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    बच्चों की तबीयत बिगड़ी…उस कंपनी का पहले भी सैंपल फेल:जून में ही शुरू हुई थी इस सिरप की सप्लाई, जयपुर में ICU में 2 साल की बच्ची

    1 month ago

    खांसी की दवा पीने से बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले थम नहीं रहे हैं। सीकर में पांच साल के बच्चे की मौत हो गई। दावा किया जा रहा है सिरप पीने के बाद ही बच्चे की सांसें थम गईं। इसके अलावा सीकर के श्रीमाधाेपुर और भरतपुर के अलावा जयपुर में भी एक केस सामने आया है। सिरप पीने के बाद दो साल की बच्ची को जयपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल के ICU में भर्ती कराना पड़ा। खास बात यह है कि जिस सिरप (dextromethorphan hydrobromide syrup) से तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आए हैं, उसकी इसी साल जून में जांच के बाद सप्लाई शुरू हुई थी। जिस कंपनी की ये सिरप है। उसकी एक दवा पहले भी 'नॉट ऑफ स्टैंडर्ड' पाई गई थी। इधर, लगातार मामलों के बाद आरएमएससीएल ने दवा की वितरण पर रोक लगा दी है। ड्रग डिपार्टमेंट ने दवाओं के सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… बच्ची को 27 सितंबर को सांगानेर डिस्पेंसरी में दिखाया था राजधानी के दूदू के समीप गाडोता में रहने वाली दो साल की यश्वी कुछ दिनों से अपने मामा के घर सांगानेर में रह रही थी। इस दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई। सर्दी-जुकाम, खांसी-बुखार की तकलीफ के बाद बच्ची को 27 सितंबर को सांगानेर डिस्पेंसरी में दिखाया। डिस्पेंसरी से दवा लेने के बाद यश्वी की मां ने पहले उसे बुखार की दवा दी। फिर यश्वी को लेकर अपने गांव गाडोता लेकर चली गई। गांव आने के बाद भी तबीयत में सुधार नहीं होने पर यश्वी को डिस्पेंसरी से मिली सिरप भी पिला दी। दवा पिलाने के बाद बच्ची सो गई। कुछ देर बाद बच्ची को जगाने की कोशिश हुई तो वो जागी नहीं, बेसुध हो गई। तीन-चार घंटे तक सुधार नहीं होने पर घरवाले बच्ची को प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर आए। वहां से गंभीर हालत देखते हुए बच्ची को मानसरोवर स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। फिलहाल आईसीयू में उसका इलाज चल रहा है। यश्वी की मां सुनीता और यश्वी के मामा राजेश गुर्जर ने बताया कि अब बच्ची की हालात में कुछ सुधार नजर आ रहा है। उन्होंने सांगानेर डिस्पेंसरी की पर्ची दिखाते हुए बताया कि जो दवाएं डिस्पेंसरी से मिली, वही यश्वी को दी थी। राजेश गुर्जर ने बताया कि बच्ची को dextromethorphan hydrobromide syrup ip दवा दी थी। फर्म का सैंपल पहले भी नॉट ऑफ स्टैंडर्ड घाेषित हो चुका जिस सिरप के चलते बच्चों की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आए हैं। उसकी निर्माता कंपनी का नाम कायसन फार्मा है। जयपुर बेस्ड इस फर्म का पहले भी खांसी की दवा का एक सैंपल फेल हो चुका है। ड्रग डिपार्टमेंट ने 5 अक्टूबर 2023 को खांसी की दवा chlorpheniramine malcate,ammonium chloride sodium citrate and menthol syrup के बैच KL-22/359 feb-2024 को जांच के बाद नॉट ऑफ स्टैंडर्ड पाया था। आरएमएससीएल ने दवा के वितरण पर लगाई रोक निशुल्क दवा योजना के तहत दवा सप्लाई करने वाली आरएमएससीएल ने इस दवा के वितरण पर रोक लगा दी है। आरएमएससीएल के कार्यकारी निदेशक एवं विशेषाधिकारी जयसिंह ने बताया कि दवा के दो बैच की जांच कराई जा रही है। साथ ही दवा के सभी बैच के वितरण पर रोक लगा दी है। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि उक्त सिरप के बैच का सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवा दिया है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। साथ ही आरएमएससीएल द्वारा इस दवा के संबंधित सप्लायर द्वारा सप्लाई किए गए अन्य 19 बैच पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। ड्रग कंट्रोलर ने कहा- चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देनी चाहिए सिरप मामले में ड्रग डिपार्टमेंट ने भी सिरप के सैंपल की जांच शुरू कर दी है। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा कि ये सिरप चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देनी चाहिए। जिस फर्म का यह सिरप है, उसके पहले भी सैंपल अमानक कोटी के सामने आ चुके हैं। श्रीमाधोपुर, बयाना और सेवर में भी आ चुके हैं मामले जयपुर से पहले श्रीमाधोपुर, बयाना और सेवर में भी ऐसे ही मामले सामने आ चुके हैं। श्रीमाधोपुर के हाथीदेह के दो बच्चों की यही सिरप पीने के बाद तबीयत खराब हो गई थी। इन्हें जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। पहले गंभीर हालत होने के कारण आईसीयू में रखा गया था। फिर तबीयत में सुधार होने के बाद 28 सितंबर को डिस्चार्ज कर दिया गया था। भरतपुर में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। यहां कलासड़ा गांव के एक बच्चे की यही सिरप पीने के बाद तबीयत खराब हो गई थी। मामला गंभीर होने पर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया। खास बात यह है कि बच्चे के परिजनों की शिकायत पर सीएचसी के डॉक्टर योगी और ड्राइवर ने दवाई पी तो उनकी भी तबीयत खराब हो गई। डॉ. योगी को तो जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। इसके अलावा भरतपुर के सेवर में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां 3 साल के बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी।
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