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    RGHS में गड़बड़ियों की ACB जांच की तैयारी:पूर्व निदेशक के खिलाफ जांच के लिए सरकार से मांगी मंजूरी; धोखाधड़ी और रिश्वत का आरोप

    3 weeks ago

    सरकारी कर्मचारियों और अफसरों के लिए चलाई जा रही राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) में हुई गड़बड़ियों पर अब ACB जांच की तैयारी है। ACB ने RGHS की पूर्व निदेशक (प्रोजेक्ट डायरेक्टर) शिप्रा विक्रम के खिलाफ जांच के लिए सरकार से मंजूरी मांगी है। ACB ने कार्मिक विभाग को चिट्ठी भेजकर पूर्व प्रोजेक्ट डायरेक्टर के खिलाफ मिली शिकायत और आरोपों का ब्यौरा देते हुए जांच की मंजूरी देने का आग्रह किया है। फिलहाल कार्मिक विभाग ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। कार्मिक विभाग की मंजूरी के बिना जांच आगे नहीं बढ़ सकती। कार्मिक विभाग के पास बड़ी संख्या में अफसरों के खिलाफ जांच की मंजूरी के मामले लंबित हैं। 3 महीने में 17 ए के तहत भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मंजूरी देने का प्रावधान है लेकिन इसकी पालना नहीं होती। ACB ने तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर के खिलाफ शिकायत को जांच योग्य माना दरअसल, RGHS में लंबे समय से गड़बड़ियों की शिकायत मिल रही थी। सरकार ने इस योजना का जिम्मा वित्त विभाग से छीनकर स्वास्थ्य विभाग को दे दिया था। RGHS की तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर शिप्रा विक्रम को भी विवादों के बाद हटाकर नए अफसर को लगाकर उन्हें एपीओ कर दिया गया था। शिप्रा विक्रम के खिलाफ निजी हॉस्पिटल संचालक ने गैर-कानूनी तरीके से एक हेल्थ केयर प्रोवाइडर कंपनी को भुगतान करने, धोखाधड़ी में सहयोग करने और रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर एनशियेंट एस्ट्रोलोजिकल रिसर्च ट्रस्ट (IIAAR ट्रस्ट) ने ACB में शिकायत की है। ACB ने तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर के खिलाफ आरोपों से जुड़ी शिकायत को जांच करने योग्य माना है। ACB ने कार्मिक विभाग को चिट्ठी लिखकर शिकायत को जांच योग्य मानने का हवाला देकर तय अवधि में मंजूरी देने का आग्रह किया है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर और कंपनी की मिलीभगत की शिकायत पर जांच ACB को की गई शिकायत के अनुसार-ट्रस्ट ने हॉस्पिटल चलाने के लिए लिए नवंबर 2019 में यूनिक हेल्थ केयर से 5 साल का एग्रीमेंट किया था। हॉस्पिटल ने RGHS और चिरंजीवी में एम्पैनलमेंट करवाया। इसके लिए ट्रस्ट ने एक बैंक खाता खुलवाकर कंपनी को दिया था लेकिन कंपनी ने एक अलग बैंक खाता खुलवा लिया और खुद को हॉस्पिटल के मालिक के रुप में पेश किया। 5 साल बाद ट्रस्ट ने कंपनी का एग्रीमेंट आगे नहीं बढ़ाया लेकिन आरजीएचएस का पैसा सरकार से उसी बैंक खाते में आता रहा। एसीबी को की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 8 करोड़ की धोखाधड़ी की गई, इसमें प्रोजेक्ट डायरेक्टर और कंपनी की मिलीभगत थी, रिश्वत लेनदेन के आरोप हैं। एसीबी ने इसी शिकायत को आधार बनाकर आगे जांच करने का फैसला किया है। ये भी पढ़ें- मुफ्त इलाज योजना में फर्जीवाड़ा, सुशीला को बनाया सुशील:मेडिकल स्टोर-डॉक्टर्स की मिलीभगत से करोड़ों का चूना, 25 हॉस्पिटल योजना से बाहर राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों के लिए बनी मुफ्त इलाज योजना (आरजीएचएस) में करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है। डॉक्टर और मेडिकल स्टोर संचालक मिलकर फर्जी बिल बनाकर उन दवाइयों का भुगतान उठा रहे थे, जो कभी बेची ही नहीं गई। (पढ़ें पूरी खबर) राजस्थान के 119 हॉस्पिटल और दवा दुकानें RGHS से बाहर:जयपुर के 10 अस्पताल भी ब्लॉक लिस्ट में, लंबे समय से फर्जीवाड़ा कर रहे थे
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