा- हर तरफ बर्बादी का मंजर है। उनके परिवार की 80 बीघा जमीन में धान की फसल थी, जो अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। इतनी तेज बारिश हुई कि खेतों में घुटनों तक पानी भर गया, जिससे कटी हुई और खड़ी दोनों ही फसलें भीग गईं। जो फसल आड़ी पड़ गई, उसमें से क्या निकलेगा? करीब 40% तो उसमें ही नुकसान हो जाएगा, और जो फसल कटी हुई थी, वह तो पूरी तरह बर्बाद हो गई है। अब तो यही उपाय है कि फंदा लगा लो ओमप्रकाश ने बताया कि फसल के लिए बैंक और आढ़तियों से कर्ज लिया था। दवा और खाद वालों को भी पैसे देने हैं। जुताई और कटाई का खर्च भी बाकी है। उनके सिर पर 20 लाख का कर्ज है, जिसे चुकाने की चिंता उन्हें सता रही है। कर्ज चुकाना तो दूर की बात है, अब अगली फसल गेहूं की कैसे करेंगे, इसकी चिंता अलग है। घर पर खाने के दाने के भी लाले पड़ने की स्थिति बन जाएगी। अब तो यही उपाय है कि फंदा लगा लो, क्योंकि सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है और पता नहीं कब सर्वे होगा, कब मुआवजा मिलेगा, कब राहत मिलेगी और कब नई फसल होगी। 15 हजार रुपए प्रति बीघा का नुकसान हुआ भोजपुरा गांव के किसान बद्रीलाल मीणा ने बताया कि बारिश से उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है और हर गांव में यही हाल है। उनकी 55 बीघा में धान की फसल थी, जिसमें 40 बीघा की फसल खेत में खड़ी है और आड़ी पड़ गई है, जबकि 15 बीघा की कटाई हो चुकी है, लेकिन एक बीघा भी घर तक नहीं गया है। बारिश और तेज हवा में एक-दो क्विंटल प्रति बीघा फसल झड़ गई है और कलर फेड हो गया है, जिससे रेट भी कम हो जाएगा। पहले अच्छी क्वालिटी का धान 3-4 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक जाता था, लेकिन अब 2500-2600 रुपए ही रेट है। पहले एक बीघा में 7 क्विंटल माल निकलता था, लेकिन अब 4-5 क्विंटल ही निकलेगा, जिससे कम से कम 15 हजार रुपए प्रति बीघा का नुकसान हो गया है। 6 लाख का किसान क्रेडिट कार्ड है, जिसे चुकाने की उम्मीद थी, लेकिन अब अगली फसल गेहूं की भी लेट हो गई है, जिससे उत्पादन कम होगा। पानी में डूबे धान के बंडल, छत पर सूखती फसल दीगोद के हेमराज मीणा ने बताया- 15 बीघा में धान बोया था, लेकिन बारिश ने फसल को पूरी तरह भिगो दिया। खेतों में पानी भरने से फसल को निकालकर सूखी जगह पर रखा गया है। लोन ले रखा है और अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि वे इसे कैसे भरेंगे। बारिश के कारण उनका करीब 40% नुकसान हुआ है, और बीमा भी पूरी फसल का नहीं होता है, इसलिए नुकसान की पूरी भरपाई भी नहीं हो पाएगी। गांव में सबके खेतों में यही हाल है, और जिनके फसल कटी हुई है, वहां तो ज्यादा नुकसान है। अब गेहूं की फसल की तैयारी करने में भी सोचना पड़ रहा है। पहले सोयाबीन और उड़द की फसल में किसान बर्बाद हुए, और अब इस बेमौसम बारिश ने पूरा खत्म कर दिया है। दाम भी ठीक मिल जाएं तो वही बहुत है किसान रामप्रसाद ने बताया- 12 बीघा में धान की फसल थी। लेकिन खेत में अब पानी पर जगह-जगह धान के भीगे हुए बंडल बिखरे पड़े थे, जिनका कलर भी चेंज हो चुका था। रामप्रसाद के अनुसार, एक बीघा में दो बोरी तक का नुकसान है, और अब तो जो फसल बची है, उसके दाम भी ठीक मिल जाएं तो वही बहुत है। सोयाबीन ने किया कंगाल, अब गेहूं के लिए फिर कर्ज मुडला गांव के किसान तुलसी राम ने खेत में सोयाबीन की फसल बोई थी, लेकिन एक महीने पहले फसल निकालने के बाद भी वे उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। उन्होंने चार बीघा जमीन 16 हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से 64 हजार रुपए में किराये पर ली थी। फसल लगाने के बाद बारिश और बाढ़ से फसल खराब हो गई, जिससे जितनी लागत लगी थी, उतनी भी पैदावार नहीं हुई। जहां एक बीघा में तीन से चार क्विंटल उत्पादन होता था, इस बार एक बोरी भी नहीं मिली। वे अभी तक पिछला कर्ज भी नहीं चुका पाए हैं। बेटी की शादी करनी थी, लाखों रुपए कहां से लाएं तुलसीराम ने बताया कि देवउठनी के बाद इस बार सावों में बेटी की शादी करने थी, लेकिन लाखों रुपए कहां से लाएं। गेहूं की फसल के लिए भी खर्चा होगा, जिसके लिए फिर से उधार लेना पड़ेगा। उन्हें गेहूं की फसल से भी ज्यादा उम्मीद नहीं है, क्योंकि बीमा भी पूरी फसल का नहीं होता है। किसान का तो हर तरफ नुकसान ही है। 5 लाख का कर्ज कैसे चुकाएंगे? भोजपुरा गांव के किसान हेमराज मीणा ने बताया कि दो भाइयों का 20 बीघा में धान था, जिसमें बारिश के कारण 50% का नुकसान हुआ है। क्रेडिट कार्ड और मंडी का करीब 5 लाख का कर्ज है, जिसे चुकाने की चिंता सता रही है। एक हजार शिकायतें मिली हैं, सर्वे होगा : कृषि विभाग कोटा के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अतीश कुमार ने बताया कि जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, 50 फीसदी फसल की कटाई हो गई थी। नौ हजार हेक्टेयर में खेतों में फसल पड़ी थी और करीब 25 हजार हेक्टेयर खेतों में फसल खड़ी है। अब बारिश से जो नुकसान हुआ है, उसके लिए किसान शिकायत दर्ज कराएंगे। पीएम फसल योजना के आधार पर जो शिकायतें आएंगी, उसका कृषि पर्यवेक्षक, किसान और बीमा कंपनी के लोग मौके पर जाकर सर्वे करेंगे। अभी तक हमारे पास एक हजार किसानों की शिकायतें आ चुकी हैं। -------- खेती बाड़ी से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए.... प्याज के भाव- 2 रुपए किलो, किसान बोले-जहर खाना पड़ेगा:कभी पाकिस्तान-बांग्लादेश जाता था, अब खरीदार नहीं मिल रहे; नाले में फेंकने को मजबूर राजस्थान के अलवर में देश की दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है। यहां का लाल प्याज श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश में काफी पसंद किया जाता है, लेकिन इस साल हालात बिल्कुल अलग है। पढ़ें पूरी खबर
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