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    'सरकार लाखों के पैकेज-वालों को छोड़, मजदूरों के पीछे पड़ी':उम्मेदाराम बोले- टांका ग्रामीणों की लाइफ-लाइन, ऑफिस में बैठे लोगों को लगा यहां बड़ा घोटाला है

    1 day ago

    राजस्थान में मनरेगा के तहत किसानों के खेतों में पानी के टांके (वाटर स्टोरेज टैंक) बनाने पर रोक लगाने के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि सरकार मनरेगा स्कीम को ही बंद करना चाहती हैं, इसलिए ऐसा किया जा रहा है। बाड़मेर- जैसलमेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल का कहना है- मनरेगा में मजदूरों की दिन में 3 बार फिंगर प्रिंट और फेस स्कैनिंग से हाजिरी की जाती है। जबकि लाखों का पैकेज लेने वालों के साथ ऐसा नहीं होता है। सरकार मजदूरों के पीछे पड़ी है। केंद्र सरकार का जल जीवन मिशन (जेजेएम) सबसे बड़ा घोटाला है। बाड़मेर की हकीकत है कि 95 प्रतिशत नलों में पानी नहीं पहुंचा है। कई जगह सिर्फ कागजों में नल लगाए गए हैं। जो पानी ग्रामीणों को मिलता था, वो मनरेगा में बने टांकों की वजह से मिलता है। अब टांकों का निर्माण भी सरकार ने बंद कर दिया। बेनीवाल ने पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा- पूर्व सांसद, सांसद खेल महोत्सव करवा रहे हैं। अगर करवाना है तो प्रधानमंत्री के नाम पर करवा दें। इस मामले को संसद की विशेषाधिकार हनन कमेटी तक ले जाऊंगा, जरूरत पड़ी तो कोर्ट की शरण लूंगा। पढ़िए सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल की भास्कर से खास बातचीत सवाल: सरकार ने टांकों पर रोक लगा दी, आपका क्या कहना है? जवाब: सरकार की मंशा नहीं है कि मनरेगा ठीक ढंग से चले। पूरे राजस्थान में बाड़मेर-जैसलमेर में सबसे अधिक टांका निर्माण काम चल रहा है। पूरे प्रदेश में जितना बजट खर्च होता है, उसका 30 प्रतिशत मनरेगा का इन दो जिलों (बाड़मेर-जैसलमेर) में खर्च होता है। ऑफिस में बैठे लोगों को यह लगा कि यहां बड़े घोटाले हो रहे होंगे। अफसरों ने इस मकसद से सरकार को कन्फ्यूज किया है। यह सरकार का जन विरोधी निर्णय है, जिसे तुरंत वापस लेना चाहिए। टांकों से ग्रामीण इलाकों में पानी की कमी की समस्या का समाधान हुआ है। ग्रामीण बारिश का पानी टांके में इकट्‌ठा करते हैं, फिर इससे पूरे साल शुद्ध पानी पीते हैं। इससे बड़ा और क्या फायदा होगा। टांका निर्माण पर सरकार की रोक बिल्कुल गलत है। सवाल: इससे पहले सरकार ने बॉर्डर की कई स्कीम को भी बंद कर दिया, लगातार ऐसा क्यों हो रहा है? जवाब: सरकार की मंशा जनता के हित में काम करने की नहीं है। पहले बीएडीपी के कार्यों को भी रोका गया था। दूरदराज के क्षेत्रों में लोग रहते हैं। कई इलाके आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। इसका डेवलपमेंट करने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने स्कीम शुरू की थीं, उनसे विकास भी हुआ है। बीजेपी जब से सत्ता में आई है, एक के बाद एक महत्वपूर्ण स्कीम्स को बंद कर रही है। बीजेपी का मकसद यही है कि जाति और धर्म के नाम पर लोगों को भड़काना और सत्ता में बने रहना। जाति और धर्म की बात करके सत्ता में बनी रहना चाहती