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    लक्ष्यरा​जसिंह मेवाड़ बोले- क्रिकेट हमारी रगों में बहता है:दादाजी-पिताजी बेहतरीन क्रिकेटर थे, काश मैं भी होता; अब खिलाड़ियों के सपने पूरे करने हैं

    3 weeks ago

    'क्रिकेट हमारी रगों में बहता है। दादाजी और पिताश्री काफी टेलेंटेड थे। काश, मैं भी उतना टेलेंटेड हो पाता। हाँ, जो भी छोटा-मोटा क्रिकेट मैंने खेला और देखा है, वो क्रिकेट से मेरे लगाव और प्यार के लिए काफी था। उम्मीद करता हूं कि जो दादाजी-पिताश्री के सपने थे और आज खिलाड़ियों के सपने हैं, उनको मैं पूरा कर सकूं, साकार कर सकूं।' ये बात मेवाड़ पूर्व राजघराने के सदस्य डॉ लक्ष्यरा​ज सिंह मेवाड़ ने कहीं है। उदयपुर जिला ​क्रिकेट संघ में 8 साल बाद फिर से वापसी हुई है। वे निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं। उनके सामने किसी ने भी नामांकन नहीं भरा था। दैनिक भास्कर डिजीटल पर उन्होंने विशेष बातचीत में उदयपुर ​क्रिकेट को लेकर अपनी प्रा​थमिकताएं बताईं। सवाल: 8 साल बाद अध्यक्ष बने हैं, क्रिकेट को लेकर आपकी क्या प्रमुख प्राथमिकताएं हैं? डॉ लक्ष्यराज: हाल ही उदयपुर ने अंडर-23 चैंपियनशिप का फाइनल जीता। इसके लिए बहुत बधाई। मैं उम्मीद करता हूं कि इसी तरह अन्य ऐज ग्रुप में भी उदयपुर टीम अच्छा प्रदर्शन करे। इसके लिए खिलाड़ियों की जो भी आवश्यकताएं होंगी। यूडीसीए की भी जो जरूरतें होंगी। उन्हें पूरा करने और सुधार करने का काम किया जाएगा। 8 साल से मैं इस पद से दूर रहा। अब धीरे-धीरे वापस इस चीज में पकड़ बनाते हुए जमीनी चीजों को समझेंगे। फिर उदयपुर क्रिकेट को अपने मुकाम पर लाने का काम करेंगे। सवाल: आपके दादाजी पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और पिता अरविंद सिंह मेवाड़ रणजी प्लेयर रहे हैं, क्या ये परंपरा आगे भी जारी रहेगी? डॉ लक्ष्यराज: क्रिकेट हमारे रगों में बहता है। दादाजी और पिताश्री ​काफी टेलेंटेड थे। काश हम भी उतना टेलेंटेड हो पाते। हां, जो भी छोटा-मोटा क्रिकेट मैंने खेला है और देखा है। वो ​क्रिकेट से लगाव और प्यार के लिए काफी था। उम्मीद ये करता हूं कि जो दादाजी-पिताश्री के सपने थे और आज खिलाड़ियों के सपने हैं। उनको मैं पूरा कर सकूं। साकार कर सकूं। सवाल: आप निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। आपके सामने किसी ने भी नामांकन नहीं किया, इसे आप कैसे देखते हैं? डॉ लक्ष्यराज: ये जिला क्रिकेट संघ और ​​क्रिकेट प्रेमियों का मेरे और मेरे परिवार के प्रति प्यार है। इतने वर्षों बाद फिर से मुझे अध्यक्ष बनने का अवसर मिला है। ये एक जिम्मेदारी है। संघ के सभी पदाधिकारियों के सहयोग से अपनी जिम्मेदारी को निभाउंगा। सवाल: चर्चा है कि 8 साल बाद आपको वापस इसलिए लाया गया है कि आप आरसीए अध्यक्ष बनाए जाएं? डॉ लक्ष्यराज: उदयपुर जिला क्रिकेट संघ उदयपुर का अध्यक्ष बने मुझे अभी चंद लम्बे हुए है। पहले मैं यहां इस चीज को तो पचा लूं। इस जगह पर अपना कार्य बेहतर तरीके से शुरू सकूं। बाकी आगे देखते हैं क्या होता है। डॉ लक्ष्यराज के दादा रणजी प्लेयर रहे, पिता विदेशों तक खेले डॉ लक्ष्यराज के दादा पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ राजस्थान के लिए ट्रॉफी खेलते थे। करीब दो दशक तक प्रथम श्रेणी ​क्रिकेट खेला। रणजी ट्रॉफी में उनकी एंट्री 1945-46 में राजस्थान टीम के कप्तान के रूप में हुई। प्रथम श्रेणी में 31 मैच खेले, जिसमें 846 रन बनाए और 5 विकेट लिए। उन्होंने पहले राजपूताना क्रिकेट टीम, बाद में इसके उत्तराधिकारी राजस्थान टीम के लिए ​​क्रिकेट खेला। इतना ही नहीं, 1956 से 1972 तक राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन को उदयपुर से राह दिखाई थी। उस दौर में अर्जुन नायडू, सलमी दुर्रानी, वीनू मांकड जैसे नामचीन क्रिकेट राजस्थान से प्रोफेशनल खिलाड़ी थी। इसके बाद भगवतसिंह मेवाड़ के बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ (डॉ लक्ष्यराजसिंह के पिता) ने रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। इस पिच पर उनकी यह पारी करीब दो दशक तक चली। इन्होंने इंग्लैंड में ब्रम्हाल क्रिकेट क्लब में खेला और लंकाशायर सेकंड इलेवन के लिए बतौर सलामी बल्लेबाज खेले। वे आरसीए, क्रिकेट क्लब इंडिया, बॉम्बे ​क्रिकेट एसोसिएशन और लंदन में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब से जुड़े थे।
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