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    भारतीय कंपनी HMEL ने रूसी तेल का आयात रोका:इसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम की 49% हिस्सेदारी; अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर

    3 days ago

    अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद भारतीय कंपनियों ने रूस से कच्चे तेल का आयात रोकना शुरू कर दिया है। लक्ष्मी मित्तल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के जॉइंट वेंचर HMEL (हिंदुस्तान मित्तल एनर्जी लिमिटेड) ने बुधवार को बताया कि उसने रूस से कच्चे तेल का आयात रोक दिया है। कंपनी ने यह फैसला रूस के ऊर्जा व्यापार पर पश्चिमी देशों (अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूके) के नए प्रतिबंधों के बाद लिया है। HMEL ने द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि यह कदम अमेरिका, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण उठाया गया है। HMEL का यह कदम ऐसे समय में आया है, जब 22 अक्टूबर को ट्रम्प ने रूस की बड़ी तेल उत्पादक कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। यूरोपीय संघ के रूसी LNG के आयात पर भी पूरी तरह बैन लगाने के बाद ट्रम्प ने यह कदम उठाया है। वहीं ब्रिटेन ने भी दोनों कंपनियों पर सैंक्शन लगाया था। सरकारी कंपनियां भी शिपमेंट चेक कर रही सरकारी कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी अपने व्यापार दस्तावेजों की जांच कर रही हैं। वे नवंबर 21 के बाद आने वाले शिपमेंट्स के बिल चेक कर रही हैं, ताकि रोसनेफ्ट या लुकोइल से सीधी सप्लाई न हो। सरकार और स्थानीय रिफाइनर्स के बीच बातचीत से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि भारत सरकार ने निजी तौर पर कंपनियों से रूसी तेल के आयात को कम करना शुरू करने को कहा है। रूसी कंपनियों पर सैंक्शंस 21 नवंबर से लागू अमेरिकी ट्रेजरी ने 21 नवंबर 2025 तक का समय दिया है। इस अवधि में कंपनियों को रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ लेन-देन समाप्त करने होंगे। अगर पालन न किया गया, तो जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापार प्रतिबंध लग सकते हैं। अमेरिकी संस्थाओं को अब इन कंपनियों के साथ किसी भी तरह का व्यापार करने से रोक दिया गया है। महंगे कच्चे तेल से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं रूसी तेल सस्ता था, अब मध्य पूर्व या अमेरिका जैसे वैकल्पिक स्रोतों से तेल लेना पड़ेगा, जो महंगे हैं। भारत की कुल आयात में रूसी तेल का बड़ा हिस्सा था, इसलिए रिफाइनिंग लागत बढ़ेगी और पेट्रोल-डीजल के दामों पर भी इसका असर दिख सकता है। रूस-यूक्रेन जंग के बाद से भारत रूसी तेल खरीद रहा 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद रूसी तेल सस्ता हो गया। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, और रूसी तेल ने इसकी जरूरतों को सस्ते में पूरा किया। लेकिन अब सैंक्शंस के कारण उसे रूसी तेल खरीद कम करनी पड़ सकती है। भारतीय सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 से देश ने लगभग 140 अरब डॉलर मूल्य का डिस्काउंटेड रूसी तेल खरीदा है। इसे रिलायंस और दूसरी कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल में प्रोसेस किया और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा। ट्रम्प बोले- भारत रूसी तेल खरीदना बंद करेगा व्हाइट हाउस में बुधवार, 22 अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रम्प ने 5वीं बार कहा, “तेल खरीदना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे तुरंत रोकना संभव नहीं है, लेकिन साल के अंत तक वे इसे जीरो कर देंगे। मेरी प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में बातचीत हुई है। ट्रम्प ने भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया था इससे पहले अगस्त में ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया था। 27 अगस्त से भारत पर कुल 50 टैरिफ लग रहा है। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। ----------------------------- रूसी कच्चे तेल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... भारत आ रहे रूसी तेल जहाज ने अचानक यूटर्न लिया:गुजरात के सिक्का पोर्ट आ रहा था रूस की सरकारी तेल कंपनी का टैंकर अमेरिका के रूसी तेल पर नए प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, भारत आ रहे रूसी कच्चे तेल से भरे एक जहाज ने अचानक यूटर्न ले लिया है। शिप-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार फ्यूरिया नाम का यह बड़ा जहाज मंगलवार को डेनमार्क और जर्मनी के बीच एक रुट से भारत की ओर आ रहा था। यह जहाज रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट का बेचा गया तेल लेकर आ रहा था। पूरी खबर पढ़े... भारत पर 50% नहीं, सिर्फ 15% अमेरिकी टैरिफ संभव:जल्द ट्रेड डील के आसार, अमेरिकी मक्का-एथेनॉल की खरीद बढ़ा सकता है भारत भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही ट्रेड डील होने के आसार हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की चुनिंदा वस्तुओं पर लगने वाला 50% टैरिफ घटकर 15% हो सकता है। ट्रेड डील से जुड़े सूत्रों के अनुसार ऊर्जा और कृषि सेक्टर वार्ता की टेबल पर सबसे अहम हैं। भारत इनमें कुछ रियायत दे सकता है। पूरी खबर पढ़ें...
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