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    केसरिया, पीला या आसमानी‌? शिक्षामंत्री ने बताया यूनिफॉर्म का रंग:बोले-पेरेंट्स को आर्थिक बोझ लगे तो बच्चों को सरकारी स्कूल में करा दें, सब फ्री मिलेगा

    4 days ago

    अब सरकारी और निजी स्कूलों में एक जैसी यूनिफॉर्म होगी। टाई नहीं होगी। इससे बच्चों में हीन भावना खत्म होगी। हाल ही में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की इस घोषणा के बाद राजस्थान में यूनिफॉर्म को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। हालांकि इस फैसले को लेकर निजी स्कूल संचालकों और विपक्ष की तरफ से कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इन्हीं मुद्दों पर भास्कर ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से सभी अहम सवाल किए। पढ़िए पूरी बातचीत… भास्कर : आपकी घोषणा का विरोध हो रहा है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि अगर यूनिफॉर्म एक जैसी होगी तो फिर सरकार उनकी तरह निजी स्कूलों के बच्चों को भी मुफ्त लैपटॉप और यूनिफॉर्म दे। दिलावर: हम किसी को यूनिफॉर्म नहीं दे रहे हैं, न निजी स्कूलों को, न सरकारी को। हम सिर्फ गरीब बच्चों को देते हैं, जिनकी जेब में पैसा नहीं होता। निजी स्कूलों में तो वही पढ़ते हैं, जिनकी जेब में दो पैसे होते हैं। भास्कर : इसका कितना रोडमैप तैयार हो चुका है? क्या यूनिफॉर्म तय हो चुकी है? दिलावर : हां, यूनिफॉर्म तय हो चुकी है। यूनिफॉर्म का रंग, पैटर्न सब तय हो गया है। यूनिफाॅर्म में टाई शामिल नहीं होगी। भास्कर : क्या यूनिफॉर्म केसरिया रंग की होगी? दिलावर : नहीं, यूनिफॉर्म हल्के पीले और कत्थई रंग की होगी। भास्कर : अध्यापकों के लिए भी ड्रेस कोड की बात कही जा रही है? दिलावर: अभी टीचर्स के लिए सोच रखा है, लेकिन तय नहीं किया है। जल्द ही उनकी यूनिफॉर्म भी तय की जाएगी। भास्कर: राष्ट्रगान को लेकर क्या नियम रहेगा? दिलावर: राष्ट्रगान अनिवार्य रहेगा। अब घर बैठे-बैठे तो राष्ट्रगान नहीं किया जा सकता। स्कूल में उपस्थित होकर ही राष्ट्रगान करना होगा और उसके बाद ही स्कूल छोड़ा जाएगा। भास्कर: अगर कोई राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत नहीं करता है, तो क्या सजा होगी? दिलावर: यह राष्ट्र का अपमान है। जो व्यक्ति इन चीजों को नहीं मानता, उसे कठोर सजा दी जाएगी, जैसा कि नियमों में प्रावधान है। भास्कर : पहले कक्षा 9 से 12वीं तक की छात्राओं को सरकार की तरफ से यूनिफॉर्म दी जाती थी। अब सरकार ने बंद कर दिया है। एक तरफ बालिका शिक्षा की बात की जाती है, दूसरी तरफ यह विरोधाभास नहीं है? दिलावर : हमने किसी की यूनिफॉर्म बंद नहीं की। जिन्हें पहले से दी जा रही थी, उन्हें लगातार दी जा रही है। भास्कर : यूनिफॉर्म के मामले में कहा जा रहा है कि इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा? दिलावर: निजी स्कूलों में जो बच्चे पढ़ते हैं, उनके अभिभावक संपन्न होते हैं। सबसे गरीब बच्चे तो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। अगर किसी को लगता है कि निजी स्कूल की यूनिफॉर्म से बोझ बढ़ेगा तो वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दें। वहां सब कुछ फ्री मिलेगा। यूनिफॉर्म भी, जरूरत पड़ी तो साइकिल भी। अच्छे नंबर लाए तो टैबलेट या स्कूटी भी देंगे। हम उनका स्वागत करते हैं। भास्कर: निजी स्कूलों के विरोध को कैसे सुलझाएंगे? दिलावर: निजी स्कूल वालों ने कोई विरोध नहीं किया है। मेरे पास तो किसी का फोन नहीं आया। जो फोन आए हैं, वे