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    हाईकोर्ट ने ट्रायल-कोर्ट का आदेश माना दूषित, DSP को क्लीनचिट:DGP को निर्देश-जांच अधिकारी पर कार्रवाई की सिफारिशें नजरअंदाज करें, जालोर में एक्सीडेंट केस में सुनवाई

    4 weeks ago

    राजस्थान हाईकोर्ट ने जालोर के एक चर्चित ट्रक एक्सीडेंट केस से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई की। जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को दूषित मानते हुए आंशिक रद्द करने के साथ ही जांच अधिकारी पुलिस उप अधीक्षक को क्लीन चिट दी है। जस्टिस संदीप शाह ने अपने रिपोर्टेबल जजमेंट में डीजीपी को भी निर्देश दिया है, कि इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ट्रायल कोर्ट की सिफारिशें नजरअंदाज करें। दरअसल, 14 नवंबर 2022 की शाम 4:20 बजे सांचौर रोडवेज बस स्टैंड पर एक मामूली विवाद की शुरुआत हुई। हरीश कुमार पुत्र बाबू लाल ने दो-तीन साथियों के साथ मिलकर दिलीप कुमार (पुत्र जीवाराम) पर हमला किया। जब दिलीप वहां से भागने में सफल हो गया तो हरीश ने लाठी लेकर उसका पीछा किया। बचने के लिए दिलीप राष्ट्रीय राजमार्ग 68 की तरफ भागा। नेशनल हाई-वे पर भागते समय पहले एक सफेद स्विफ्ट कार ने दिलीप को टक्कर मार दी, जिससे वह असंतुलित हो गया। तभी पंजाब नंबर के ट्रक ने उसे कुचल दिया। गंभीर रूप से घायल दिलीप को चेतन ने अस्पताल पहुंचाया। उपचार के दौरान 18 नवंबर 2022 को उसकी मौत हो गई। CCTV फुटेज और पुलिस जांच मृतक के पिता जीवा राम ने घटना के सीसीटीवी फुटेज जुटाए, जिसमें हरीश, दिलीप का पीछा करते हुए दिखाई दिया था। सीसीटीवी फुटेज की यह पेन-ड्राइव पुलिस को सौंप दी गई। 16 नवंबर 2022 को शाम 7:04 बजे एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। डीएसपी रूपसिंह इंदा ने इसकी जांच शुरू की। 17 नवंबर को जांच अधिकारी ने घायल दिलीप का बयान लेने की कोशिश की, लेकिन वह वेंटिलेटर पर होने के कारण बयान देने की स्थिति में नहीं था। शिकायतकर्ता जीवाराम और गवाह अरविंद कुमार ने बयान में बताया कि ट्रक तेज गति और लापरवाही से चलाया जा रहा था। 18 नवंबर को ट्रक मालिक इकबाल सिंह और चालक बिट्‌टूसिंह को नोटिस दिया गया। बिट्‌टूसिंह ने स्वीकार किया कि घटना के समय वह ट्रक चला रहा था। ट्रक जब्त कर लिया गया। महीनों की तलाश के बाद हरीश की गिरफ्तारी हरीश कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने सांचौर, जालोर, झाब, भीनमाल, हैदराबाद और मुंबई तक संभावित ठिकानों पर छापे मारे। आखिरकार, 3 मार्च 2023 को हरीश की गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पुलिस ने हरीश कुमार और ट्रक चालक बिट्‌टूसिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या सहित अन्य धाराओं में चार्जशीट पेश कर दी। ट्रायल कोर्ट की जांच अधिकारी को फटकार 4 मार्च 2023 को जब हरीश को कोर्ट में पेश किया गया, तो जालोर एससी/एसटी कोर्ट के स्पेशल जज ने जांच में गंभीर कमियां पाईं। कोर्ट ने देखा कि सीसीटीवी फुटेज अधूरा था और जांच अधिकारी ने एविडेंस एक्ट की धारा 65B के तहत मूल फुटेज नहीं लिया था। कोर्ट ने यह भी पाया कि जांच अधिकारी गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था। कोर्ट ने जांच अधिकारी