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    वर्ल्ड अपडेट्स:ट्रम्प बोले- मैंने 9/11 हमले से पहले ओसामा के बारे में चेतावनी दी थी, किसी ने मेरी बात नहीं सुनी

    2 weeks ago

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को दावा किया कि उन्होंने 11 सितंबर 2001 के हमलों से एक साल पहले अल-कायदा के आतंकी ओसामा बिन लादेन के बारे में चेतावनी दी थी। ट्रम्प ने कहा कि अगर उनकी बात मान ली होती, तो 9/11 का हमला रोका जा सकता था। वर्जीनिया के नॉरफॉक में अमेरिकी नौसेना के 250वीं वर्षगांठ पर ट्रम्प ने कहा- मैंने एक साल पहले ओसामा बिन लादेन के बारे में लिखा था। मैंने कहा था कि उस नजर रखनी होगी। ट्रम्प ने साल 2000 में अपनी किताब 'द अमेरिका वी डिजर्व' में बिन लादेन को अमेरिका के लिए खतरा बताया था, लेकिन उन्होंने 9/11 हमले की भविष्यवाणी नहीं की थी। ट्रम्प ने कहा- किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। एक साल बाद बिन लादेन ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर उड़ा दिया। मुझे इसका थोड़ा क्रेडिट लेना होगा, क्योंकि कोई और मुझे यह नहीं देगा। उन्होंने यह भी कहा कि फर्जी खबरें उनके इस दावे को सच नहीं मानेंगी। 11 सितंबर 2001 को अल-कायदा के आतंकियों ने चार विमानों को हाईजैक करके उन्हें न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन, और पेनसिलवेनिया के एक मैदान में क्रैश करा दिया था। इस हमले में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे, जो अमेरिका की जमीन पर सबसे बड़ा आतंकी हमला था। ट्रम्प ने अपनी स्पीच में अमेरिकी नौसेना सील्स की तारीफ की। उन्होंने कहा- इतिहास कभी नहीं भूलेगा कि नौसेना के सील्स ने पाकिस्तान में बिन लादेन के ठिकाने पर हमला किया और उसे गोली मार दी। अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ीं ये खबरें भी पढ़ें... ट्रम्प ने नेतन्याहू को फटकारा, कहा- तुम हमेशा इतने नकारात्मक क्यों रहते हो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को फोन पर फटकार लगाई है। दरअसल, हमास ने गाजा युद्ध खत्म करने के लिए ट्रम्प के 20-सूत्री प्लान को आंशिक तौर पर स्वीकार किया है। ट्रम्प ने इसे पॉजिटिव बताया, लेकिन नेतन्याहू ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर गुस्से में ट्रम्प ने कहा- मुझे नहीं पता तुम हमेशा इतने नकारात्मक क्यों रहते हो। यह जीत है, इसे स्वीकार कर लो। एक सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रम्प ने कहा कि इस वीकेंड पर हमास और दुनिया के कई देशों से बहुत अच्छी बातचीत हुई। इस बातचीत का मकसद गाजा युद्ध खत्म करना, बंधकों को छुड़ाना और मिडिल ईस्ट में शांति लाना है। ट्रम्प ने कहा- बेहतर तरीके से बातचीत हो रही है। मैं इस पुराने झगड़े पर नजर रखूंगा। समय बहुत कीमती है, नहीं तो बहुत नुकसान होगा, जो कोई नहीं चाहता। ट्रम्प का 20-सूत्री प्लान 29 सितंबर पेश किया गया था। इसका मकसद बंधकों को छुड़ाना, गाजा में लड़ाई रोकना और मिडिल ईस्ट में शांति लाना है। अमेरिका के पिट्सबर्ग में भारतीय मूल के शख्स की गोली मारकर हत्या, हमलावर से पूछा था- क्या तुम ठीक हो अमेरिका के पिट्सबर्ग में एक भारतीय मूल के शख्स राकेश एहागाबन (50) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शख्स एक मोटल का मालिक था। घटना शुक्रवार दोपहर की है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, मोटल के पार्किंग लॉट में एक विवाद हुआ था, जिसके बाद हंगामा शुरू हुआ। इसे सुनकर राकेश बाहर आया। पुलिस के मुताबिक, राकेश दो लोगों के बीच झगड़ा सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, तभी 37 साल के स्टैनली यूजीन वेस्ट ने राकेश को सिर में गोली मार दी। जब वेस्ट का झगड़ा हुआ तब राकेश उसके पास गए और पूछा कि क्या तुम ठीक हो, दोस्त? इसके तुरंत बाद वेस्ट ने राकेश के सिर में गोली मार दी। राकेश घटना स्थल पर ही मृत पाए गए। घटना से पहले, वेस्ट