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    सूर्य शनि समसप्तक योग को कमतर न समझें, ये पिता-पुत्र, बॉस-कर्मचारी और जनता-सत्ता को आमने-सामने लाता है!

    4 weeks ago

    Surya Shani Samaspatka Yog: ज्योतिष शास्त्र में कुछ योग ऐसे हैं जिन्हें समझना केवल कुंडली तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरा समाज और राजनीति भी उनसे प्रभावित होती है. इन्हीं में से एक है सूर्य शनि समसप्तक योग.

    सूर्य आत्मा, पिता, सत्ता और तेज का कारक है जबकि शनि कर्म, श्रम, न्याय और जनता का. जब दोनों ग्रह एक ही राशि या भाव में आकर युति करते हैं तो इसे समसप्तक योग कहा जाता है. यह योग केवल व्यक्तिगत जीवन नहीं बल्कि परिवार, करियर और राजनीति तक में बड़े संघर्ष और परिवर्तन का कारण बनता है.

    शास्त्रों में साफ कहा गया है कि सूर्येण सह स्थितः शनि: पितृसुतयोः वैरं ददाति. अर्थात जब सूर्य और शनि साथ होते हैं तो पिता-पुत्र के बीच दूरी और वैचारिक टकराव होता है. यही कारण है कि इस योग को संघर्ष का योग कहा जाता है.

    पिता-पुत्र का अनन्त टकराव

    अगर इस योग को परिवार के संदर्भ में देखें तो यह जनरेशन गैप की स्थिति को स्पष्ट करता है. पिता (सूर्य) परंपरा, अनुशासन और अधिकार के पक्षधर होते हैं.

    वे चाहते हैं कि संतान उनके बताए रास्ते पर चले. दूसरी ओर पुत्र (शनि) मेहनत, संघर्ष और बदलाव का प्रतीक है. वह चाहता है कि पुराने ढांचे को तोड़कर नई राह बनाई जाए.

    यही वजह है कि जिनकी कुंडली में सूर्य-शनि युति होती है, उनके जीवन में पिता-पुत्र के बीच संबंध चुनौतीपूर्ण रहते हैं. यह टकराव कई बार कड़वाहट में बदलता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यदि संवाद और धैर्य रखा जाए तो यही संबंध व्यक्ति को मजबूती और आत्मविश्वास भी देता है.

    आज के समय में यह योग बताता है कि क्यों हर पीढ़ी एक-दूसरे को समझने में संघर्ष करती है. Gen-Z बनाम पिता की सोच इसी योग का आधुनिक रूप है.

    ऑफिस में बॉस और कर्मचारी की खींचतान

    आधुनिक जीवन में यह योग कार्यस्थल पर भी असर डालता है. सूर्य, बॉस और अथॉरिटी हैं जबकि शनि मेहनतकश कर्मचारी. जब दोनों साथ आते हैं तो कार्यस्थल पर बॉस बनाम कर्मचारी की स्थिति बनती है. बॉस चाहता है कि नियमों और पावर के हिसाब से काम हो, जबकि कर्मचारी मेहनत और न्याय की बात करता है.

    इस योग से नौकरी में तनाव, प्रमोशन में देरी और वरिष्ठों से टकराव हो सकता है. लेकिन ज्योतिष यह भी कहता है कि सूर्य-शनि योग वाले लोग अगर धैर्य और निरंतर मेहनत करें, तो देर से ही सही पर स्थायी सफलता उन्हें जरूर मिलती है. यही कारण है कि इस योग से प्रभावित लोग अक्सर Struggle to Success Stories लिखते हैं.

    राजनीति में जनता बनाम सत्ता का संघर्ष

    सूर्य-शनि योग केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक जीवन तक सीमित नहीं है. जब यह योग राष्ट्रीय या वैश्विक गोचर में सक्रिय होता है, तो जनता और सत्ता के बीच संघर्ष तेज हो जाता है.

    सूर्य शासक वर्ग और सत्ता का प्रतीक है, जबकि शनि आम जनता का प्रतिनिधि है. यही कारण है कि इस योग के दौरान विरोध-प्रदर्शन, हड़तालें और जनआंदोलन तेज हो जाते हैं.

    इतिहास गवाह है कि जब भी सूर्य और शनि का विशेष संयोग बना, तब सरकारों को जनता के दबाव का सामना करना पड़ा. इस योग को राजनीति में जनता बनाम सत्ता के महासंघर्ष का प्रतीक माना जाता है.

    संघर्ष से उपजी सफलता

    हालांकि यह योग संघर्षों से भरा हुआ माना जाता है, लेकिन इसमें एक सकारात्मक पहलू भी छिपा है. शनि का स्वभाव है देर से फल देना, पर स्थायी देना. सूर्य का स्वभाव है तेज और प्रभावशाली होना. जब दोनों मिलते हैं तो व्यक्ति का जीवन संघर्षों से भर जाता है. लेकिन यही संघर्ष उसे मजबूत बनाता है और उसकी सफलता को स्थायी करता है.

    ऐसे लोग जीवन में देर से आगे बढ़ते हैं लेकिन जब सफलता मिलती है तो वह लंबे समय तक कायम रहती है. वे न्यायप्रिय, मेहनती और समाज में सुधार लाने वाले बनते हैं. इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि श्रमफलवती सदा शनि-सूर्य संयोगे.

    स्वास्थ्य और निजी जीवन पर प्रभाव

    इस योग का असर केवल रिश्तों और करियर तक नहीं रहता, बल्कि स्वास्थ्य पर भी दिखाई देता है. सूर्य और शनि की युति से आँखों, हड्डियों, रक्तचाप और हृदय संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. निजी जीवन में बार-बार मानसिक तनाव और असुरक्षा की भावना भी बढ़ सकती है.

    शास्त्रीय उपाय

    • सूर्य शनि समसप्तक योग के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं.
    • रविवार को सूर्य को अर्घ्य दें और शनिवार को तिल, तेल और काले वस्त्र का दान करें.
    • आदित्य हृदय स्तोत्र और शनि स्तोत्र का पाठ करें.
    • पिता का सम्मान और श्रमिकों के प्रति सहयोग इस योग को संतुलित करता है.

    सूर्य शनि समसप्तक योग-पावर और मेहनत आमने-सामने

    सूर्य शनि समसप्तक योग केवल एक ज्योतिषीय संयोग नहीं है, बल्कि यह जीवन का वह सच है जिसमें पावर और मेहनत आमने-सामने खड़े होते हैं. पिता-पुत्र का जनरेशन गैप, ऑफिस में बॉस-कर्मचारी का तनाव और राजनीति में जनता-सत्ता का संघर्ष - यह सब इसी योग का विस्तार है.

    लेकिन यही संघर्ष व्यक्ति और समाज दोनों को मजबूती भी देता है. कठिनाइयां जितनी बड़ी होंगी, सफलता उतनी ही स्थायी होगी. इसलिए यह योग हमें यह सिखाता है कि संघर्ष को दुश्मन न समझें, बल्कि उसे महानता की ओर जाने वाली सीढ़ी मानें.

    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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