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    बिटकॉइन ऑलटाइम हाई पर, कीमत ₹1.10 करोड़ हुई:पिछले एक साल में करीब दोगुना बढ़ा; कभी 0 रुपए थी वैल्यू

    3 weeks ago

    बिटकॉइन की कीमत पहली बार ₹1.10 करोड़ के पार पहुंच गई है। आज 5 अक्टूबर को इस क्रिप्टोकरेंसी ने ऑलटाइम हाई बनाया। 2009 में जब सतोशी नाकामोटो नाम के किसी व्यक्ति ने इसे बनाया था तब इसकी वैल्यू 0 के करीब थी। यानी, अगर उस समय आप बिटकॉइन में एक रुपए से भी कम का निवेश करते तो आज उसकी कीमत ₹1 करोड़ से ज्यादा होती। बिटकॉइन की पहली बड़ी कीमत बढ़ोतरी अक्टूबर 2010 में हुई थी। जब एक बिटकॉइन की कीमत लंबे समय तक 0.10 डॉलर (करीब ₹8) के करीब स्थिर रहने के बाद ऊपर जाने लगी। साल के अंत तक ये 0.30 डालर तक पहुंच गई। वहीं 2013 तक इसकी कीमत 1000 डॉलर के पार पहुंच गई थी। आज के हिसाब से रुपए में ये कीमत ₹87 हजार के करीब होती है। सवाल-जवाब में बिटकॉइन की पूरी डिटेल्स… सवाल 1: बिटकॉइन के हाई पर पहुंचने की क्या वजह हैं? जवाब: आर्थिक, राजनीतिक और नियामक बदलावों​​ से​​​​​ ये ऑल-टाइम हाई पर है: ​​​​​सवाल 2: बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है? जवाब: बिटकॉइन को डिजिटल दुनिया का “सोना” कहा जाता है। यह एक ऐसी डिजिटल करेंसी है जो बिना किसी बैंक या सरकार के नियंत्रण के काम करती है। यानी, ये डीसेंट्रलाइज है। किसी एक अथॉरिटी का इस पर कंट्रोल नहीं है। बिटकॉइन कोई फिजिकल कॉइन या नोट नहीं है, बल्कि एक डिजिटल कोड है जो आपके डिजिटल वॉलेट में रहता है। जैसे आप व्हाट्सएप पर मैसेज भेजते हैं, उसी तरह बिटकॉइन को आप इंटरनेट के जरिए दुनिया में कहीं भी भेज सकते हैं। इनकी संख्या भी सीमित है। बिटकॉइन ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है सवाल 3: ब्लॉकचेन कैसे काम करती है? जवाब: ब्लॉकचेन को ब्लॉकों की एक श्रृंखला के रूप में सोचें। प्रत्येक ब्लॉक कॉपी का एक पेज है जिसमें लेनदेन की सूची होती है (जैसे, आदित्य ने विक्रम को 100 रुपए भेजे)। जब ब्लॉक भर जाता है, तो उसे लॉक कर दिया जाता है और पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है। नोड्स नामक कंप्यूटर इस जानकारी को जांचते और स्टोर करते हैं, यह सुनिश्चित करके कि यह सही और सुरक्षित है। ब्लॉकचेन बहुत सुरक्षित भी है, क्योंकि यह डेटा को बचाने के लिए गणित और कोड का उपयोग करता है। चूंकि कई कंप्यूटर ब्लॉकचेन की कॉपी रखते हैं, इसे हैक करना मुश्किल है। सवाल 4: बिटकॉइन को डिजिटल सोना क्यों कहते हैं? जवाब: बिटकॉइन की एक खास बात यह है कि इसकी कुल संख्या 21 मिलियन है। इससे ज्यादा बिटकॉइन कभी नहीं बनेंगे। यह नियम इसकी तकनीक में पहले से ही लिखा हुआ है। अगर बिटकॉइन अनलिमिटेड बनते, तो जैसे ज्यादा नोट छापने से सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं, वैसे ही बिटकॉइन की कीमत कम हो सकती थी। इस सीमित आपूर्ति की वजह से इसे “डिजिटल