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    SEBI के लिए फैसले से निवेशकों के खिले चेहरे, लेकिन म्यूचुअल फंड कंपनियां नाराज; आखिर क्यों?

    11 hours ago

    SEBI New Rule: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने ब्लॉक डील से जुड़े नियम और कड़े कर दिए हैं. इसके तहत ब्लॉक डील के लिए मिनिमम ऑर्डर साइज 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया है. सेबी ने नॉन-डेरिवेटिव शेयर्स के लिए प्राइस रेंज को 3 परसेंट तक बढ़ाने की इजाजत दे दी है, जबकि फ्यूचर एंड ऑप्शंस शेयरों को मौजूदा 1 परसेंटके दायरे में ही बरकरार रखा जाएगा. CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने ब्लॉक डील्स के लिए फ्लोर प्राइस को एडजस्ट किया है, जो पिछले दिन की क्लोजिंग से 3 परसेंट ऊपर-नीचे जा सकता है.

    क्यों बढ़ाई गई ब्लॉक डील की साइज?

    बुधवार को एक सर्कुलर के जरिए इसका ऐलान किया गया. सेबी का मानना है कि मार्केट का साइज बढ़ने के साथ-साथ ब्लॉक डील की भी मिनिमम साइज बढ़नी चाहिए. इसके कई फायदे भी हैं जैसे कि इससे सट्टेबाजी जैसी गतिविधियों पर रोक लगेगी, बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, बड़े डील्स के जरिए कीमत में हेरफेर की संभावना कम होगी, इसके जरिए बड़े संस्थागत निवेशकों या अधिक कीमत वाले ट्रेड को बढ़ावा मिलेगी, जिससे मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी. बता दें कि बड़ी मात्रा में शेयरों की एकमुश्त खरीद-बिक्री को ब्लीॉक डील कहा जाता है. 

    ब्लॉक डील के लिए दो विंडो

    सेबी ने ब्लॉक डील के लिए दो विंडो रखे है. पहली विंडो सुबह 8:45 बजे से 9:00 बजे तक है, जिसमें फ्लोर प्राइस पिछले दिन के बंद भाव पर निर्धारित होगा. दूसरी विंडो, दोपहर 2:05 बजे से 2:20 बजे तक की है, जिसमें दोपहर 1:45 बजे से 2:00 बजे तक कैश सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) का इस्तेमाल किया जाएगा. स्टॉक एक्सचेंज दोपहर 2:00 बजे से 2:05 बजे के बीच VWAP जानकारी साझा करेंगे. 

    सेबी का एक और बड़ा फैसला

    निवेशकों के हित का ख्याल रखते हुए सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के द्वारा ली जाने वाली ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन फीस की लिमिट तय करने का भी प्रस्ताव किया है. सेबी के नए नियम के मुताबिक, म्यूचुअल फंड कंपनियां अब निवेशकों से टोटल एक्सपेंस रेशियो के अलावा ब्रोकरेज या ट्रांजैक्शन फीस नहीं वसूल सकेंगी.

    म्यूचुअल फंड कंपनियों को फैसले पर ऐतराज

    इससे निवेशकों पर बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा. हालांकि, प्रॉफिटेबिलिटी पर असर पड़ने की संभावना को देखते हुए म्यूचुअल फंड कंपनियां सेबी के लिए इस फैसले से नाराज हैं. बता दें कि टोटल एक्सपेंस रेशियो वह रकम है, जो फंड मैनेजमेंट, ऑपरेश्नल कॉस्ट, रिसर्च वगैरह के लिए निवेशकों से फंड हाउसेज की तरफ से लिए जाते हैं. सेबी ने कैश मार्केट के लिए इसकी लिमिट को 0.12 परसेंट से घटाकर 0.2 परसेंट कर दिया है. जबकि फ्यूचर्स सेक्शन के निए इसे 0.05 परसेंट से घटाकर 0.01 परसेंट कर दिया है.   

     

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