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    स्वर्ण मृग बने मारीच को श्रीराम ने दी सदगति

    4 weeks ago

    भास्कर संवाददाता | पाली रामलीला मंचन के पांचवें दिन सोमवार को शुरुआत शिव वंदना से हुई। पहले दृश्य में पर्दा उठते ही रावण सीता हरण करने मामा मारीच के पास जाता है। रावण कहता है "मारीच! अब वक्त आ गया है। उस राम की स्त्री को छीन लेने का। मुझे चाहिए मिथिला की राजकुमारी। मारीच कहता है कि राक्षसराज! यह अधर्म है... श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। उनसे शत्रुता मृत्यु को बुलावा देना है। रावण धमकी भरे स्वर में कहता है कि मारीच! या तो मेरे काम आ, या आज यहीं तेरा अंत कर दूंगा। मारीच कहता है कि इससे तो बेहतर होगा, मैं राम के बाणों से मारा जाऊं। इसके बाद मारीच मृग का रूप धारण करता है, और सीता के समक्ष विचरण करता है। सीता के हठ पर राम हिरण के पीछे जंगल में चले जाते हैं। तभी हिरण के रूप में मारीच राम की आवाज में लक्ष्मण को सहायता के लिए पुकारता है। सीता के उलाहने पर रेखा खींचकर लक्ष्मण राम की सहायता करने निकल जाते हैं। उधर, रावण साधु का वेश धर भिक्षा मांगने पहुंचता है। सीता को बातों में उलझाकर लक्ष्मण रेखा पार करवा देता है। जैसे ही सीता रेखा के बाहर आती हैं रावण असली स्वरूप में आकर उसे जबरदस्ती पुष्पक विमान में डाल लंका की ओर ले चलता है। जटायु रावण के विमान का पीछा करना शुरू कर देते हैं। रावण तलवार से जटायु के पंख काट देता है। घायलावस्था में जटायु राम नाम का जप शुरू कर देते हैं। उधर राम और लक्ष्मण जंगल में सीता को खोज रहे हैं। जटायु राम को वृत्तांत सुनाकर प्राण त्याग देते हैँ। राम- लक्ष्मण जटायु का अंतिम संस्कार कर सीता की खोज में आगे बढ़ते हैं और पर्दा गिर जाता है। सबरी के आश्रम में राम का आगमन होता है। सबरी राम को जूठे बेरे खाने को देती है तब राम उसके जूठे बेर खाते हैं। आश्रम से निकलने पर वन में राम की सुग्रीव से भेंट होती है। राम सुग्रीव को दोस्ती और साथ देने का वचन देते हैं। सुग्रीव राम को वन में पड़े मिले आभूषण पहचाने के लिए देते हैं। राम कहते हैं भाई लक्ष्मण तुम इन्हें पहचानो। तब लक्ष्मण कहता है यह तो मैया सीता के आभूषण हैं। बाली का राम के हाथों संहार : सुग्रीव ने पीड़ा बताते हुए कहा कि मेरे भाई बाली ने मुझे वन में लाकर पटक दिया। युद्ध में सुग्रीव के लिए राम कुछ नहीं कर पाते, क्योंकि दोनों एक जैसे दिखने से राम प्रहार नहीं कर पाते। सुग्रीव घायल हो जाता है। बाद में राम सुग्रीव को अपनी माला पहनाकर युद्ध के लिए भेजते हैं। ताकि राम सुग्रीव को पहचान सके। दोनों के बीच युद्ध चल रहा होता है तब राम बाली पर प्रहार कर देते हैं। बाली राम से कहता है कि मेरे पुत्र अंगद को साथ रख लो।
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