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    ईरान करेंसी से 0000 हटाएगा, 10000 अब 1 रियाल होगा:महंगाई की वजह से कदम उठाया, अभी 1 डॉलर =11 लाख 50 हजार रियाल

    2 weeks ago

    ईरान अपनी करेंसी रियाल से 4 जीरो हटाने जा रहा है। आसान तरीके से समझे तो जल्द ही 10,000 रियाल की कीमत सिर्फ 1 रियाल होगी। इसे ईरानी संसद की मंजूरी मिल गई है। यह कदम बढ़ती महंगाई की वजह से उठाया गया है। फिलहाल, इंटरनेशनल मार्केट में 1 डॉलर के वैल्यू 11.50 लाख रियाल पहुंच चुकी है। ये प्रस्ताव को कई साल से तैयार किया जा रहा था। ईरानी संसद की आर्थिक समिति के प्रमुख शम्सोल्दीन हुसैन ने सरकारी टीवी को बताया कि ये बदलाव 2 साल बाद लागू होगा। बदलाव के बाद भी पुरानी रियाल करेंसी को तीन साल तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। मंहगाई से बचने के लिए ईरान ने उठाया कदम यह कदम मुख्य रूप से मुद्रा के अवमूल्यन (devaluation) और उच्च मुद्रास्फीति (inflation) से निपटने के लिए उठाया गया है। रियाल में बदलाव से असर ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान की अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। महंगाई दर लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण रहा है आयात (इंपोर्ट) का ज्यादा होना और निर्यात (एक्सपोर्ट) का कम होना। इससे रियाल की कीमत लगातार गिरती गई। 2023 में स्थिति इतनी खराब हुई कि महंगाई (मुद्रास्फीति) ने रियाल के अवमूल्यन (मूल्य में जानबूझकर की गई कमी) को भी पीछे छोड़ दिया। अवमूल्यन से देश की मुद्रा सस्ती हो जाती है, जिससे उसके उत्पाद विदेशी खरीदारों के लिए सस्ते होते हैं और निर्यात की मांग बढ़ती है। अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों ने विदेशी मुद्रा की कमी को और गहरा दिया। ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण रहे। राजनीतिक अलगाव ने अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया, जिससे रियाल का मूल्य और गिरा। अमेरिका ने लगा रखा है प्रतिबंध अमेरिका ने एटमी प्रोग्रामों और सुरक्षा कारणों से ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के खिलाफ 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति अपनाई, जिसमें तेल निर्यात, बैंकिंग, और शिपिंग पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। साथ ही ईरानी तेल खरीदने वाली कंपनियों को भी दंडित किया। अक्टूबर 2025 तक, यूएन सैंक्शन ने ईरान के हथियार कार्यक्रमों पर और प्रतिबंध बढ़ाए। इन पाबंदियों के कारण विदेशी बैंकिंग लेन-देन मुश्किल हो गया, डॉलर और यूरो जैसी विदेशी मुद्रा कम आई, आयात महंगा और सीमित हो गया। साथ ही निवेश और व्यापार प्रभावित हुए। प्रतिबंधों से तेल निर्यात कम हुआ, मंहगाई बढ़ी ईरान की इकोनॉमी तेल निर्यात पर निर्भर 2024 में ईरान का कुल निर्यात लगभग 22.18 बिलियन डॉलर था, जिसमें तेल और पैट्रोकैमिकल्स का बड़ा हिस्सा था, जबकि आयात 34.65 बिलियन डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा 12.47 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। 2025 में तेल निर्यात में कमी और प्रतिबंध के कारण यह घाटा और बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ा है। मुख्य व्यापारिक साझेदारों में चीन (35% निर्यात), तुर्की, यूएई और इराक शामिल हैं। ईरान चीन को 90% तेल निर्यात करता है। ईरान ने पड़ोसी देशों और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश की है, जैसे कि INSTC कॉरिडोर और चीन के साथ नए ट्रांजिट रूट्स। फिर भी, 2025 में जीडीपी वृद्धि केवल 0.3% रहने का अनुमान है। प्रतिबंध हटने या परमाणु समझौते की बहाली के बिना व्यापार और रियाल का मूल्य स्थिर करना मुश्किल रहेगा। तुर्किये समेत 3 देश ऐसा कर चुके ------------------------------------------- ज्यादातर मुस्लिम देश गरीब क्यों होते जा रहे:दुनिया की GDP में सिर्फ 8% हिस्सेदारी; तबाही के पीछे इस्लाम, अंग्रेजों की लूट या छिपी वजहें दुनियाभर के 57 मुस्लिम देशों का एक संगठन है- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन यानी OIC। यहां दुनिया की करीब 25% आबादी रहती है, लेकिन वर्ल्ड GDP में इनकी हिस्सेदारी 10% भी नहीं। 500 सालों तक समृद्धि का सुनहरा दौर देखने वाली इस्लामी सत्ता कैसे गरीबी और तबाही के कुचक्र में फंस गई। इसके पीछे धर्म, अंग्रेजों की लूट या अन्य वजहें; मंडे मेगा स्टोरी में पूरी कहानी…
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