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    मामा-भांजे ने फाइनेंस कंपनी बनाई, करोड़ों रुपए लेकर फरार:गुस्साए पीड़ितों ने घर में तोड़फोड़ की, बाइक फूंकी; बोले-मेहनत कर एक-एक पैसा जोड़ा था

    1 month ago

    साल 2010... खैरथल-तिजारा का मातौर गांव मामा-भांजे ने नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड के नाम से फाइनेंस कंपनी बनाई। खुद का ऑफिस खोला और लोगों को रकम पर साल का 24% तक ब्याज देने का झांसा दिया। बॉन्ड, पासबुक और रसीदें भी छपवाईं। पहले कुछ साल ब्याज के साथ रुपए लौटाकर विश्वास जीता। इसके बाद लोग झांसे में आकर मेहनत से कमाई हुई मोटी रकम FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) और RD (रिकरिंग डिपॉजिट) में जमा कराने लगे। 15 साल में निवेश के नाम पर जमा किए गए करोड़ों रुपए लेकर मामा-भांजा फरार हो गए। बुधवार (24 सितंबर) को आक्रोशित लोगों ने गांव में उनके घर में घुसकर तोड़फोड़ कर दी और तीन बाइक आग के हवाले कर दी। पुलिस पहुंची तो लोगों का गुस्सा देख लौटना पड़ा, लेकिन बाद में भारी फोर्स के साथ आई। फिलहाल गांव में शांति है। भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा और लोगों से बातचीत की। अब गांव के घर-घर में एक ही चर्चा है कि मेहनत से कमाकर जमा किया रुपया वापस कैसे आएगा? सिलाई, खेतों में मेहनत-मजदूरी कर जमा कराए रुपयों से किसी को बेटियों की शादी करनी थी तो किसी को मकान बनाना था। अब सभी सपने चूर होते दिख रहे हैं। सबसे पहले घटना से जुड़ी ये तस्वीरें देखें... अब पूरा घटनाक्रम सिलसिलेवार पढ़िए... मातौर गांव में रहने वाला दाताराम चौधरी खेती-बाड़ी के साथ पशुओं से अच्छी कमाई कर रहा था। साल 2010 में हरियाणा में रहने वाले भांजे नरेश चौधरी ने ठगी की योजना बनाई। मामा-भांजा ने मिलकर नवअंश इंडिया निधि लिमिटेड के नाम से फाइनेंस कंपनी बनाई। इसके बाद मातौर गांव में बस स्टैंड के पास मेन रोड पर खुद की दुकानों में ऑफिस खोला। इसके बाद दोनों ने लोगों से संपर्क कर खाते खुलवाने और राशि अलग-अलग स्कीमों में जमा करवाने के लिए राजी किया। गांव के कुछ लोगों को एजेंट बनाकर खाते खुलवाने का टारगेट दिया। लोगों को राशि पर 2 प्रतिशत मासिक (सालाना 24 प्रतिशत) ब्याज देने का झांसा दिया गया। लोन लेने पर राशि पर 3 प्रतिशत ब्याज और तय समय से पहले जमा राशि निकलवाने पर 10 प्रतिशत कटौती का नियम बनाया गया। इन शर्तों को रसीद और पासबुक पर प्रिंट करवाया गया। ऐसे शुरू किया ठगी का खेल सबसे पहले स्थानीय कमेटियों (लॉटरी सिस्टम) में बचत की राशि जमा कराने वालों को टारगेट किया गया। ब्याज के साथ जमा राशि लौटाने का वादा किया। लोगों को 3 प्रतिशत ब्याज पर रुपए दिए जाने लगे। जरूरत पर लोगों को लोन मिलने लगे और लेनदेन बढ़ता गया। 15 साल तक कई लोगों को ब्याज समेत राशि लौटाई गई। लालच बढ़ा तो निवेशक स्कीम मैच्योर होने वाली राशि को वापस जमा कराने लगे। इसके साथ ही अन्य लोगों ने भी बचत और पेंशन के रुपयों के अलावा मोटी रकम जमा कराना शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों के अलावा खैरथल-तिजारा और मुंडावर के हजारों लोगों के खाते खोले गए। ऑफिस में करोड़ों रुपए जमा हो गए। अचानक लेनदेन बंद होने से शंका करीब दो महीने पहले ऑफिस में लोगों को रुपए देना बंद कर दिया गया, जबकि राशि जमा करने की प्रक्रिया चलती रही। लोग परेशान होने लगे तो रुपयों के डूबने का डर सताने लगा। लोगों ने ऑफिस में खाते खुलवाने वाले एजेंटों को पकड़ना शुरू कर दिया और रुपयों की मांग करने लगे। एजेंट की मौत के बाद संचालक फरार इसी दौरान 11 सितंबर 2025 की रात गांव के रहने वाले दिनेश कुमार की ट्रेन से कटकर मौत हो गई, जो फाइनेंस कंपनी का एजेंट था। खैरथल रेलवे अंडरपास के पास दिनेश का शव मिला। घटना से 5 दिन पहले से नरेश गायब था। वहीं दाताराम चौधरी दिनेश की मौत के बाद 13 सितंबर को गांव छोड़कर फरार हो गया। दिनेश के भाई अमित ने आरोप लगाया- करोड़ों की राशि डूबने के डर से एजेंट पर दबाव बढ़ा, जिसके चलते उसने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। ठगी