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    पुरानी बिल्डिंग, घटिया काम:चिकित्सा विभाग बेसुध; बच्चों के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल की दीवारें सीलन की जकड़ में

    3 weeks ago

    एसएमएस के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में शॉर्ट-सर्किट से लगी आग में 8 लोगों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने कार्रवाई की खानापूर्ति तो पूरी कर दी, लेकिन ऐसी लापरवाही आगे नहीं होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। भास्कर ने अस्पतालों में लगने वाली आग की पड़ताल की तो चौंकाने वाले हालात मिले। किसी भी अस्पताल में कभी भी आग लग सकती है। हर जगह खराब फॉल्स सीलिंग, उसी के ऊपर घटिया इलेक्ट्रिक वर्क, तारों के खुले ज्वाइंट और टपकता पानी बड़े हादसों को न्योता दे रहे हैं। इसी कारण पिछले दो साल में आग की 6 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 12 की मौत हुई और 2 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। ये आग आईसीयू, कैथ लैब व अस्पतालों के विभिन्न हिस्सों में लगी हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन, चिकित्सा विभाग और सरकार हर बार छोटी-मोटी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं। स्थायी समाधान नहीं निकाला। जेके लोन के एनआईसीयू डी में कभी भी हो सकता है फॉल्ट आईसीयू, लैब व ओटी में भी लगी आग, स्टोर में दवाइयां भी जलीं जेके लोन: 18 जुलाई 2023 को आईसीयू में आग लग गई। 25 बच्चे भर्ती थे, जिन्हें मुश्किल से बचाया जा सका। आईसीयू की मरम्मत में पांच माह से अधिक समय लगा। 40 लाख रुपए खर्च करने पड़े। महिला अस्पताल: 22 जून 2024 को लैब में लगी आग के कारण करीब 25 लाख रुपए का नुकसान। लैब अब तक शुरू नहीं हुई। एसएमएस: 21 अगस्त 2024: कैथ लैब में आग लग गई। फिर से स्थापित करने में 6 माह लग गए। 60 लाख रुपए का नुकसान।
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