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    राजस्थान के 56 गांवों में पहली बार इंटरनेट शुरू:बॉर्डर से जवान कर सकेंगे वीडियो कॉल, सोलर एनर्जी से काम करेंगे मोबाइल टावर

    1 month ago

    हमारा गांव कोठा में आज तक इंटरनेट कनेक्टिवटी नहीं थी। फोन के सिग्नल तक नहीं आते थे। या तो गांव से दूर धोरों में जाकर ऊंचाई पर बात करें तो नेटवर्क मिलता, या फिर बात करने दूसरे गांव में जाना पड़ता था। अब पहली बार 4G नेटवर्क से बात कर सकते हैं। जैसलमेर में विक्रम सिंह सहित ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जिनके गांवों में पहली बार 27 सितंबर से 4G इंटरनेट पहुंचा है। जिन गांवों में अभी तक मोबाइल पर बात करना भी मुश्किल था, वहां अब बिना रुके यूट्यूब आसानी से एक्सेस हो रहा है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर से BSNL का 4G नेटवर्क लॉन्च किया, जिसे देशभर के 98 हजार लोकेशंस पर रोलआउट किया गया है। इनमें जैसलमेर की 91 बॉर्डर ऑपरेशन पोस्ट (सीमा चौकी) पर 4G नेटवर्क के 49 टावर भी शामिल हैं। साथ ही भारत- पाकिस्तान बॉर्डर से सटे जिले के 56 ऐसे गांव भी हैं, जहां पहले मोबाइल या इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं थी। 91 बॉर्डर पोस्ट पर पहली बार कनेक्टिविटी बीएसएनएल के जोधपुर में प्रिंसिपल जनरल मैनेजर एनआर विश्नोई ने बताया- जैसलमेर की अभयवाला, टैंक किल, मुरार, विनोद और MKT समेत 91 बॉर्डर ऑपरेशन पोस्ट (सीमा चौकी) पर 4G नेटवर्क के टावर लगाए गए थे। इनमें से 49 टावर पर स्वदेशी तकनीक से डेवलप 4G नेटवर्क शुरू कर दिया गया है। अब यहां बॉर्डर पर तैनात सेना के जवान स्मार्टफोन से अपने रिश्तेदारों से बातचीत कर सकेंगे। वीडियो कॉल कर सकते हैं। वे डिजिटल दुनिया से कनेक्ट रहेंगे। ये सभी टावर मॉडर्न 4G सेवाओं से लैस हैं और ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े हुए हैं। हाई-स्पीड डेटा कनेक्टिविटी मिलेगी। कुछ टावर बच गए हैं, वे सभी अगले एक महीने में चालू कर दिए जाएंगे। इन टावरों से सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों के साथ-साथ सरहद पर बसे ग्रामीणों को मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की बेहतर सुविधा मिलेगी। 56 गांवों में पहली बार पहुंचा इंटरनेट विश्नोई के अनुसार- बॉर्डर के कोठा, जीवराज सिंह की ढाणी, हरनाऊ, करम वाला, झंडा खारा, गणेशाउ सहित सीमावर्ती 56 गांव में सिग्नल नहीं आता था। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अब इन्हें न तो ऊंचाई वाले धोरों पर चढ़ना पड़ेगा, फोन करने के लिए दूसरे गांवों में जाना होगा। इन हिस्सों में प्राइवेट ऑपरेटर्स भी नहीं थे, इसलिए बीएसएनएल ने पहली बार इन गांवों में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी शुरू की है। एक मोबाइल 3 किलोमीटर तक रेंज करेगा कवर बीएसएनएल अधिकारियों का कहना है कि स्वदेशी तकनीक से नेटवर्क की रेंज को मजबूत किया गया है। नए मोबाइल टावर 3 किलोमीटर के क्षेत्र में कनेक्टिविटी प्रदान कर सकते हैं। सुरक्षा बलों का नेटवर्क मजबूत होगा। वहीं, स्थानीय लोग मौसम संबंधी अपडेट्स भी समय पर प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही किसान, व्यापारी और स्टूडेंट्स भी बैंकिंग और एजुकेशन समेत कई सरकारी योजनाओं की ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। हालांकि, रेगिस्तान में टावर लगाने के दौरान कई तकनीकी और भौगोलिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। फिर भी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया गया है। सोलर पावर से ऑपरेट करने की भी सुविधा BSNL का ये स्वदेशी 4G स्टैक 5G में आसानी से अपग्रेड हो सकता है। ये क्लाउड-बेस्ड और फ्यूचर-रेडी डिजाइन वाला है। मतलब सॉफ्टवेयर अपडेट से ही 5G पर शिफ्ट हो जाएगा। कोई बड़े हार्डवेयर चेंज की जरूरत नहीं होगी। नए टावरों को सोलर पावर से ऑपरेट करने की सुविधा दी गई है। यह भारत का सबसे बड़ा ग्रीन टेलीकॉम नेटवर्क होगा। इस कदम से ऊर्जा की बचत होगी और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
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