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    वीर,शौर्य का अधूरा बचपन माता-पिता देखते रहे फोटो:तस्वीरों में कैद रह गई खिलखिलाहट, मल्टी के लोग  सिसकियों में डूबे

    4 weeks ago

    अनंतपुरा थाना क्षेत्र की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रविवार देर रात लगी आग ने दो मासूम जिंदगियों को छीन लिया। दम घुटने से वीर और शौर्य की सांसें थम गईं। किशोरपुरा मुक्तिधाम में उनकी चिताएं जलते ही पूरे मल्टी समिति के लोग रो पड़े। हर आंख नम थी और हर दिल यही पूछ रहा था क्यों इतनी जल्दी चले गए। पूरा दिन बच्चों के माता-पिता उनके फोटो ही देखते रहे और उनको प्यार से दुलारते रहे। दोनों बच्चों के पिता ने सोशल मीडिया पर भी फोटो लगाई और लिखा आप दोनों बहुत याद आओगे जहां भी रहो खुश रहना मिस यू बेटा। दोनों बच्चों के माता-पिता को ढांढस देने गए लोग खुद टूट गए। मृत बच्चों के घर ढांढस देने पहुंचे लोग तस्वीर देखते ही टूट जाते। मल्टी में रहने वालों ने कहा इतने प्यारे और मिलनसार थे कि कभी महसूस नहीं हुआ कि टीवी सीरियल्स में भी काम करते है। ‘पापा, मैं शौर्य के साथ नहीं खेल सकी मल्टी में रहने वाले भवनीत सिंह की बेटी बार-बार कहती रही शौर्य ने मुझे बुलाया था, पर मैं नीचे नहीं गई। बच्ची की मासूमियत और पछतावा सुन पिता भी रो पड़े। स्कूल वैन में खाली सीटें, मैदान में सन्नाटा सोमवार की सुबह स्कूल वैन में वीर और शौर्य की खाली सीटें देखकर बाकी बच्चे सहम गए। मैदान, जहां रोज उनकी किलकारियां गूंजती थीं, अब सूना है। छोटे बच्चे पूछते रहे—अब हम वीर-शौर्य के साथ कब खेलेंगे? जवाब सिर्फ खामोशी थी। शौर्य और वीर के कोरियोग्राफर तरुण साहिल ने बताया मैं इन दोनों बच्चों को कई सालों से देखा हुआ आ रहा हूं जब यह छोटे-छोटे थे। कई सारे फैशन शो और डांस कंपटीशन में हम लोग मिलते रहते थे। दोनों बच्चे बहुत ही मासूम थे और संस्कारी भी हम जब भी इन्हें डांस सीखने आते तो इन्हें कभी बोलने की जरूरत नहीं पड़ती थी की चलो डांस प्रैक्टिस करता है वह खुद ब खुद ही आ जाते थे। हमें अपने फ्लैट में ले जाते थे कभी भी किसी चीज के लिए उन्हें बोलने की जरूरत नहीं पड़ी। उन्होंने बताया कि हादसे के 2 दिन पहले हम लोग कंचन रिजॉर्ट डांडिया में गए थे। वीर मुझे कहा था कि सर मुझे संडे को इस की कोरियोग्राफी करना मैंने उनसे पूछा कि नए डांस टीचर कैसा दिख रहे हैं उन्होंने बताया कि बहुत अच्छा डांस सिखाते हैं। वीर में एक आर्टिस्ट के गुण बहुत ज्यादा थे और शौर्य पढ़ाई की तरफ ज्यादा ध्यान देता था। वीर दो अक्टूबर को मुंबई मूवी शूटिंग के लिए जाने वाला था, पर किस्मत ने सब छीन लिया। डांस और सपनों की अधूरी उड़ान वीर का डांस टीचर मयंक बोले वह मासूमियत से भरा था, उसे कभी भूलना संभव नहीं। मासूम मुस्कानों की खामोशी अब जहां बच्चों की हंसी गूंजती थी, सन्नाटे से भरी है। मल्टी वाले कहते हैं ये खालीपन कभी नहीं भर पाएगा। वीर और शौर्य अब सिर्फ तस्वीरों और यादों में रह गए हैं। दो मासूम, जिनकी हंसी मोहल्ले की जान थी अब सिर्फ खामोशी छोड़ गए।
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