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    सरकारी लेक्चरर ने टमाटर उगाकर लाखों का प्रॉफिट कमाया:10 हजार खर्च कर आधे बीघा में की शुरुआत; इस बार 8 लाख की फसल बेचेंगे

    1 month ago

    सरकारी स्कूल के लेक्चरर ने 10 हजार रुपए से टमाटर की खेती शुरू की थी। उन्हें इसमें 1 लाख 75 हजार का मुनाफा हुआ तो इसी में आगे बढ़ने का फैसला किया। इस साल उन्हें फसल से 8 लाख का मुनाफा होने की उम्मीद है। लेक्चरर का कहना है कि - पढ़ा-लिखा व्यक्ति खेती में नए प्रयोग कर सकता है और खेती को घाटे का सौदा नहीं रहने दे सकता। खेती किसानी में आज बात चित्तौड़गढ़ के भीमगढ़ के रहने वाले किसान प्रकाश जाट की.... मां और बहन ने पढ़ाया, खेती भी करते थे प्रकाश जाट बताते हैं- वे चित्तौड़गढ़ जिले के राशमी उपखंड के भीमगढ़ गांव के रहने वाले हैं। पिता किशनलाल जाट के साथ बचपन से ही खेत पर जाया करते थे। जब प्रकाश 12 साल के थे, तभी कैंसर की बीमारी से पिता का निधन हो गया। घर की जिम्मेदारी उनकी मां चमकूबाई और बड़ी बहन बालीबाई पर आ गई। दोनों ने मिलकर अपने मुझे और मेरे भाई को अच्छे से पढ़ाया। आज वे गवर्नमेंट स्कूल में लेक्चरर हैं। जाट ने बताया कि गांव में हमारी 15 बीघा जमीन है। पहले हम केवल पारंपरिक खेती करते थे। इससे केवल 25 हजार तक ही इनकम होती थी। रिसर्च कर टमाटर उगाने का फैसला लिया प्रकाश ने बताया कि साल 2011 में मेरी नौकरी लग गई। इसके बाद भी खेती करना नहीं छोड़ा। साल 2023 में टमाटर की फसल को लेकर रिसर्च शुरू की। इसके बाद यह भी मालूम चला कि भीमगढ़ में पानी और मिट्टी भी टमाटर के अनुकूल ही है। इसलिए टमाटर की खेती करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि टमाटर की खेती ड्रिप और मल्चिंग सिस्टम से भी किया जा सकता है, लेकिन वह देसी तरीका यानी बेड बनाकर खेती करते हैं। हर साल बढ़ रहा है मुनाफा, इसलिए अब ज्यादा एरिया में खेती 10 हजार खर्चा, डेढ़ लाख से ज्यादा कमाई: प्रकाश जाट बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले आधा बीघा जमीन पर टमाटर की खेती की। इस पर करीब 10 हजार रुपए का खर्च आया। लेकिन जब फसल तैयार हुई तो 1 लाख 75 हजार रुपए के टमाटर बिके। यानी सिर्फ आधे बीघे की जमीन से उन्हें 1 लाख 65 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। 50 हजार खर्चा, 4.50 लाख कमाए: दूसरे साल उन्होंने 1 बीघा जमीन पर टमाटर लगाए। इस बार करीब 50 हजार रुपए खर्च हुए। मेहनत रंग लाई और लगभग 200 क्विंटल टमाटर का उत्पादन हुआ। बाजार में अच्छी कीमत मिली और कुल 5 लाख रुपए की पैदावार से 4.50 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। प्रकाश कहते हैं कि इतना फायदा तो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। दायरा बढ़ाया, इस बार उम्मीद 8 लाख: अब यह उनका तीसरा साल है। इस बार उन्होंने 1.5 बीघा जमीन पर टमाटर लगाए हैं। अब तक करीब 35 हजार रुपए का खर्चा हो चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि करीब 350 क्विंटल टमाटर की पैदावार होगी। यदि बाजार में भाव अच्छे मिले तो इस बार 7 से 8 लाख रुपए का मुनाफा संभव है। जुलाई से शुरू हो जाता है पौधे तैयार करना प्रकाश बताते हैं कि टमाटर की बुवाई का समय आमतौर पर जुलाई से शुरू होता है। इस बार बारिश जल्दी होने के कारण उन्होंने 25 जून को ही बुवाई कर दी। लगभग 20 से 25 दिन में पौधे तैयार हो जाते हैं और उसके बाद खेत में रोपाई की जाती है। टमाटर की फसल फरवरी-मार्च तक चलती है। अक्टूबर से दिसंबर का समय इसकी बढ़वार और उत्पादन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। रोग और कीटों से बचाव जरूरी है प्रकाश बताते हैं कि टमाटर की खेती में सबसे बड़ी समस्या फंगस और कीटों की होती है। मच्छरों और कीड़ों का प्रकोप भी काफी रहता है। इसके लिए समय-समय पर दवाओं का छिड़काव किया जाता है। शीतलहर भी पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए किसानों को हर स्थिति पर नजर रखनी पड़ती है। बड़े बाजारों में मिलती है अच्छी रेट प्रकाश बताते हैं कि टमाटर का भाव अक्सर बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। कभी 8 रुपए किलो में बिकता है तो कभी 40 रुपए किलो तक भाव पहुंच जाता है। प्रकाश जाट बताते हैं कि उनके खेत से निकले टमाटर किशनगढ़, कोटा, अजमेर, उदयपुर, जयपुर और भीलवाड़ा की बड़ी मंडियों में सप्लाई किए जाते हैं। यदि उस समय मंडियों में अच्छी मांग रहती है तो मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है। गर्मियों में होती है 6 दिनों में एक बार सिंचाई टमाटर की फसल में समय-समय पर पानी देना बेहद जरूरी है। गर्मियों में 5-6 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी पड़ती है जबकि ठंड में 15-16 दिन में एक बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है। ड्रिप इरिगेशन तरीके से पानी और खाद दोनों की बचत होती है और फसल भी ज्यादा अच्छी होती है। .... खेती-किसानी से जुड़ी ये खबर पढ़िए... बिना बारिश के भी जिंदा रहेगी यह फसल:जोधपुर में 20 साल बाद तैयार हुई नई वैरायटी, देशभर के किसानों को होगा फायदा देशभर के किसानों को मोठ की ऐसी किस्म मिलने जा रही है, जो बिना या कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देगी। मानसून में 40 दिन के सूखे के बाद भी बारिश की नमी से खुद को जिंदा रख सकेगी। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
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