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    पूर्व इनकम टैक्स चीफ कमिश्नर को 4 साल की सजा:चांदी का कप और सोने की चम्मच करता था इस्तेमाल, पूर्व ITO को भी जेल

    1 month ago

    जोधपुर में रिश्वत मामले में इनकम टैक्स विभाग के पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा और पूर्व ITO शैलेंद्र भंडारी को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने दोनों पर 1.10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। जोधपुर के स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज भूपेंद्र सनाढ्य ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। वहीं बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले ज्वेलर को बरी कर दिया। पवन कुमार शर्मा 1981 बैच का IRS अधिकारी रहा। सीबीआई को जांच के दौरान उसके बंगलों में हर कमरे में 18-18 हजार रुपए के डिजाइनर पंखे लगे मिले थे। उसे चांदी के कप में चाय पीने और सोने के चम्मच का इस्तेमाल करने का शौक था। इसके अलावा अलग-अलग जिलों में भी संपत्ति मिली थी। मामला 31 मार्च 2015 का है। बाड़मेर के व्यापारी की शिकायत के बाद पवन कुमार शर्मा, शैलेंद्र भंडारी और ज्वेलर चंद्रप्रकाश कट्टा को गिरफ्तार किया गया था। व्यापारी से रिश्वत मांगी, 23 लाख रुपए की हुई डील बाड़मेर के व्यापारी किशोर जैन ने CBI को शिकायत दी थी। इसमें बताया था कि आयकर विभाग ने उसकी टैक्स देनदारी को मूल 2.5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 12 करोड़ रुपए कर दिया था। इस मामले को निपटाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने शुरुआत में 25 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। जो बाद में बातचीत के बाद 23 लाख रुपए तय हुई। किशोर जैन की शिकायत के बाद सीबीआई ने ट्रैप ऑपरेशन की योजना बनाई। 31 मार्च 2015 को जौहरी चंद्रप्रकाश कट्टा के शोरूम पर शैलेंद्र भंडारी को 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते समय रंगे हाथों पकड़ा गया। यह रकम कथित तौर पर मुख्य आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा की तरफ से ली जा रही थी। इस ऑपरेशन में CBI ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। 400 करोड़ की संपत्ति का दावा गिरफ्तारी के बाद जांच में CBI के सामने हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। पवन कुमार शर्मा के पास जयपुर, जोधपुर, अजमेर और बेंगलुरु में कुल 400 करोड़ रुपए की संपत्ति होने की बात पता चली। उसके बंगलों के हर कमरे में 18-18 हजार रुपए के डिजाइनर पंखे लगे थे। चांदी के कप में चाय पीने और सोने के चम्मच का इस्तेमाल करने का शौक था। उसके घर से 50 बोतल महंगी विदेशी शराब भी बरामद हुई थी। पूर्व कमिश्नर की 8 संपत्तियों पर छापेमारी की थी सीबीआई ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। आरोप था कि विभाग के अफसरों ने किशोर जैन से उसकी कंपनी के वर्ष 2012-13 के आयकर असेसमेंट को सुलझाने के लिए 23 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। सीबीआई कोर्ट ने 1 अप्रैल 2015 को तीनों को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा था। कोर्ट में पवन कुमार शर्मा ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था- 'मैं शैलेंद्र भंडारी को जानता तक नहीं हूं। वह झूठ बोल रहा है।' रिमांड के दौरान सीबीआई ने उनसे कड़ी पूछताछ की थी। नवंबर 2015 में सीबीआई ने पवन कुमार शर्मा की जोधपुर की आठ संपत्तियों पर छापेमारी की थी। दोनों अधिकारियों को विभाग से निलंबित कर दिया था। बाद में ये जमानत पर बाहर आ गए थे। सीबीआई ने मामले में चार्जशीट दाखिल की थी।
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