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    राजस्थान में कप सिरप से पांचवीं मौत:परिजनों का दावा-दवाई देते ही बेटा बेहोश हुआ, डॉक्टर ने पर्ची वापस लेकर रख ली

    3 weeks ago

    राजस्थान में खांसी की सिरप पीने से पांचवीं मौत का मामला सामने आया है। 20 सितंबर को डीग के नगर क्षेत्र स्थित गांव उड़की दल्ला में 2 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया। घटना के दो दिन पहले तबीयत खराब होने पर सरकारी हॉस्पिटल से दवाई दिलाई थी। इससे पहले 2 भरतपुर, एक सीकर और एक चूरू के बच्चे के साथ भी ऐसा ही हो चुका है। इन बच्चों को भी सरकारी हॉस्पिटल की सिरप पिलाई गई थी। उसके बाद उनकी जान चली गई थी। दावा यह भी किया जा रहा है कि सिरप पीकर बीमार पड़ने वाले बड़ी संख्या में बच्चे हॉस्पिटल अब भी पहुंच रहे हैं। उधर, सरकार ने ऐसे दावों को बेबुनियाद बताया है। शनिवार को जोधपुर में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा था कि बच्चों की मौतें सिरप पीने से नहीं हुई हैं। कमेटी से इसकी जांच कराई गई थी। दवा की दो बार जांच करवाई जा चुकी है। एक बार और कमेटी बनाकर जांच कराई जाएगी। अब सिलसिलेवार पढ़िए घटनाक्रम ... सिरप पिलाने के बाद बेहोश हुआ बच्चा पांचवां मामला डीग के नगर क्षेत्र स्थित गांव उड़की दल्ला में सामने आया है। 18 सितंबर को भानु को खांसी-जुकाम हुआ था। परिजन उसे नजदीकी मुढ़िया स्वास्थ्य केंद्र ले गए। चिकित्सक ने सरकारी पर्ची पर कफ सिरप लिखी और दवा दी। परिजनों का दावा है कि सिरप पीने के कुछ ही मिनटों बाद बच्चा अचानक बेहोश हो गया। उसी दिन रात को वापस हॉस्पिटल लेकर गए। उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और अगले दिन इलाज के दौरान 19 सितंबर को मौत हो गई। परिजनों का आरोप-डॉक्टर ने पर्ची वापस लेकर रखी ली परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उन्होंने डॉक्टर से इस बारे में सवाल किए, तो चिकित्सक ने सरकारी पर्ची ही वापस ले ली। परिजनों का कहना है कि वह पर्ची ही इलाज का एकमात्र सबूत था, जिसे वापस लेकर मामले को दबाने की कोशिश की गई। सीएमएचओ विजय सिंघल ने कहा- हमें मामले की सूचना मिली है, जिसके आधार पर जांच की जा रही है कि बच्चों को कौन-सी सिरप दी गई थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई। अगर वाकई में वह सिरप दी गई होगी, तो संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सिरप पीने के बाद 5 घंटे तक सोते रहे बच्चे पहला मामला 18 सितंबर को भरतपुर में सामने आया था। सेवर थाना इलाके के मलाह गांव की रहने वाली ज्योति ने बताया था- 2 साल के बेटे सम्राट, 4 साल की बेटी साक्षी और बड़ी बहन के 4 साल के बेटे विराट को खांसी-जुकाम की शिकायत थी। 18 सितंबर को तीनों बच्चों को लेकर के गांव के ही उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। यहां एएनएम ने दवा और खांसी की सिरप दी। साक्षी और विराट को सिरप पिलाई गई। सम्राट ने यह सिरप घर आकर पिया। इसके बाद तीनों बच्चे करीब 5 घंटे तक सोते रहे। दो बच्चे जागे, लेकिन विराट बेहोश रहा ज्योति ने बताया- काफी देर हो जाने के बाद बच्चों को जगाने की कोशिश की। पता चला कि तीनों बच्चे बेहोश हैं। काफी कोशिश के बाद साक्षी और विराट को होश आ गया, लेकिन सम्राट नहीं उठा। सम्राट को भरतपुर के जनाना हॉस्पिटल लेकर गए। शाम करीब 6 बजे सम्राट को जनाना हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया गया था। सम्राट को फिर भी होश नहीं आया था। इसके बाद उसे डॉक्टरों ने जयपुर रेफर कर दिया। 4 दिन बाद जेके लोन हॉस्पिटल में हुई मौत जयपुर में जेके लोन हॉस्पिटल में सम्राट 22 सितंबर तक भर्ती रहा। 22 सितंबर की रात 8 बजे डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। तब परिजनों को नहीं पता था कि सम्राट की जान खांसी का सिरप पीने से गई है। जब खांसी के सिरप से बच्चों के बीमार होने की खबरें आने लगीं, तब सम्राट के परिजनों को समझ आया कि खांसी का सिरप पीने से ही विराट की मौत हुई है। हालांकि सम्राट के परिजनों ने इसकी शिकायत कहीं भी नहीं की थी। भरतपुर के वैर इलाके में भी हुई घटना दूसरे बच्चे की मौत भरतपुर जिले के वैर इलाके के गांव लुहासा में हुई। लुहासा के रहने वाले निहाल सिंह ने बताया- 23 सितंबर को मेरे दोनों बेटे थान सिंह (5) और तीर्थराज (2) की तबीयत खराब हो गई थी। मौसम में बदलाव के कारण उन्हें खांसी, बुखार, जुकाम की शिकायत थी। निहाल सिंह अपने दोनों बेटों को वैर के सरकारी हॉस्पिटल लेकर गए। वहां पर डॉक्टर बबलू मुद्गल ने दोनों बच्चों को देखा और दवा लिखी। छोटे बच्चे को खांसी का सिरप लिखा था। सिरप लेने के बाद नहीं आया बच्चे को होश निहाल सिंह ने घर आकर खांसी की सिरप की एक ढक्कन दवा अपने छोटे बेटे तीर्थराज को दे दी। दवा लेने के कुछ देर बाद तीर्थराज सो गया। 