के आरोपी दाताराम चौधरी और नरेश चौधरी समेत पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया गया। पंचायत में कहा- चार दिन में रुपए लौटा दूंगा, फिर गायब 19 सितंबर को फाइनेंस कंपनी के वादे को लेकर लोगों की पंचायत हुई। मातौर गांव की सरपंच के देवर महेंद्र ने दाताराम चौधरी से संपर्क कर गांव में बुलाया। महेंद्र ने बताया- दाताराम को विश्वास दिलाया गया कि गांव में उसके साथ कुछ नहीं किया जाएगा। लोगों के जमा रुपयों को लेकर वह गांव आकर बात करे। पंचायत में दाताराम चौधरी ने लोगों को विश्वास दिलाया कि सभी निवेशकों के रुपए नरेश चौधरी (भांजा) से दिलवा देगा। सारे रुपए नरेश के पास ही हैं। रुपए लौटाने के लिए चार दिन का समय मांगा और लोगों से रसीद व बॉन्ड जमा कराने को कहा। इसके बाद दाताराम परिवार के साथ गायब हो गया। गुस्साए लोगों ने घर में घुसकर की तोड़फोड़, तीन बाइक फूंकी वादे के मुताबिक चार दिन बाद 23 सितंबर को दाताराम चौधरी लोगों को नहीं मिला। रात में दाताराम के घर से भैंसें पिकअप में लोड कर ले जाने की सूचना पर लोगों का गुस्सा भड़क गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण दाताराम के घर घुस गए और तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां खड़ी तीन बाइक को आग के हवाले कर दिया। दाताराम के घर में कोई नहीं था, लेकिन पास में उसके भाई उमराव चौधरी के परिवार की जान सांसत में आ गई। सूचना मिलने पर खैरथल पुलिस मौके पर पहुंची। ASP रतन लाल भार्गव ने बताया- ग्रामीण निवेशकों का आरोप है कि फाइनेंस कंपनी मालिक और उसके एजेंट करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए हैं। गुस्से में भीड़ ने दाताराम चौधरी के घर पर हमला किया। घटना की सूचना बुधवार रात (23 सितंबर) करीब 10 बजे मिली थी। मौके पर पहुंचते ही लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया। घबराए पुलिसकर्मी लौट गए। अतिरिक्त जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचकर हालात पर नियंत्रण पाया। गांव के पांच लोगों को शांतिभंग के आरोप में हिरासत में लिया गया। दाताराम का परिवार घर पर नहीं था, वहीं उसके भाई उमराव चौधरी के परिवार को सुरक्षित निकाला गया। अब पढ़िए लोगों का दर्द और चिंता... दिव्यांग सीमा ने बताया- सिलाई मशीन चलाकर एक-एक रुपया जोड़ा और दिव्यांगता की पेंशन से अपनी बेटियों की शादी के लिए पौने दो लाख रुपए दाताराम को जमा करवाए थे। जब उन्होंने पैसे मांगे तो दाताराम ने उन्हें नहीं दिए। कहा कि आपके पैसों की जिम्मेदारी मेरी है। लेकिन अब दाताराम गांव छोड़कर भाग गया है। अब बेटियों की शादी कैसे होगी। मकान कैसे होगा। बुजुर्ग प्रेमवती ने बताया- दाताराम के जरिए 3 लाख रुपए जमा करवाए। 3 लाख रुपए उनके बड़े बेटे, 1 लाख 50 हजार छोटी बहू और 1 लाख 50 हजार पोते ने जमा करवाए। सभी के कुल 9 लाख रुपए दाताराम के जरिए फाइनेंस कंपनी में 18 महीने की FD करवा कर जमा किए गए। दाताराम ने FD करने वाले लोगों को आश्वासन दिया था कि जब FD पूरी हो जाएगी तो अपने पैसे वापस ले लेना। बुढ़ापे में गुजर-बसर करने के लिए उन्होंने FD के जरिए पैसे दाताराम को दिए थे। बिजली बोर्ड से रिटायर्ड कर्मचारी शंभूदयाल ने बताया- दाताराम के जरिए अपना और पत्नी का खाता खुलवाया। उन्होंने 6 लाख 20 हजार रुपए जमा करवाए, जिसमें 2 लाख 15 हजार उनके खुद के थे, बाकी पत्नी के पैसे थे। गांव के लोगों ने दाताराम पर विश्वास कर करोड़ों रुपए जमा करवाए, लेकिन दाताराम करीब 25 करोड़ रुपए लेकर भाग गया। उन्होंने बताया कि वह अपनी पेंशन से हर महीने 10,000 रुपए दाताराम को जमा करवाते थे। हुक्म कौर ने बताया कि उनके 3 लाख, बेटे के 5 लाख और बेटी के 2 लाख रुपए दाताराम को जमा करवाए गए थे। दाताराम ने ब्याज देने का लालच देकर लोगों से पैसे जमा करवाए और शुरू में कुछ समय तक ब्याज भी दिया, लेकिन बाद में ब्याज देना बंद कर दिया। मजदूरी कर बड़ी मेहनत से यह पैसे जमा करवाए थे, लेकिन अब दाताराम के भाग जाने से लोगों में भारी आक्रोश है।
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