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    वन-भूमि पर बसे लोगों को पट्टे देने की तैयारी:1975 से पहले से बसे लोगों को मिल सकते हैं अधिकार, सूरसागर विधायक ने वीडियो जारी किया

    1 week ago

    जोधपुर के सूरसागर से विधायक देवेंद्र जोशी का आज 12 अक्टूबर को जन्मदिन है। इस अवसर पर विधायक ने वीडियो मैसेज जारी किया। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास वन विभाग की जमीन पर बसे लोगों को पट्टे दिलाने का है। कार्यकर्ताओं की अपेक्षा पर हमेशा खरा उतरने का प्रयास करेंगे। क्षेत्र में मुख्य चुनौती सड़कों और सीवरेज की समस्या को लेकर है, एक अन्य चुनौती वन विभाग की जमीन पर बैठे लोगों की है। जो 50-60 वर्षों से वहां रह रहे हैं उन लोगों को पट्टे दिलाने के लिए वह प्रयासरत हैं। राज्य सरकार के माध्यम से इन लोगों की समस्या समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।- विधायक देवेंद्र जोशी कानून क्या कहता है? भारत में वन भूमि सरकार के नियंत्रण में होती है। वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत, इस जमीन को घर या व्यवसाय के लिए इस्तेमाल करने से पहले केंद्र सरकार की इजाजत चाहिए। वनाधिकार अधिनियम, 2006 के तहत, आदिवासी और वनवासी, जो 1975 से पहले से जमीन पर रह रहे हैं, उन्हें कुछ अधिकार मिल सकते हैं। लेकिन इसके लिए सबूत देना जरूरी है कि वे वहां रहते हैं और उनकी आजीविका जंगल से जुड़ी है। वन भूमि पर पट्टा देने का कानूनी प्रावधान नहीं आम नागरिकों को इस भूमि पर पट्टा देने का कोई सीधा कानूनी प्रावधान नहीं है। हालांकि वनाधिकार अधिनियम, 2006 (FRA) के तहत परंपरागत रूप से जंगलों पर निर्भर रहने वाले आदिवासी समुदायों और वनवासियों को सीमित अधिकार दिए जा सकते हैं। लेकिन FRA के तहत अधिकार मिलने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि व्यक्ति या समुदाय 1975 से पहले से लगातार उस जमीन पर रह रहा है और उसका आजीविका स्रोत वहीं से जुड़ा है। वन भूमि पर बने अतिक्रमण को वैध ठहराने के प्रयास पर्यावरणविदों का कहना है कि वन भूमि पर बने अतिक्रमण को वैध ठहराने के प्रयास भविष्य में बड़े पर्यावरणीय नुकसान का कारण बन सकते हैं।इससे अवैध कब्जों को बढ़ावा मिलेगा और वन विभाग की जमीन धीरे-धीरे घटेगी। वन क्षेत्र कम होने से जैव विविधता, वर्षा चक्र और तापमान संतुलन पर असर पड़ेगा।एक बार पट्टे जारी हो जाने के बाद लोग इसे व्यवसायिक इस्तेमाल में भी ला सकते हैं, जो पर्यावरण के लिए खतरा है। 2 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण जोधपुर में करीब 2 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण है। 2021 में इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। पहले बेरीगंगा और मगजी की घाटी में अतिक्रमण हटाए गए थे, लेकिन जोशी के बयान ने इस मुद्दे पर नई चर्चा शुरू कर दी है।
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