बधाई देने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा है कि यह बहुत अच्छा निर्णय है और हम इसका स्वागत करते हैं। भास्कर: आपकी ही सरकार के एक मंत्री ने पत्र लिखा है कि स्कूलों के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। उन्होंने यह पत्र मुख्यमंत्री को भी भेजा है। दिलावर: उन्होंने सही कहा है। कुछ भवन हल्की क्वालिटी के सामान से बनाए गए हैं, यह ठीक नहीं है। जितने भवन उन्होंने देखे हैं, वे कांग्रेस के शासन में बने थे। गड़बड़ हुई है। भ्रष्टाचार हुआ है। उसकी जांच कराई जाएगी। हीरालाल नागर हमारे मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि इन सबको ठीक किया जाए। भास्कर: क्या इस मुद्दे पर आपस में मतभेद हैं? नहीं है तो फिर इन सब बातों का धुआं कहां से उठा? दिलावर: न मतभेद है, न मनभेद। हम एक ही स्कूल में पढ़े हैं, एक ही कक्षा में पढ़े हैं और एक ही राशि से हमारे गांव के नाम हैं। धुआं आप लोगों ने ही उठाया है। जब न मैं कह रहा हूं, न वह कह रहे हैं तो धुआं उठने का सवाल ही नहीं है। भास्कर: पूर्व शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा है कि आप सरकारी और निजी स्कूलों की यूनिफॉर्म एक करने की बात कर रहे हैं, जबकि सिलेबस तो अब तक एक नहीं कर पाए हैं। जवाब: कल्ला जी कुछ भी बोल सकते हैं। वे तो भारत माता की जय बोलने से भी मना करते हैं। आपने वह वीडियो देखा होगा, जहां एक व्यक्ति भारत माता की जय बोल रहा था, उसे उन्होंने रोक दिया। वहां सोनिया गांधी की जय बोली जाती है, भारत माता की जय नहीं। ऐसे लोगों की बात को कोई गंभीरता से नहीं लेता। भास्कर: अंता उपचुनाव को लेकर क्या कहना चाहेंगे? दिलावर: भारतीय जनता पार्टी यह चुनाव भारी मतों से जीतेगी। हमारा प्रत्याशी सौम्य, ईमानदार और अच्छा व्यक्ति है। दूसरी तरफ कांग्रेस का प्रत्याशी कौन है, यह जनता जानती है। भरत सिंह जी (पूर्व मंत्री) ने खुद जगह-जगह बोर्ड लगवाए थे और कहा था, ‘भाया भाटा खा गया, रेत खा गया, जमीन खा गया, खा गया, खा गया भाया खा गया।’ उन्हीं के परिवार के लोग इस तरह की बात कर रहे हैं तो भ्रष्टाचारी होगा ही। भास्कर: गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि SIR (मतदाता सूची पुनरीक्षण) के नाम पर बिहार जैसी कवायद की जा रही है। दिलावर: यह तो पूरे देश में हो रहा है। इसका मतलब ही है मतदाताओं का पुनरीक्षण। घर-घर जाकर सघन जांच हो रही है। इसमें बुराई क्या है? जो वोट देने योग्य नहीं होगा, वह हट जाएगा। जो बनने योग्य होगा, उसका नाम जुड़ जाएगा। मुझे लगता है कि इन लोगों ने रोहिंग्या के नाम जोड़े होंगे या देश के दुश्मनों के नाम जुड़वाए होंगे या बांग्लादेशियों के नाम जोड़ रखे होंगे, इसलिए डर लग रहा है कि हमारे वोट खिसक जाएंगे। अब बांग्लादेशी चले गए तो वोट कौन देगा। इन्होंने चोर रास्ते से नाम जुड़वाए होंगे, इसका डर लग रहा है कि अब वो नाम कट जाएंगे। भास्कर: विपक्ष का कहना है कि उलझाया जा रहा है ताकि अप्रैल तक व्यस्त रखा जाए? दिलावर: यह भारतीय जनता पार्टी नहीं करवा रही है। यह चुनाव आयोग करवा रहा है, जो एक स्वतंत्र एजेंसी है। उस पर अंगुली उठाना ठीक नहीं है। भास्कर: स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में आगे क्या नई योजनाएं आने वाली हैं? दिलावर: अब जो स्कूलों की नई बिल्डिंग बनेंगी, उन पर निर्माण तिथि के साथ एक्सपायरी डेट भी लिखी जाएगी। ताकि तय समय के बाद वह बिल्डिंग गिरा दी जाए और किसी भी हादसे से बचा जा सके।
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