सोना” कहा जाता है, क्योंकि यह दुर्लभ और कीमती है। सवाल 5: बिटकॉइन और फिएट करेंसी में क्या फर्क है? जवाब: फिएट करेंसी वह नोट या सिक्का है, जिसे सरकार छापती है, जैसे भारत में 500 रुपए का नोट। अगर सरकार कह दे कि यह नोट अब मान्य नहीं है, जैसा कि 2016 में नोटबंदी के दौरान हुआ, तो उसकी कीमत शून्य हो सकती है। लेकिन, बिटकॉइन सोने की तरह है जिसकी अपनी आंतरिक कीमत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भी सोने की तरह दुर्लभ है और इसे सरकार नियंत्रित नहीं कर सकती। पहले लोग अनाज या सोना देकर चीजें खरीदते थे। फिर सरकार ने कागजी नोट छापे। पहले, करेंसी की कीमत सोने या चांदी जैसे भौतिक संसाधनों पर आधारित होती थी। जितना सोना आपके पास है, उतनी ही करेंसी आप छाप सकते थे। फिर भौतिक आधार की शर्त को हटा दिया गया। यानी, सरकार जितने चाहे उतने नोट छाप सकती है। लेकिन इससे महंगाई बढ़ती है। बिटकॉइन इस पूरी व्यवस्था को बदल देता है। सवाल 6: क्या बिटकॉइन खरीदना रिस्की है? जवाब: हां, बिटकॉइन रिस्की हो सकता है। इसकी कीमत बहुत ऊपर-नीचे होती है। वॉलेट का पासवर्ड भूलने से भी बिटकॉइन खो सकता है। साथ ही, कुछ देश इसके लिए सख्त नियम बना सकते हैं। सवाल 7: बिटकॉइन के फायदे और नुकसान क्या है? फायदे: नुकसान: सवाल 8: बिटकॉइन का भविष्य क्या है? जवाब: अगर ज्यादा लोग और कंपनियां बिटकॉइन इस्तेमाल करें, तो यह और बड़ा हो सकता है। यह ऑनलाइन सामान्य पैसे की तरह बन सकता है, लेकिन इसके लिए नई तकनीक और सरकारी अनुमति जरूरी है। --------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... 1. थोक महंगाई 2 साल के निचले स्तर पर: जुलाई में ये माइनस 0.58% पर आई, खाने-पीने के सामान की कीमतों में कमी आई जुलाई महीने में थोक महंगाई घटकर माइनस 0.58% पर आ गई है। ये इसका 2 साल कर निचला स्तर है। इससे पहले जून 2023 में ये माइनस 4.12% पर आ गई थी। रोजाना की जरूरत के सामान और खाने-पीने की चीजों की कीमतों के घटने से महंगाई कम हुई है। इससे पहले जून में ये माइनस 0.13% पर आ गई थी। वहीं मई 2025 में ये 0.39% और अप्रैल 2025 में 0.85% पर थी। पूरी खबर पढ़ें... 2. ट्विटर के फाउंडर ने ही बिटकॉइन बनाया: दावा- जैक डोर्सी ही सतोशी नाकामोतो, क्रिप्टोकरेंसी की ग्रोथ और डोर्सी के बीच संबंध दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के फाउंडर जैक डोर्सी हैं। यह दावा डी-बैंक्ड के एडिटर इन चीफ सीन मरे ने किया है। मरे के मुताबिक, बिटकॉइन की ग्रोथ और ट्विटर के फाउंडर डोर्सी से जुड़ी सभी घटनाएं आपस में काफी मिलती-जुलती हैं। बिटकॉइन को किसने बनाया? दुनिया अब तक यह नहीं जान पाई है। इसलिए इसके फाउंडर को एक काल्पनिक नाम दिया गया है जिसे ‘सतोशी नाकामोतो’ कहा जाता है। रियल लाइफ में इस नाम कोई व्यक्ति या ग्रुप नहीं है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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