है। विकास के कामों से उनको कोई लेना-देना नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में आर्थिक सुधार हुए, उसके लिए वो सरकार जानी जाती है। पूर्ववर्ती सरकारों ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किए, जैसे इंदिरा गांधी नहर, नर्मदा नहर, डैम, हरित क्रांति, बड़े लाइट प्रोजेक्ट की बात करें, तो हर क्षेत्र में तब की सरकार की दूरगामी सोच थी। उन्होंने काम किए इसी वजह से हम आज इस स्टेज पर हैं। बीजेपी सरकार को 11 साल हो गए, जाति और धर्म से लोगों को बाहर आने ही नहीं दे रही है। सपने दिखा रही है 2047 में विकसित भारत के, लेकिन महंगाई पर कोई कंट्रोल नहीं है। महंगाई, काले धन समेत जिन मुद्दों पर बीजेपी सत्ता में आई, उनसे बीजेपी भटक गई है। जनता के कामों से बीजेपी को लेना-देना नहीं है। वो एक- एक करके जनहितैषी योजनाओं को बंद कर रही है। विकास का गला घोंट रही है। सवाल: योजनाओं को बंद करने के पीछे क्या मकसद है, क्या यह तुगलकी फरमान है? जवाब: सरकार का जनता से कोई लेना-देना नहीं है। धर्म और जाति की राजनीति पर विश्वास करती है। जातिगत समीकरण बैठाओ, फूट डालो और राज करो। लोगों को डरा रही है कि हिंदुस्तान के अंदर यह हो जाएगा, वो हो जाएगा। खाली डरा-डरा कर राज करना चाह रही है। संवैधानिक एजेंसियां ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। बीजेपी के खिलाफ कोई भी बोले, चाहे वो पत्रकार ही क्यूं नहीं हो, आवाज दबाने के लिए मुकदमे कर दिए जाते हैं। यह बीजेपी की तुष्टिकरण की नीति है। जनता इसको स्वीकार नहीं करेगी। जनता आने वाले समय में पंचायती राज या नगर परिषद, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारा जवाब देने के लिए तैयार बैठी है। सवाल: मनरेगा के तहत सरकार से बजट बकाया है, मिल नही रहा है। सरपंचों ने कई बार मांग भी उठाई, ऐसा क्यों हो रहा है? जवाब: मनरेगा का सबसे ज्यादा और सही काम बाड़मेर- जैसलमेर में हुआ है। चाहे ग्रेवल सड़क या टांकों का काम हो। दो ही काम है, जिससे आम आदमी को फायदा पहुंचता है। लेकिन सरकार ग्रामीण क्षेत्र में चल रही स्कीमों को बंद करने के लिए तुली हुई है। कांग्रेस सरकार ने मनरेगा योजना शुरू की थी। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में जीवनयापन और आजीविका अर्जित करने में बहुत बड़ा फायदा मिला है। लोगों के लिए यह एक नई जीवनदायिनी योजना साबित हुई है। लेकिन बीजेपी सरकार इसे बंद करना चाह रही है। सरकार सीधे तौर पर और एकदम आदेश निकाल नहीं रही है। धीरे-धीरे इस योजना को कमजोर कर रही है। मजदूरों की उपस्थिति की बात करें तो मजदूरों की दिन में तीन बार हाजिरी होती है। वो भी फेस स्कैनिंग और फिंगर प्रिंट लेकर की जाती है। जहां नेटवर्क नहीं चलता है, वहां हाजिरी नहीं लगती है। इसके बाद भी लोग इस योजना में काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पानी और रास्तों की जरूरत है, इसलिए काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी नौकरी में जिसका लाखों का पैकेज है, उनके कोई फिंगर प्रिंट और फेस स्कैनिंग की प्रोसेस नहीं होती है। सरकार मनरेगा मजदूर के पीछे पड़ी हुई है। मनरेगा स्कीम