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    हाईकोर्ट ने शाहरुख-दीपिका की राहत को बरकरार रखा:भरतपुर में दर्ज FIR पर रोक जारी रहेगी, मामले को मीडिएशन के लिए भेजा

    1 month ago

    बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली राहत बरकरार रहेगी। जस्टिस सुदेश बंसल की बेंच ने दोनों के खिलाफ भरतपुर में दर्ज एफआईआर पर लगी रोक को बरकरार रखा हैं। भरतपुर में दोनों के खिलाफ डिफेक्टिव व्हीकल की मार्केटिंग करने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई थी। कार कंपनी हुंडई के ब्रांड एंबेसेडर शाहरुख खान और दीपिका के साथ कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अनसो किम, होल टाइम डायरेक्ट एंड चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर तरुण गर्ग और शोरूम मालिकों का नाम भी एफआईआर में शामिल था। वहीं कोर्ट ने दोनों पक्षों की रजामंदी के बाद मामले को मीडिएशन के लिए भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अगली सुनवाई से पहले मध्यस्थता की बैठक हो जानी चाहिए। वकील का आरोप- कार ओवरटेक करते वक्त पिकअप नहीं लेती कीर्ति सिंह ने FIR में बताया- उन्होंने जून 2022 में हुंडई कंपनी की कार 23 लाख 97 हजार 353 रुपए में खरीदी थी। यह कार मालवा ऑटो सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, सोनीपत (हरियाणा) से ली थी। सिंह का आरोप है कि हाईवे पर ओवरटेक करते वक्त कार पिकअप नहीं लेती। सिर्फ आरपीएम बढ़ता है। कार के ओडोमीटर में माल फंक्शन (खराबी) लिखा आने का साइन नजर आने लगता है। 6-7 महीने कार चलाने के बाद इसमें टेक्निकल फॉल्ट आने शुरू हो गए। तेज चलने पर कार आवाज करने के साथ ही वाइब्रेट होने लगती थी। गाड़ी में इंजन मैनेजमेंट सिस्टम पर खराबी का साइन दिखाता है। इस वजह से कई बार एक्सीडेंट होते-होते बचा। जब इस समस्या को लेकर एजेंसी (कार शोरूम) को बताया गया तो जवाब मिला कि कंपनी की इस कार में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है, जो सही नहीं हो सकता है। इसके बाद उन्होंने संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट में परिवाद दायर किया। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। हमारे खिलाफ स्पष्ट आरोप नहीं एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, एमडी अनसो किम और एक अन्य की ओर से याचिका दायर की गई। याचिकाओं में कहा गया कि हमारे खिलाफ कोई स्पष्ट आरोप नहीं है। परिवादी वकील कीर्ति सिंह ने करीब 3 साल (67 हजार से ज्यादा किलोमीटर) गाड़ी को चलाया है। अगर उन्हें फिर भी किसी तरह की शिकायत थी तो इसके खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में जा सकते थे। इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती हैं। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 सितम्बर को एफआईआर पर रोक लगा दी थी।
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