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    दुग्ध संघ का बोर्ड भंग, जिला कलक्टर बने प्रशासक:कोरम पूरा न होने से दुग्ध संघ का संचालन ठप, रजिस्ट्रार ने लिया फैसला

    1 month ago

    चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड, चित्तौड़गढ़ में लंबे समय से चल रही खींचतान और इस्तीफों के कारण आखिरकार बड़ा फैसला ले लिया गया है। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान, जयपुर की ओर से आदेश जारी कर संघ के संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है। अब जिले के कलक्टर को प्रशासक नियुक्त किया गया है, जो आगामी चुनाव होने तक संघ का कार्यभार संभालेंगे। कोरम पूरा न होने से मंडल अल्पमत में, कामकाज ठप दुग्ध संघ के उपनियमों के अनुसार इसके संचालक मंडल में कुल 16 सदस्य होने चाहिए। इनमें 12 निर्वाचित, 3 मनोनीत और प्रबंध निदेशक पदेन सचिव के रूप में शामिल रहते हैं। लेकिन हाल ही में लगातार इस्तीफों और पद खाली होने से हालात बिगड़ गए। संघ के 12 निर्वाचित सदस्यों में से 8 सदस्य पद पर नहीं रहे। यानी बोर्ड में केवल 4 निर्वाचित और 4 मनोनीत सदस्य बचे। नियम यह है कि बैठक का कोरम तभी पूरा माना जाता है जब संचालक मंडल के 50 प्रतिशत से ज्यादा सदस्य मौजूद हों। यानी कम से कम 9 सदस्य होने जरूरी थे। लेकिन केवल 8 सदस्य ही बचे, जिससे कोरम पूरा नहीं हो पाया और मंडल अल्पमत में आ गया। इस कारण बैठक बुलाना और फैसले लेना असंभव हो गया। लगातार इस्तीफों और मनमानी आरोपों से बोर्ड और कमजोर 12 सितंबर को हुई सुनवाई में तीन सदस्य जमनालाल, भैरूलाल और मदनलाल ने उपस्थित होकर साफ कहा कि मंडल मनमानी कर रहा था, इसलिए उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया। अध्यक्ष बद्रीलाल जाट ने इस दौरान जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली सुनवाई 25 सितंबर को रखी गई। 25 सितंबर की सुनवाई में तीन और सदस्य उमा देवी, सीता देवी और सुमन देवी भी सामने आए और उन्होंने भी यही बात दोहराई कि मनमानी के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया। लेकिन इस बार अध्यक्ष बद्रीलाल जाट नोटिस मिलने के बावजूद उपस्थित नहीं हुए और न ही कोई जवाब दिया। इसके अलावा हथियाना दुग्ध समिति में प्रशासक की नियुक्ति हो चुकी है और रेण का खेड़ा महिला ग्राम विकास दुग्ध समिति की अध्यक्ष को हटा दिया गया है। इन हालातों ने संघ के बोर्ड को और कमजोर बना दिया। कानूनी प्रावधानों के तहत हुई कार्रवाई राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 (संशोधित 2013) की धारा 30 (1)(ख) के तहत अगर किसी समिति के गठन या उसके कार्यों में गतिरोध आ जाता है तो रजिस्ट्रार को अधिकार है कि वह बोर्ड को भंग कर प्रशासक नियुक्त कर दे। चूंकि दुग्ध संघ में अब कोरम नहीं बचा और बैठकें संभव नहीं थीं, इसलिए यह धारा लागू करते हुए आदेश जारी किया गया। गतिरोध खत्म करने के लिए बोर्ड भंग, जिला कलेक्टर बने प्रशासक रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान, जयपुर मंजू राजपाल ने आदेश में कहा कि दुग्ध संघ के संचालक मंडल की स्थिति पूरी तरह गतिरोध में आ चुकी है। कोरम पूरा न होने से समिति का संचालन संभव नहीं है। इसलिए बोर्ड को भंग कर दिया जाता है और जिला कलक्टर, चित्तौड़गढ़ को प्रशासक नियुक्त किया जाता है। कलक्टर अब छह महीने तक या फिर संघ के नए संचालक मंडल के चुनाव होने तक संघ का प्रबंधन संभालेंगे। साथ ही उन्हें निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द संघ के नए बोर्ड का चुनाव करवाया जाए, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया संचालक मंडल कार्यभार संभाल सके।
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