को किसी न किसी तरीके से बंद करें। लोगों को परेशान करें, जिससे मनरेगा का नाम नहीं ले सके। सवाल: पूर्व सांसद बाड़मेर-बालोतरा में सांसद युवा खेल महोत्सव करवा रहे हैं, क्या आपको आपत्ति है? जवाब: उनका (कैलाश चौधरी) काम है विवादों में रहना। वो जनमानस के विरोध में हैं। जनता ने उनको नकार दिया। जनता में उनका जनाधार खत्म हो गया। फिर भी वो एमपी वाली फीलिंग और एमएलए वाली फीलिंग लेना चाहते हैं। हारे हुए एमएलए और एमपी के प्रत्याशी जनता में यह साबित करना चाहते हैं कि हमें आपने जिताया नहीं, उसके बावजूद हम आपके जनप्रतिनिधि है। हम ही एमपी और एमएलए हैं। यहां लोकतंत्र का अपमान हो रहा है। इसके खिलाफ हमने बाड़मेर और बालोतरा जिला कलेक्टर को लिखित में शिकायत भी की है। लेकिन वो कहते हैं कि हमें कोई नॉलेज ही नहीं है। सवाल: कलेक्टर को नॉलेज नहीं और शिक्षा विभाग पीटीआई लगा रहा है, क्या यह हो सकता है? जवाब: मेरे पूछने पर उन्होंने (कलेक्टर) कहा कि शिक्षा विभाग करवा रहा है। तब मैंने कहा कि शिक्षा विभाग किसके अंडर में आता है, वो तो जयपुर से मंत्री जी का फोन आया, हमारे ऊपर दबाव आया है। हम कुछ नहीं कर सकते हैं। वो बेबसी जाहिर करना चाहते हैं। मैं तो इतना ही कहूंगा कि डबल इंजन की सरकार केवल लोकतंत्र का मखौल उड़ा रही है। लोकतंत्र की व्यवस्था के खिलाफ लगी हुई है। अपने गुणगान और बखान में लगी हुई है। जनता के काम से कोई लेना नहीं है। अभी जो शिविर चल रहे हैं, उसमें भी कोई काम नहीं हो रहे हैं। खाली टाइमपास हो रहा है। पंचायतीराज और नगर निकाय चुनावों से भी उनका कोई लेना-देना नहीं है। सवाल: क्या यह सांसद विशेषाधिकार हनन में आता है? जवाब: बिल्कुल, यह विशेषाधिकार हनन के अंदर आता है। इस मामले को संसद की विशेषाधिकार कमेटी तक लेकर जाऊंगा। अगर मुझे कोर्ट की शरण लेनी पड़ी तो वहां पर जाऊंगा। जनता की भावना के खिलाफ जो प्रतियोगिता करवा रहे हैं, इसको लेकर जनता में भी रोष है। आने वाले समय में जनता जवाब देगी। झूठे प्रचार भी कर रहे हैं बड़े-बड़े भाषण भी दे रहे हैं। इतने लोग ओलिंपिक में गए हैं, इससे यह फायदा है, वो फायदा है। खेल खलोंगे तो शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहोंगे। सांसद के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। वो गलत है। सवाल: आप पर खेल विरोधी होने का आरोप लगाया है, क्या मानते हैं? जवाब: खेल विरोधी तो वो हो गए। खेल का मखौल उड़ा रहे हैं। प्रोग्राम या खेल करवाए, तो कौन मना कर रहा है। प्रधानमंत्री के नाम से करवा दें, पूर्व सांसद के नाम से करवा दें, 'सांसद खेल महोत्सव' नाम रखा, इसके लिए उन्हें जनता को जवाब देना पड़ेगा। --- यह खबर भी पढ़िए... मनरेगा से अब खेतों में नहीं बना सकेंगे टांके:जानें- सरकार ने क्यों लगाई रोक; कांग्रेस MLA बोले- रेगिस्तान की पीठ में खंजर घोंपा प्रदेश भर में मनरेगा के तहत किसानों के खेतों में पानी के टांके (वाटर स्टोरेज टैंक) बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। ग्रामीण विकास विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। पूरी खबर पढ़िए
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