ने मोटल के बाहर एक महिला को गोली मारी थी। पुलिस ने बताया कि हमलावर पर हत्या, हत्या का प्रयास और दूसरे व्यक्ति की जान को खतरे में डालने के आरोप लगाए गए हैं। शिकायत में कहा गया है कि मोटल मालिक की हत्या के बाद वेस्ट बड़ी बेपरवाही से पास खड़ी एक U-Haul वैन तक गया और गाड़ी चलाकर वहां से निकल गया। बाद में पुलिस ने उसका पीछा किया। इस दौरान वेस्ट ने पुलिस पर गोली चलाई, जिससे एक पिट्सबर्ग डिटेक्टिव के पैर में चोट लगी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में वेस्ट को कई बार गोली मारी और उसे घायल किया। पुलिस को अब तक गोलीबारी के पीछे कोई साफ मकसद का पता नहीं चला है। इंडोनेशिया में सौ साल पुरानी स्कूल की इमारत गिरने से 49 बच्चों की मौत, 14 छात्र लापता इंडोनेशिया में पिछले हफ्ते एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल की इमारत गिरने की घटना में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 49 हो गई है। राहत कर्मियों ने शनिवार और रविवार को मलबे से 35 और शव निकाले। अब भी 14 छात्र लापता बताए जा रहे हैं। यह हादसा 29 सितंबर को जावा द्वीप के सिदोआर्जो इलाके में स्थित सौ साल पुराने स्कूल में हुआ था। जब इमारत गिरी, तब सैकड़ों छात्र अंदर मौजूद थे। ज्यादातर छात्र 12 से 19 साल के बीच के थे। केवल एक छात्र बिना चोट के बच पाया। 97 छात्रों को हल्की चोटें आईं और उन्हें इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि 6 गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस के मुताबिक, स्कूल की दो मंजिला बिना अनुमति के बनाई जा रही थीं। इसी वजह से ढांचा कमजोर पड़ गया और पूरी इमारत गिर गई। निर्माण विशेषज्ञ मूजी इरमावन ने बताया कि कॉन्क्रीट डालते समय इमारत का ढांचा वजन नहीं झेल पाया, क्योंकि निर्माण मानकों का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि निर्माण कार्य चलने के दौरान छात्रों को इमारत में नहीं होना चाहिए था। सिदोआर्जो जिले के प्रमुख सुबंधी ने भी पुष्टि की कि स्कूल प्रशासन ने निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। फिलहाल स्कूल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सीरिया में 14 साल बाद चुनाव, अल-शरा की जीत तय:अमेरिका ने 12 साल तक ग्लोबल आतंकी घोषित रखा, अब राष्ट्रपति बनेंगे सीरिया में लगभग 14 साल बाद संसदीय चुनाव हुए हैं। एक ऐसा देश जो बशर अल-असद की तानाशाही और 13 साल लंबे गृहयुद्ध से तबाह हुआ। रविवार सुबह दमिश्क में मतदान शुरू हुआ तो इसे असद युग के अंत के बाद 'नए दौर की शुरुआत' बताया गया। पिछले साल दिसंबर में तख्तापलट किए जाने के बाद अहमद अल-शरा ने अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता संभाली थी। इसके बाद उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों से संबंध बेहतर किए। अल-शरा को अमेरिका ने मई 2013 में स्पेशल डेसिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) घोषित किया था। 12 साल बाद अमेरिका ने जुलाई 2025 को उनका नाम आतंकियों की सूची से बाहर किया। अपने आप में यह एक अनोखा मामला है। पूरी खबर यहां पढ़ें... फ्रांस में 27 दिन में PM का इस्तीफा:इतिहास में सबसे कम समय तक रहे, 1 साल में 4 प्रधानमंत्री ने पद छोड़ा फ्रांस के पीएम सेबेस्टियन लेकोर्नू ने महज 27 दिन में इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 9 सितंबर को प्रधानमंत्री का पद संभाला था, 6 अक्टूबर को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति मैक्रों ने उनके इस्तीफे को स्वीकर कर लिया है। पीएम लेकोर्नू ने रविवार को नए मंत्रीमंडल का ऐलान किया था लेकिन 12 घंटे बाद ही उन्होंने इस्तीफा देकर सभी को हैरान कर दिया। लेकोर्नू 13 महीने में देश के चौथे पीएम थे। पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने विश्वास मत न मिलने की वजह से सितंबर में इस्तीफा दिया था। लेकोर्नू सिर्फ 39 साल के हैं