4 घंटे तक बच्चा सोता रहा। जब बच्चा सोकर नहीं उठा, तो तीर्थराज के परिजन उसे लेकर वापस हॉस्पिटल पहुंचे। वैर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने तीर्थराज को भरतपुर के जनाना हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया। जनाना अस्पताल में तीर्थराज को भर्ती करवाया गया। दूसरे दिन तक बच्चे को होश नहीं आया। जेके लोन हॉस्पिटल के डॉक्टर भी नहीं बचा सके 24 सितंबर दोपहर 3 बजे तीर्थराज को जनाना अस्पताल से जयपुर के जेके लोन अस्पताल में रेफर कर दिया गया था। वहां भी बच्चे को होश नहीं आया। 27 सितंबर सुबह 4 बजे बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया। बयाना में सिरप से बच्चे की तबीयत खराब होने का मामला सामने आया तो, परिवार वालों को पता लगा की खांसी की सिरप के कारण उनके बच्चे की मौत हुई है। सीकर का बच्चा दवा पीकर सोया, फिर नहीं उठा तीसरे बच्चे की मौत 29 सितंबर को सीकर के खोरी ब्राह्मणान गांव में हुई। 5 साल के नितियांस शर्मा को सीकर के एसके हॉस्पिटल में डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया था। परिवार का दावा है कि निशुल्क दवा योजना की कफ सिरप पीने से बच्चे की मौत हुई है। नितियांस के चाचा बसंत शर्मा ने बताया- भतीजे को 4-5 दिन से खांसी थी। नजदीक के चिराना सीएचसी पर खुशी (नितियांस की मां) उसे लेकर गई थी। सीएचसी से ही खांसी की दवा ली गई थी। 28 सितंबर की रात करीब 11:30 बजे उसे दवा दी गई थी। 29 सितंबर तड़के 3:30 बजे के करीब उसे हिचकी आई। उसे पानी पिलाया गया था। सुबह उसे उठाया तो, नहीं उठा। उसे सीकर के एसके हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था। दादिया SHO बुद्धि प्रसाद ने कहा- परिवार ने बच्चे का पोस्टमॉर्टम करवाने से मना कर दिया था। उनका कहना है कि बच्चा खांसी से परेशान था। दवा पीने से उसकी मौत हुई है। डॉक्टर बोले- हालत गंभीर थी चौथे बच्चे की मौत चूरू में हुई। चूरू के वार्ड-39 के रहने वाले अनस (6) को चूरू हॉस्पिटल में 3 दिन से इलाज चल रहा था। उसे रेफर करने के बाद 4 अक्टूबर की सुबह 4 बजे जेके लोन हॉस्पिटल में ए​डमिट करवाया गया। यहां उसने सुबह 10 बजे दम तोड़ दिया था। जेके लोन हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. आरएन सेरा ने बताया- शुरुआती जांच में पता चला कि बच्चे को दिमागी बुखार था। उसकी हालत गंभीर थी। हमने काफी कोशिश की, लेकिन बच्चे को बचा नहीं सके। 4 दिन पहले कफ सिरप पिलाई थी अनस के परिजनों ने बताया - उन्होंने 4 दिन पहले बच्चे को खांसी-जुकाम होने पर खांसी की सिरप दी थी। ये सिरप डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड कॉम्बिनेशन की होने की बात सामने आ रही है। संबंधित ये खबर भी पढ़ें ... क्या कफ सिरप में था जहरीला केमिकल?:जिस कंपनी की दवा, उसके 42 सैंपल पहले हो चुके फेल राजस्थान में कफ सिरप पीने से 4 बच्चों की मौत के कारण हंगामा मचा हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने चारों मौत के पीछे अलग-अलग कारण बताए हैं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ का कहना है कि इसके पीछे दिमागी बुखार भी हो सकता है। अभी विस्तृत स्तर पर जांच कराई जाएगी। (पूरी खबर पढ़ें) कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद बड़ा खुलासा:ड्रग कंट्रोलर का कारनामा, नकली दवाओं की परिभाषा बदली; कई फार्मा कंपनियों को बचाया सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली कफ सिरप पीने से 2 बच्चों की मौत के साथ ही तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। जिस विभाग पर ऐसी एक्शन लेने का जिम्मा है, उसी के अधिकारी फार्मा कंपनियों को बचाने में जुटे हैं। राजस्थान के फूड सेफ्टी ड्रग कंट्रोलर डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने नकली दवाइयां बनाते पकड़ी गई कंपनियों को बचाने के लिए एक्ट की परिभाषा ही बदल दी। (पूरी खबर पढ़ें)
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