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    मेवाड़ से दूर हुई धरोहर:प्रताप जैसे शूरवीरों से जुड़े 1 हजार ताम्रपत्र बीकानेर भेजे, वहां म्यूजियम में सजे

    1 month ago

    मेवाड़ के शूरवीरों की गाथाओं और खास प्रसंगों से जुड़ी अनमोल धरोहर अब बीकानेर की शोभा बढ़ा रही है। महाराणा प्रताप, महाराणा सांगा, महाराणा कुंभा व अन्य कई शासकों से जुड़े ताम्रपत्रों को स्थानीय अभिलेखागार विभाग को सौंपा गया था। लेकिन, विभाग ने वर्ष 2019 को सभी एक हजार ताम्र पत्रों को केवल बीकानेर भेज दिया। इसके पीछे तर्क है कि उनके पास इतनी जगह नहीं थी कि इन ताम्र पत्रों को सहेजकर सुरक्षित रखा जा सके। इन्हें विभाग ने बीकानेर के अभिलेखागार म्यूजियम में सजाकर रखा है। बता दें कि बीकानेर में राजस्थान राज्य अभिलेखागार (बीकानेर) की स्थापना 1955 में की गई थी। इसे देश का पहला अभिलेखागार संग्रहालय भी माना जाता है। इसमें ऐतिहासिक दस्तावेजों और अभिलेखों का बड़ा संग्रह है। मेवाड़ के इतिहास को समझने के लिए अहम हैं ताम्रपत्र ताम्रपत्र हमारे इतिहास की चमकती असली धरोहर है। इनपर पुरखों ने अपनी बातें खोद-खोद कर लिखी थी। ताम्रपत्र पर लिखी गई चीजें हजारों साल बाद आज भी हमें वैसी की वैसी पढ़ने को मिलती हैं। ताम्रपत्र मेवाड़ के इतिहास, संस्कृति और शासन को समझने में मदद करते हैं। इनमें मेवाड़ के ऐतिहासिक हल्दीघाटी युद्ध, चेतक के बलिदान और महाराणा प्रताप की ओर से ब्राह्मणों को जमीन दान देने जैसे तथ्य अंकित हैं। ये होता है ताम्रपत्र ताम्रपत्र तांबे की एक प्लेट होती है। प्राचीन काल में इस पर महत्वपूर्ण दस्तावेज सहेजे जाते थे। इन पर भूमि दान, रियायतें, कानून और धार्मिक अनुष्ठानों से संबंधित अभिलेख उकेरे जाते थे। ये दस्तावेज लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए तांबे का इस्तेमाल किया जाता था। क्योंकि, तांबा एक टिकाऊ धातु है। धूल-मिट्‌टी में दबने के बाद भी इसमें जंग नहीं लगता। विभाग बोला- डिजिटल रूप में वापस लाएंगे ताम्र पत्र अभिलेखागार के सहायक निदेशक बसंत सिंह सोलंकी का कहना है कि उदयपुर में हमारे पास जगह नहीं होने के कारण इन ताम्र पत्रों को बीकानेर भेजना पड़ा। अब फिर से इन्हें मूल स्वरूप में मांगने की बजाय डिजिटल में मांगेंगे। सरकार ने हमें जोगी तालाब के समीप 10 हजार वर्ग फीट जमीन आवंटित की है। यहां कला संकुल बनाया जाएगा। इसमें विभाग का ऑफिस, प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान बनाया जाएगा। यहां पांच हजार पांडुलिपियां रखी जाएंगी। इसके अलावा 100 सीट का ऑडिटोरियम व एक ओपन थियेटर भी बनाने की योजना है। इसका प्रस्ताव सरकार को भेज रखा है।
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