और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। वह 2022 में मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से 5वें प्रधानमंत्री थे और पिछले साल संसद भंग होने के बाद तीसरे। पूरी खबर यहां पढ़ें... ईरान करेंसी से 0000 हटाएगा, 10000 अब 1 रियाल होगा:महंगाई की वजह से कदम उठाया, अभी 1 डॉलर =11 लाख 50 हजार रियाल ईरान अपनी करेंसी रियाल से 4 जीरो हटाने जा रहा है। आसान तरीके से समझे तो जल्द ही 10,000 रियाल की कीमत सिर्फ 1 रियाल होगी। इसे ईरानी संसद की मंजूरी मिल गई है। यह कदम बढ़ती महंगाई की वजह से उठाया गया है। फिलहाल, इंटरनेशनल मार्केट में 1 डॉलर के वैल्यू 11.50 लाख रियाल पहुंच चुकी है। ये प्रस्ताव को कई साल से तैयार किया जा रहा था। ईरानी संसद की आर्थिक समिति के प्रमुख शम्सोल्दीन हुसैन ने सरकारी टीवी को बताया कि ये बदलाव 2 साल बाद लागू होगा। बदलाव के बाद भी पुरानी रियाल करेंसी को तीन साल तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह कदम मुख्य रूप से मुद्रा के अवमूल्यन (devaluation) और उच्च मुद्रास्फीति (inflation) से निपटने के लिए उठाया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें... पाकिस्तान बोला-चीनी हथियारों ने भारत के खिलाफ बेहतरीन काम किया:सेना के प्रवक्ता बोले- हमने 7 फाइटर जेट्स गिराए, भारत ने एक भी नहीं पाकिस्तानी सेना ने चीनी हथियारों की तारीफ की है। सेना के प्रवक्ता जनरल अहमद चौधरी ने सोमवार को ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि इन हथियारों ने मई में भारत के खिलाफ हुए संघर्ष में बेहतरीन काम किया। उन्होंने कहा- हम हर तरह की तकनीक के लिए खुले हैं। चीनी तकनीक ने बहुत अच्छा काम किया। पाकिस्तान ने 7 भारतीय फाइटर जेट्स मार गिराए थे, जबकि भारत ने एक भी पाकिस्तानी विमान नहीं गिराया। चौधरी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान, चीन या पश्चिमी देशों के हथियारों में भेदभाव नहीं करता, लेकिन चीनी हथियारों ने इस संघर्ष में अच्छा प्रदर्शन किया। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, 2020 से 2024 तक पाकिस्तान के हथियारों का 81% चीन से आया। पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा हथियार ग्राहक है। पाकिस्तानी सेना अमेरिका के F-16 फाइटर जेट्स भी इस्तेमाल करती है। पूरी खबर यहां पढ़ें... मेडिसिन का नोबेल 3 वैज्ञानिकों को, इनमें 1 महिला:इम्यून सेल के हमले रोकने वाली T-कोशिकाएं खोजीं; कैंसर-डायबिटीज के इलाज में मददगार साल 2025 का मेडिसिन नोबेल प्राइज मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और शिमोन साकागुची को मिला है। इन्हें यह प्राइज पेरीफेरल इम्यून टॉलरेंस के क्षेत्र में किए गए रिसर्च के लिए दिया गया है। इसमें उन्होंने खोज की है कि शरीर के शक्तिशाली इम्यून सिस्टम को कैसे कंट्रोल किया जाता है, ताकि यह गलती से हमारे अपने अंगों पर हमला न करे। दरअसल, हमारा इम्यून सिस्टम हर दिन हजारों-लाखों सूक्ष्मजीवों से हमारी रक्षा करता है। ये सभी सूक्ष्मजीव अलग-अलग दिखते हैं। कई ने तो अपने आप को मानव कोशिकाओं जैसा दिखाने की क्षमता विकसित कर ली है, जिससे इम्यून सिस्टम को यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि हमला किस पर करना है और किसकी रक्षा करनी है। कैंसर-ऑटोइम्यून रोगों के इलाज में मददगार ब्रंकॉ, राम्सडेल और साकागुची ने इम्यून सिस्टम के ‘सुरक्षा गार्ड’ यानी रेगुलेटरी T-सेल्स की पहचान की, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि इम्यून सेल हमारे अपने शरीर पर हमला न करें। इसके आधार पर कैंसर और ऑटोइम्यून रोगों के इलाज खोजे जा रहे हैं। इसके अलावा इन खोजों की मदद से ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन (अंग प्रत्यारोपण) में भी मदद मिल रही है। इसके अलावा कई इलाज अब क्लिनिकल ट्रायल के दौर से गुजर रहे हैं। 5 अक्टूबर के वर्ल्ड अपडेट्स यहां पढ़ें...
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