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    कैश ऑन डिलिवरी पर एक्स्ट्रा चार्ज! ग्राहकों को ठगना अब ई-कॉमर्स कंपनियों को पड़ेगा महंगा

    2 weeks ago

    Complaint Against E-Commerce Platforms: देश में तेजी से लोकप्रिय हो रही ई-कॉमर्स कंपनियों का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसी के साथ इन प्लेटफॉर्म्स के कामकाज को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं. हाल के महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें ग्राहकों से कैश ऑन डिलिवरी (COD) विकल्प चुनने पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है. अब सरकार ने इस पर सख्त रुख अपनाया है और ऐसी कंपनियों के खिलाफ जांच तेज कर दी है.

    सरकार के निशाने पर आए ई-प्लेटफॉर्म्स

    उपभोक्ता मामलों का विभाग (Department of Consumer Affairs) उन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की जांच कर रहा है, जो ग्राहकों से नकद भुगतान के विकल्प पर अतिरिक्त चार्ज लेते हैं. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हाल में एक ट्वीट में ऐसे मामलों को “डार्क पैटर्न” करार दिया है — यानी ऐसी भ्रामक रणनीतियाँ, जिनसे उपभोक्ताओं को गुमराह कर अतिरिक्त भुगतान करवाया जाता है.

    जोशी ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाएगी और ई-कॉमर्स क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधार करेगी.

    कैश ऑन डिलिवरी पर वसूले जा रहे “हैंडलिंग चार्ज”

    यह विवाद तब सामने आया जब सोशल मीडिया पर कई उपभोक्ताओं ने स्क्रीनशॉट साझा किए, जिनमें कुछ कंपनियों द्वारा “पेमेंट हैंडलिंग चार्ज” के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूला गया था. एक्स (X) प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स ने जोमैटो, स्विगी और जेप्टो जैसी ऐप्स पर “रेन फीस (Rain Fee)” और अन्य अतिरिक्त चार्ज को लेकर भी नाराजगी जताई.

    इन शिकायतों के बाद सरकार अब इस मुद्दे पर एक्शन मोड में है. जोशी ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि इन मामलों की गहन जांच की जाएगी और जो कंपनियाँ उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.

    नए कानून की तैयारी में सरकार

    सरकार पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी दे चुकी है कि वे उपभोक्ताओं के साथ अनुचित व्यवहार न करें. इसके साथ ही, “डार्क पैटर्न्स” और अतिरिक्त शुल्क वसूली जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए नए कानून लाने की तैयारी भी चल रही है.

    सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को खरीदारी के दौरान पूर्ण पारदर्शिता मिले और उन्हें किसी भी तरह से छिपे हुए शुल्क (Hidden Charges) या भ्रामक विकल्पों से गुमराह न किया जाए. कुल मिलाकर, ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकार की इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन खरीदारी को अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाया जा सकेगा.

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