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    खत्म हो जाएगी इंसानों की जरूरत? 2030 तक दुनिया पर इन 5 टेक्नोलॉजी का होगा कब्जा

    4 weeks ago

    Technology by 2030: टेक्नोलॉजी लगातार इतनी तेजी से बदल रही है कि इंसानों की पारंपरिक भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसी आधुनिक तकनीकें हमारे काम, जीवन और सोचने के तरीके को पूरी तरह बदल रही हैं. AI से जब सवाल पूछा गया तो उसने हैरान करने वाला जवाब दिया. एआई के मुताबिक, 2030 तक कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी सामने होंगी जिनके चलते कई जगहों पर इंसानों की जरूरत कम हो जाएगी. आइए जानते हैं वो 5 बड़ी तकनीकें जो आने वाले समय में पूरी दुनिया पर हावी हो सकती हैं.

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

    AI आज भी हमारे बीच मौजूद है लेकिन 2030 तक यह इंसानी दिमाग से भी ज्यादा तेजी और सटीकता से फैसले लेने लगेगा. हेल्थकेयर, बैंकिंग, एजुकेशन और यहां तक कि कानून-व्यवस्था में भी इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होगा. डॉक्टर की जगह AI से डायग्नोसिस, वकील की जगह AI से केस स्टडी और टीचर्स की जगह AI ट्यूटर देखना आम बात हो जाएगी. इसका सबसे बड़ा असर रोज़गार पर पड़ेगा क्योंकि हजारों नौकरियां मशीनें संभाल लेंगी.

    रोबोटिक्स और ऑटोमेशन

    रोबोट अब सिर्फ फैक्ट्री तक सीमित नहीं रहेंगे. 2030 तक घरों में खाना बनाने से लेकर बुजुर्गों की देखभाल तक, हर जगह रोबोट का इस्तेमाल बढ़ेगा. ऑटोमेशन के चलते बड़े पैमाने पर उद्योगों और दफ्तरों में इंसानी कामगारों की जगह मशीनें ले लेंगी. ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर भी पूरी तरह ऑटोमेटेड हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब मशीनें ही हर काम करेंगी तो इंसान का रोल क्या रह जाएगा?

    क्वांटम कंप्यूटिंग

    क्वांटम कंप्यूटर आने वाले समय की सबसे क्रांतिकारी खोज माने जा रहे हैं. ये कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर से लाखों गुना तेज़ होंगे. इससे नई दवाओं का विकास, स्पेस एक्सप्लोरेशन और मौसम की सटीक भविष्यवाणी संभव हो पाएगी. हालांकि, इसके साथ खतरा यह भी है कि क्वांटम टेक्नोलॉजी साइबर सुरक्षा को तोड़ सकती है जिससे दुनियाभर की गोपनीय जानकारी खतरे में पड़ सकती है.

    जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी

    2030 तक इंसानी जीन को एडिट करके बीमारियों को जन्म लेने से पहले ही खत्म करने की क्षमता हमारे पास होगी. CRISPR जैसी तकनीकों के जरिए न सिर्फ इंसानों बल्कि पौधों और जानवरों में भी बदलाव किया जा सकेगा. यह सुनने में रोमांचक है लेकिन इससे ‘डिज़ाइनर बेबी’ और नैतिक विवाद भी खड़े हो सकते हैं. सवाल ये उठेगा कि इंसान खुद को कितना बदलने की इजाजत देंगे?

    मेटावर्स और वर्चुअल रियलिटी

    मेटावर्स और वर्चुअल रियलिटी हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनने वाले हैं. 2030 तक लोग ऑफिस, स्कूल और यहां तक कि शॉपिंग भी वर्चुअल स्पेस में करेंगे. असली दुनिया और डिजिटल दुनिया की सीमाएं धुंधली पड़ जाएंगी. यह सुविधा तो बढ़ाएगा लेकिन इससे इंसानी रिश्तों और सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ेगा. लोग हकीकत से दूर होकर पूरी तरह वर्चुअल दुनिया में खो सकते हैं.

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