को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए- मूल फुटेज जुटाना, धारा 65B के तहत प्रमाणपत्र लेना, सफेद स्विफ्ट कार के चालक की जांच करना और अतिरिक्त गवाहों के बयान लेना। संशोधित जांच और नए साक्ष्य ट्रायल कोर्ट के निर्देशों के बाद 6 से 16 मार्च 2023 के बीच सुरेश कुमार, मेघाराम, नरेश कुमार, चेतनराम, जसराज और श्रवण कुमार के बयान दर्ज किए गए। सभी गवाहों ने पुष्टि की, कि दिलीप को पहले सफेद कार ने हल्की टक्कर मारी, जिससे वह असंतुलित हुआ और फिर ट्रक ने उसे कुचल दिया। इसके साथ ही मूल सीसीटीवी फुटेज जुटाकर विस्तृत विवरण तैयार किया गया। ट्रायल कोर्ट का ‘विवादास्पद’ फैसला 6 जुलाई 2023 को ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें हरीश कुमार के खिलाफ धारा विभिन्न धाराओं के तहत संज्ञान लिया और सम्मन जारी किया। लेकिन बिट्‌टूसिंह के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच अधिकारी रूपसिंह इंदा और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जांच के निर्देश दिए। कोर्ट ने एससी/एसटी रूल्स के तहत रिपोर्ट तैयार कराने और डीजीपी को भेजने के आदेश दिए। हाईकोर्ट में दायर हुई दो याचिकाएं ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अपील दायर हुई। इनमें पहली शिकायतकर्ता जीवा राम ने दाखिल की, जिसमें ट्रक ड्राइवर बिट्‌टूसिंह के खिलाफ संज्ञान नहीं लेने का विरोध किया। वहीं दूसरी याचिका में जांच अधिकारी रूपसिंह इंदा ने अपने खिलाफ जांच के निर्देशों का विरोध किया। इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जस्टिस संदीप शाह ने 4 सितंबर 2025 को फैसला सुरक्षित रखा और 25 सितंबर को अंतिम निर्णय सुनाया। ट्रायल कोर्ट के फैसले पर की तल्ख टिप्पणी जस्टिस संदीप शाह ने अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट के निर्णय पर तल्ख शब्दों में टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि विवादित आदेश "अत्यंत दूषित तरीके से और कानून के स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए" पारित किया गया है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को "पूर्णतः विकृत" करार देते हुए कहा कि यह "जांच अधिकारी के प्रति ट्रायल कोर्ट की घृणा को दर्शाता है"। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने जांच अधिकारी को "बिना नोटिस दिए ही कोसा" है और यह "बिना किसी न्यायसंगत आधार के" किया गया है। ट्रायल कोर्ट का यह व्यवहार "प्राकृतिक न्याय के मूलभूत सिद्धांत का पूर्ण निषेध" है, क्योंकि बिना सुनवाई दिए जांच अधिकारी की "निंदा" की गई है। ट्रायल कोर्ट के फैसले के तीन पैराग्राफ निरस्त हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के तीन पैराग्राफ (35, 36 और 37) को निरस्त कर दिया, जिसमें जांच अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के अनुसार अन्वेषण अधिकारी रूप सिंह इंदा के खिलाफ कोई जांच नहीं होगी। साथ ही डीजीपी को ट्रायल कोर्ट की सिफारिशों को नजरअंदाज करने का निर्देश दिया गया है। ट्रक चालक बिट्‌टूसिंह के मामले को वापस ट्रायल कोर्ट में भेजा गया है, ताकि कानून के अनुसार नया आदेश पारित किया जा सके। हरीश कुमार के खिलाफ संज्ञान बरकरार रहा है।
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